Thursday, April 25, 2024

2021 के पहले नौ महीनों में भारत में ईसाइयों पर 305 हमले, केवल 30 प्राथमिकी

भारत में धार्मिक असहिष्णुता का शिकार केवल मुस्लिम समुदाय ही नहीं बन रहा है बल्कि ईसाइयों को भी लक्षित किया जा रहा है। भारत में हिंदुत्व समूहों द्वारा ईसाइयों के खिलाफ की जाने वाली हिंसा में लगातार वृद्धि हुई है, जो कि मीडिया कि निगाहों में लगभग अनदेखा ही रह गया है। 21 अक्टूबर को, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट और यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम ने संयुक्त रूप से एक तथ्य-खोज रिपोर्ट जारी की, जिसमें भारत भर में ईसाइयों के खिलाफ हमलों की चिंताजनक तस्वीर सामने आई है।

रिपोर्ट जारी करने वालों में यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के नेशनल प्रेसिडेंट डॉक्टर माइकल विलियम्स, यूनाइटेड अगेंस्ट हेंट के नदीम खान सीनियर जर्नलिस्ट प्रशांत टंडन, यूनिटी इन कंप्रेशन की जनरल सेक्रेटरी मीनाक्षी सिंह तथा अन्य लोग शामिल थे। रिपोर्ट में 2021 के पहले नौ महीनों में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की कम से कम 305 घटनाएं दर्ज हैं, लेकिन इन मामलों में अब तक केवल 30 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि अकेले सितंबर में 69 ऐसी घटनाएं दर्ज की गईं, इसके बाद अगस्त में 50, जनवरी में 37, जुलाई में 33, मार्च, अप्रैल और जून में 27-27, फरवरी में 20 और मई में 15 घटनाएं हुईं।

यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के नदीम खान के अनुसार, तथ्य-खोज दल के सदस्यों में से एक, चार उत्तर भारतीय राज्यों ने एक साथ इन नौ महीनों में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की 169 घटनाएं दर्ज की हैं। इस प्रकार उत्तर प्रदेश (66), छत्तीसगढ़ (47), झारखंड (30), और मध्य प्रदेश (26)। लेकिन एक दक्षिणी राज्य है जो ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं की एक बड़ी संख्या देख रहा है, जो कर्नाटक में 32 घटनाओं के साथ है। इनके अलावा, अन्य राज्यों में ईसाइयों के खिलाफ उनकी आस्था के लिए हिंसा देखी जा रही है, उनमें बिहार (19 घटनाएं), ओडिशा (15), महाराष्ट्र (13), तमिलनाडु (12), गुजरात (9), पंजाब (8), आंध्र प्रदेश (5 घटनाएं) शामिल हैं। हरियाणा (5), उत्तराखंड (5), दिल्ली (3), तेलंगाना (2), पश्चिम बंगाल (2), राजस्थान (2), असम (1) और हिमाचल प्रदेश (1)।

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 9 महीनों में ईसाई समुदाय को निशाना बनाते हुए 300 से ज्यादा हमले हुए हैं। जिससे ईसाई समुदाय भयभीत है। पिछले दिनों भी उत्तराखंड के रुड़की में भी चर्च में प्रार्थना कर रहे लोगों पर कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से हमला बोल दिया। हमले की सूचना मिलते ही भारी संख्या में पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक हमलावर भाग निकले थे। आरोप है कि मारपीट के दौरान चर्च में तोड़फोड़ और लूटपाट भी की गई। हमलावरों ने कुर्सी, खिड़की, बाइक और फर्नीचर में तोड़फोड़ कर दी। साथ ही सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए और डीबीआर चोरी कर ले गए। बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों से भी मारपीट की गई।

आरोप है कि हमलावरों ने महिलाओं से पर्स, मोबाइल और अन्य सामान लूट लिया। मारपीट के बाद घायलों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन अभी तक उनकी भी गिरफ्तारी नहीं की गई है। इन हमलों का आरोप बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद के लोगों व अन्य संघटनों के लोगों पर लगा है।

रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर भारत में ईसाइयों के खिलाफ होने वाले हमले पिछले नौ महीनों में तेज़ी से बढ़े हैं। एक जनवरी 2021 से सितम्बर 2021 के बीच उत्तर प्रदेश में 66, छत्तीसगढ़ में 47, झारखण्ड में 30 और मध्य प्रदेश में 26 मामले सामने आए हैं। यानी केवल इन चार राज्यों में ही बीते नौ महीनों में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की 169 घटनाएं हुई हैं। उत्तर प्रदेश में ईसाइयों के खिलाफ सबसे अधिक 66 हिंसक मामले दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार यूपी के शाहजहांपुर, रायबरेली, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, आजमगढ़ आदि जगहों पर ईसाईयों को डराया-धमकाया गया है। जब उन्होंने ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की तो प्रशासन द्वारा उल्टा उन पर ही मामला दर्ज कर लिया गया।

