Thursday, April 25, 2024

Revolutionary

शहीद-ए-आज़म भगत सिंह: नारा तब भी इंकलाब था- नारा आज भी इंकलाब है

'जो कोई भी कठिन श्रम से कोई चीज़ पैदा करता है, उसे यह बताने के लिए किसी खुदाई पैगाम की जरुरत नहीं कि पैदा की गयी चीज़ पर उसी का अधिकार है' यह शब्द जो अपनी जेल डायरी के...

कॉरपोरेट साम्प्रदायिक फ़ासीवाद, कट्टरपन्थ और पुनरुत्थानवाद को निर्णायक शिकस्त ही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि

सबसे ख़तरनाक होता है  मुर्दा शांति से भर जाना  न होना तड़प का सब कुछ सहन कर जाना  घर से निकलना काम पर  और काम से लौटकर घर आना  सबसे ख़तरनाक होता है  हमारे सपनों का मर जाना ....... सबसे खतरनाक वह दिशा होती है जिसमें आत्मा का सूरज...

शहीद क्रांतिकारी जतिन दास की शहादत के मौके पर जेल की समस्याओं को लेकर पत्रकार रूपेश अनशन पर

रांची। सरायकेला खरसावां जेल में बंद पत्रकार रूपेश कुमार सिंह ने आज क्रांतिकारी जतिन दास की शहादत के मौके पर जेल की विभिन्न समस्याओं को लेकर एक दिवसीय अनशन पर बैठ गए हैं। इस सिलसिले में उन्होंने राष्ट्रपति को...

बीहड़ के लिए मिसाल बनी चंबल क्रिकेट लीग, खेल-खेल में क्रांतिकारियों का भी हो रहा बखान

जालौन। किसी भी खेल का आयोजन कराया जाता है तो मकसद मनोरंजन या खेल को बढ़ावा देने जैसा ही होता है, लेकिन चंबल के दूरदराज गाँव में आयोजित हो रही चंबल क्रिकेट लीग, इन्हीं बातों तक सीमित नहीं है।...

गेंदालाल दीक्षित की पुण्यतिथि: एक भूला बिसरा क्रांतिकारी और उसके साहसिक कारनामे

देश की आज़ादी कई धाराओं, संगठन और व्यक्तियों की अथक कोशिशों और कुर्बानियों का नतीज़ा है। गुलाम भारत में महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन के अलावा एक क्रांतिकारी धारा भी थी, जिससे जुड़े क्रांतिकारियों को लगता था कि अंग्रेज़...

हिमाचल: दो क्रांतिकारी विद्रोहियों को न मिला उचित सम्मान और न ही स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा

हिमाचल प्रदेश की सुकेत रियासत के राजाओं का शासन बेहद क्रूर और आम जनता का शोषण करने वाला रहा है। 8वीं शताब्दी में बंगाल से आए सेन वंशी राजाओं ने यहां पर निवास करने वाली डूंगर जाति का नरसंहार...

जयंती पर विशेष: अकेले को सामूहिकता और समूह को साहसिकता देने वाले धूमिल

सुदामा पाण्डेय यानी धूमिल ताउम्र जिन्दा रहने के पीछे मजबूत तर्क तलाशते रहे। कहते रहे ‘तनों अकड़ो अपनी जड़ें पकड़ो, हर हाथ में गीली मिट्टी की तरह हां-हां मत करो।’ मौजूदा जनतंत्र को मदारी की भाषा कहने वाले धूमिल...

जयंती पर विशेष : व्यवस्था के खिलाफ मुक्तिबोध में दबा बम धूमिल में फट पड़ा!

‘क्या आजादी सिर्फ तीन थके हुए रंगों का नाम है, जिन्हें एक पहिया ढोता है या इसका कोई मतलब होता है?’ हिन्दी कविता के एंग्रीयंगमैन सुदामा पांडे ‘धूमिल’ने अब से कई दशक पहले यह जलता व चुभता हुआ सवाल...

भारत में ‘अवामी मीडिया’ इस वक्त की सबसे बड़ी जरूरत

भारत में 'अवामी मीडिया' विकसित करने के प्रयास उसकी आज़ादी की लड़ाई के दौरान से ही होते रहे हैं। क्रांतिकारी कामरेड शिव वर्मा (1904-1997) लाहौर कॉन्सपिरेसी केस-2 में शहीद भगत सिंह के साथ सह-अभियुक्त थे। वे उस कथित बोगस...

जब लोहिया की आवाज ने ले लिया था गोवा क्रांति का रूप

यह आज के राजनेताओं, पूंजपीतियों और ब्यूरोक्रेट्स का एक रणनीति के तहत अपनी सुरक्षा के लिए बनाया गया माहौल ही है कि देश का युवा अपना हक मांगने के बजाय मौज-मस्ती का रास्ता अपनाना ज्यादा पसंद कर रहा है।...

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प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर

धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का...