Thursday, April 18, 2024

recession

ईहां मंदी आ ही नहीं सकता, परधान जी पॉजिटिव हैं!

संडे को परधान जी ने एलान किया, देश को 5...10 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बना देंगे¡ लोगों ने कहा, परधान जी कुछ भी! ऐसे कैसे होगा? परधान को बोले की खुरक है। वो जवाब बड़ा जबर देते हैं, सो सबकी बोलती बंद कर दिए।...

एक कॉरपोरेट कंपनी का अपने अधिकारियों को भेजा गया पत्र

(गोपनीयता के उद्देश्य से कंपनी का नाम हटा दिया गया है।) (मूल अंग्रेजी पत्र के प्रमुख हिस्सों का सारांश हिंदी में) यह पत्र हमारी कंपनी के उन भरोसेमंद अधिकारियों के लिए है, जो शुरू से हमारे साथ हैं। आप सब जानते हैं कि किस...

मंदी और राजनीति-शून्य आर्थिक सोच की विमूढ़ता

अति-उत्पादन पूँजीवाद के साथ जुड़ी एक जन्मजात व्याधि है । इसीलिये उत्पादन की तुलना में माँग हमेशा कम रहती है । यही वजह है कि पूंजीवाद में हर एक चक्र के बाद एक प्रकार की संकटजनक परिस्थिति सामने आती ही है ।...

अब सबको नजर आने लगी है अर्थव्यवस्था की हकीकत

गिरीश मालवीय का लेख... एसबीआई चेयरमैन रजनीश कुमार कह रहे हैं कि रेट कट की वजह से बैंकों के पास अब नकदी की कमी नहीं है, लेकिन लोन लेने वाले लोगों की संख्या में कमी आ गई है। हर कोई...

कब तक छुपा रहेगा ‘राजनीतिक सफलता’ के पर्दे में आर्थिक नाकामी का चेहरा?

भारत के निर्यात सेक्टर में पिछले चार साल(2014-18) में औसत वृद्धि दर कितनी रही है? 0.2 प्रतिशत। 2010 से 2014 के बीच विश्व निर्यात प्रति वर्ष 5.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा था तब भारत का निर्यात प्रति वर्ष 9.2 प्रति वर्ष...

मंदी की मार: जमशेदपुर के बाद टाटा का पुणे स्थित पिंपरी आटो प्लांट भी तीन दिनों के लिए बंद

नई दिल्ली। आटोमोबाइल में मंदी का असर अब जमीन पर दिखने लगा है। जमशेदपुर के बाद टाटा को अपना पुणे स्थित प्लांट भी तीन दिन के लिए बंद करना पड़ा है। पिंपरी चिंचवाड़ स्थित इस प्लांट में अगले तीन दिनों में...

क्यों नहीं बाहर दिख रहा है अर्थव्यस्था में मंदी का हाहाकार?

अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में भारत का स्थान फिसल गया है। 2018 में भारत पांचवें नंबर पर आ गया था अब फिर से सातवें नंबर पर आ गया है। 31 जुलाई के बिजनेस स्टैंडर्ड में ख़बर छपी है कि 2018...

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AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।