Friday, April 19, 2024

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जब नेहरू और पटेल एक दूसरे से लिपटकर फूट-फूट कर रोने लगे

(आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का शहादत दिवस है। देश के सामने जो संकट आया है उसमें किसी और समय के मुकाबले गांधी आज ज्यादा प्रासंगिक हो गए हैं। एक ऐसे मौके पर जब सत्तारूढ़ जमात द्वारा गांधी के बरखिलाफ...

माहेश्वरी का मत: सत्ता विमर्श की एक प्रस्तावना है नंदकिशोर आचार्य का नाटक ‘बापू’

नटरंग पत्रिका के मार्च 2006 के अंक में प्रकाशित नंदकिशोर आचार्य जी के ‘बापू’ नाटक को पढ़ कर कोई यदि उस पर आरएसएस की सांप्रदायिक और कपटपूर्ण विचारधारा की लेश मात्र छाया भी देखता है तो वह सचमुच तरस खाने के योग्य...

कपूर आयोग रिपोर्ट-2: पटेल और नेहरू समेत कांग्रेस के दूसरे शीर्ष नेता भी थे हत्यारे समूह के निशाने पर

(जेएल कपूर आयोग की दो खंडों में प्रकाशित रिपोर्ट के पहले खंड के पेज नंबर 321 पर एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। यह बात अभी तक देश के सामने उस रूप में नहीं आयी थी जैसी यहां पेश की...

अहमद पटेल के करीबी से जब्त सोने के सिक्कों को वापस करने का निर्देश

ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) वास्तव में सरकार का तोता बन गया है और राजनीतिक प्रतिशोध के लिए इसका दुरूपयोग हो रहा है। दरअसल ईडी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए छापे मरती है और आधे अधूरे कागजातों...

अनुच्छेद 370 का गला घोंट कर आरएसएस/भाजपा नेताओं ने सरदार पटेल को किया शर्मसार

आरएसएस के बौद्धिक शिविरों (वैचारिक प्रशिक्षण शिविरों) में गढ़े जाने वाले "सत्य" में से एक यह भी है कि भारत पर अनुच्छेद 370 को जवाहरलाल नेहरू ने थोपा था, जबकि भारत के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल इसके विरोध...

झूठ व फरेब की बोली

कल रात राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानसेवक नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि यह सपना (धारा 370 हटाना) सरदार वल्लभ भाई पटेल का था, बाबासाहेब अंबेडकर का था, डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का था, अटल जी और करोड़ों देशभक्तों का...

कश्मीर और इतिहास के साथ क्यों धोखाधड़ी है धारा 370 का खात्मा

15-16 मई 1949 को सरदार वल्लभ भाई पटेल के घर पर कश्मीर के भविष्य को लेकर एक अहम बैठक हुई थी। बैठक में जवाहर लाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला भी मौजूद थे। बैठक का एजेंडा ‘राज्य में नए संविधान के गठन’...

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AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।