पत्रकारिता को दिन-ब-दिन मुश्किल बनाया जा रहा है। अख़बारों और टीवी चैनलों की धूर्तता अब किसी से छिपी नहीं है,…
‘महाकुंभ’ में डुबकी न लगाने का साहस कर, राहुल गांधी ने वह काम कर दिखाया, जिसकी हिम्मत नेहरू-गांधी भी नहीं जुटा पाए थे
मानव जाति के इतिहास में दो तरह के नेता हुए हैं, एक तरह के वे जो जनता की पिछड़ी भावनाओं,…
दोस्त ने किया काम तमाम : मारे गए गुलफाम
जी हां, इन दिनों देश में उल्टी बयार चल रही है। वासंती और फागुनी मोहक हवाओं की जगह गर्मागर्म हवाओं…
लोकतंत्र और प्रेस कॉन्फ़्रेंस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल के दौरान पारंपरिक प्रेस कॉन्फ़्रेंस बहुत कम करने के लिए जाने जाते हैं। कहा जाता…
‘सून होइगा भैया बहिनी, अमौसा का मेला’
महाकुंभ आयोजन के पहले दिन से ही मेला भ्रमण कर रहा हूं। करीब दो हफ्तों में सौ किलोमीटर पैदल चल…
उदारवादी-दक्षिणपंथी मध्यवर्ग का तो समझ में आता है- खुद को वामपंथी और आंबेडकरवादी कहने वालों को क्या हो गया है? संदर्भ मनमोहन सिंह
सोशल मीडिया में मनमोहन सिंह की किन शब्दों में और कितना चढ़-बढ़कर तारीफ किया जाए, इसमें उदारवादियों-दक्षिणपंथियों की होड़ तो…
राष्ट्रीय मीडिया से वंचितों का भरोसा उठ रहा है
स्वतंत्र भारत में यदि दिल्ली की उर्दू पत्रकारिता की बात होगी, तो महफूज़ुर रहमान का नाम अवश्य लिया जाएगा। आप…
कुलदीप नैयर पत्रकारिता सम्मान: जहां सवर्ण प्रगतिशीलों की अनुपस्थिति खल रही थी
नई दिल्ली। पांचवां कुलदीप नैयर पत्रकारिता सम्मान समारोह 15 नवम्बर को दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान में हुआ जिसकी अध्यक्षता…
गाजा पर बीबीसी की पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग पर उसके ही 100 से अधिक कर्मचारियों ने लिखा पत्र
नई दिल्ली। बीबीसी पर उसके 100 से अधिक कर्मचारियों द्वारा गाजा पर युद्ध की रिपोर्टिंग में इज़राइल को पक्षपाती कवरेज…
गृहमंत्री शाह पर उठ रहे सवाल, बीजेपी के कथित चाणक्य फंसे अपने ही जाल में
लगता है गृहमंत्री अमित शाह पर अब शनि देवता की वक्र दृष्टि पड़ गई है। जिस तरह से गृहमंत्री शाह…