इसके अतिरिक्त, अन्य राज्यों- बिहार (19), ओडिशा (15), महाराष्ट्र (13), तमिलनाडु (12), गुजरात (9), पंजाब (8), आंध्र प्रदेश (5), हरियाणा (5), उत्तराखंड (5), दिल्ली (3), तेलंगाना (2), पश्चिम बंगाल (2), राजस्थान (2), असम (1) और हिमाचल प्रदेश (1) में भी ईसाईयों के खिलाफ हिंसा हुई है। साथ ही दक्षिणी राज्य कर्नाटक में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की एक बड़ी संख्या देखने को मिली है। कर्नाटक में इसी अवधि में 32 घटनाएं दर्ज हुई हैं।

द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में भी हिंदू संगठनों द्वारा ईसाईयों पर हिंसा बढ़ी हैं। एक अक्टूबर, 2021 को छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में सर्व सनातन हिंदू रक्षा मंच ने एक विशाल विरोध रैली का आयोजन किया था। यह ‘विरोध’ हिंदुओं के ईसाई और इस्लाम धर्म में जबरन धर्मांतरण में कथित बढ़ोत्तरी के खिलाफ था। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता स्वामी परमानंद महाराज थे। जिन्होंने अत्यंत आपत्तिजनक भाषण दिया।

तीन अक्टूबर, 2021 को रुड़की में 12 लोग प्रार्थना करने के लिए ‘हॉउस ऑफ प्रेयर’ नामक चर्च में एकत्रित हुए थे। कुछ ही देर में करीब 200 लोगों की भीड़ चर्च के अंदर घुस गई और लोहे के डंडों से वहां मौजूद ईसाइयों को पीटने लगी।

वाशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय उत्पीड़न प्रहरी ओपन डोर्स ने नोट किया है कि भारत में ईसाइयों का उत्पीड़न अब “चरम” पर है जो पिछले पांच वर्षों में काफी बढ़ गया है, और अब “पिछले एक साल से अपेक्षाकृत अपरिवर्तित बना हुआ है” और कहा कि “कोविड- 19 महामारी ने उत्पीड़क के लिए एक नया हथियार पेश किया है”। हफ्तों से, समाचार रिपोर्टों ने स्पष्ट किया है कि पूरे देश में ईसाई समुदाय को निगरानी, बर्बरता, हमलों, सामाजिक बहिष्कार आदि के साथ लक्षित किया गया है। ये हमले 21 राज्यों में हुए हैं, और कई ऐसे क्षेत्रों में हैं जो अक्सर समाचार रडार के अंतर्गत आते हैं। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और अन्य स्थानों से कई हमलों की सूचना मिली है।

क्रिश्चियन अंडर अटैक इन इंडिया शीर्षक से एक रिपोर्ट यूनाइटेड अगेंस्ट हेट, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स और यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम द्वारा संयुक्त रूप से संकलित की गई थी। यह यूपी और देश के अन्य हिस्सों में ईसाइयों के खिलाफ हमलों को दर्ज करता है, और बताता है कि इस तरह की हिंसा की 305 घटनाएं अकेले यूसीएफ टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 1-800-208-4545 पर इस साल दर्ज की गई हैं। सितंबर 2021 में हेल्पलाइन पर सबसे ज्यादा 69 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद अगस्त में 50, जनवरी में 37, जुलाई में 33, मार्च, अप्रैल और जून में 27, फरवरी में 20 और मई में 15 मामले सामने आए।

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में एक मामले में, 31 अगस्त को, एक पादरी को गिरफ्तार किया गया था, जब स्थानीय चरमपंथी, पुलिस के साथ, सिविल ड्रेस में एक धार्मिक सभा में यह कहते हुए आए थे कि वे यीशु के बारे में और जानना चाहते हैं, और 15 मिनट के बाद, पादरी को गिरफ्तार कर लिया गया। हिरासत में लिया गया था। आजमगढ़ में एक अन्य घटना में, पुलिस ने एक पादरी को उस समय गिरफ्तार किया जब वह 9 सितंबर को एक गुमनाम शिकायत के आधार पर एक निजी प्रार्थना सभा आयोजित कर रहा था।

यूपी के मऊ में दो उल्लेखनीय घटनाएं हुई हैं। पहला मामला हिंदुत्व की भीड़ द्वारा हमला था, जिनमें से कुछ ने 10 अक्टूबर को बजरंग दल के साथ-साथ हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता होने का दावा किया था। उन्होंने एक प्राथमिकी दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया गया कि एक पादरी और छह अन्य “लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने और अपमानजनक भाषा का उपयोग करके हिंदू देवताओं का अपमान करने” में शामिल थे और ईसाई उपासकों को पुलिस थाने में मजबूर किया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और मध्य प्रदेश में पिछले नौ महीनों में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की कुल 169 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि कर्नाटक में ईसाइयों के खिलाफ नफरत की 32 घटनाएं हुईं। इन घटनाओं में 2000 से अधिक महिलाएं, आदिवासी और दलित घायल हुए थे।रिपोर्ट में ईसाइयों के खिलाफ घृणा अपराध की 89 अन्य घटनाओं के पीड़ितों की गवाही और मऊ में ईसाइयों पर हिंदुत्व भीड़ के हमले की रिपोर्ट दर्ज हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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