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बीच बहस
स्थाई भाव बन गई है संघियों की वर्चस्ववादी पेशवाई ग्रंथि
शाहजी राजे भोंसले (1594-1664) 17वीं शताब्दी के एक सेनानायक और बीजापुर तथा गोलकुंडा के मध्य स्थित जागीर कोल्हापुर के जागीरदार थे। वे कभी एक सल्तनत का आधिपत्य मानते तो कभी दूसरे का। अंतत: 23 जनवरी, 1664 को शिकार खेलते...
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‘ऐ वतन मेरे वतन’ का संदेश
हम दिल्ली के कुछ साथी ‘समाजवादी मंच’ के तत्वावधान में अल्लाह बख्श की याद में एक सालाना कार्यक्रम करते...
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