Friday, April 26, 2024

पूर्वांचल में बहुजन बुद्धिजीवियों-एक्टिविस्टों और नेताओं की जुटान

12 सितंबर को गोरखपुर के गोकुल अतिथि भवन में बहुजन बुद्धिजीवियों एक्टिविस्टों और नेताओं का एक महासम्मेलन रखा गया है। इस महा सम्मेलन का विषय ‘दलित, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक भागीदारी उद्घोष सम्मेलन’ है। इस सम्मेलन में भारतीय समाज में बहुजनों की भागीदारी की वर्तमान स्थिति और भविष्य में इस भागीदारी को कैसे बढ़ाया जाए इस विषय पर गंभीर चिंतन-मनन होगा और संघर्ष का भावी एजेंडा तय किया जाएगा। इस एजेंडे को 2022 में उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों के एजेंडे के रूप में उत्तर प्रदेश की जनता और राजनीतिक दलों के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और इस बात की योजना बनाई जाएगी कि कैसे दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की सभी क्षेत्रों में आनुपातिक भागीदारी सुनिश्चित की जाए। इसमें शासन, प्रशासन, मीडिया, व्यापार-कारोबार आदि सभी क्षेत्रों में भागीदारी का प्रश्न भी निहित है। इस सम्मेलन में सरकारी क्षेत्र के साथ निजी क्षेत्रों में कैसे बहुजनों की आनुपातिक हिस्सेदारी सुनिश्चित किया जाए इस पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा और इस संदर्भ में भी ठोस एजेंडा तैयार किया जाएगा और इसके लिए संघर्ष की रूपरेखा भी तय की जाएगी।

इस सम्मेलन में सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी (सभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर, सामाजिक परिवर्तन मंच के राष्ट्रीय संयोजक पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद, गोरखपुर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर चंद्रभूषण गुप्त ‘अंकुर’, भारापा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरपी मौर्या, चिंतक-लेखक डॉ. अलख निरंजन, पूर्व मंत्री जावेद इकबाल, अंबेडकर उद्घोष की संपादक मंजुलता, बहुजन बुद्धिजीवी एवं वरिष्ठ नेता डॉ. दुर्गा प्रसाद यादव आदि शिरकत करेंगे। सम्मेलन में डॉ. सिद्धार्थ भी वक्ता के रूप में शामिल होंगे। महासम्मेलन की अध्यक्षता अंबेडकर जनमोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक श्रवण कुमार निराला करेंगे।

इस सम्मेलन में बहुजन वैचारिकी को व्यापक जन तक पहुंचाने के लिए मासिक पत्र अंबेडकर उद्घोष के प्रथम अंक का लोकार्पाण भी किया जाएगा। सम्मेलन के राजनीतिक उद्देश्य को रेखांकित करते हुए सम्मेलन के संयोजक और अंबेडकर जन मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक श्रवण कुमार निराला ने कहा कि “लोकतंत्र आज पूँजीपतियों और स्थापित दलों और नेताओं का बन्धक बन गया है। सच्चे मन से कार्य करने वाला राजनीतिक कार्यकर्ता, ठोकरें खाने के लिए अभिशप्त है। कार्यकर्ता पांच वर्ष लोगों के बीच रहता है उनका दुख दर्द सुनता है और टिकट किसी स्थापित नेता के लड़के को दे दिया जाता है। किसी बड़े नेता के भाई को दे दिया जाता है। किसी बड़े व्यापारी को दे दिया जाता है। इस तरह के पैराशूट से उतारे गये सांसद, विधायक कभी भी जन हितैषी नहीं हो सकते हैं। इसलिए अब समय आ गया है कि जमीनी कार्यकर्ताओं को सांसद, विधायक बनाया जाए, जो जनता के हों, जनता के बीच पिछले पांच साल से रह रहे हैं। तभी हमारी समस्याओं का समाधान हो सकता है।”

सम्मेलन में इस प्रश्न पर भी विचार किया जाएगा कि आखिर आजादी के 74 वर्षों बाद दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को उनकी वाजिब हिस्सेदारी क्यों नहीं मिल पाई और इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश की दलित- बहुजन पार्टियों की क्या भूमिका रही है और उनकी क्या कमजोरियां रही हैं, इस प्रश्न पर भी विचार किया जाएगा।

सम्मेलन में पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता  बुद्धिजीवी और अंबेडकर जनमोर्चा के विभिन्न जिलों के प्रतिनिधि और कार्यकर्ता भी भारी संख्या में शिकरकत करेंगे। इसकी सूचना सम्मेलन के संयोजक श्रवण कुमार निराला ने दी।

(विज्ञप्ति पर आधारित।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles