Wednesday, April 24, 2024

बस्तर डायरी-2: कोयला खदानों के निरस्त होने तक जारी रहेगा हसदेव अरण्य का संघर्ष

बस्तर। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति द्वारा कल ग्राम मदनपुर में छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी और शहीद वीर नारायण सिंह की शहादत और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में हसदेव बचाओ सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में हसदेव अरण्ड क्षेत्र के 35 गांवों के हजारों ग्रामीण आदिवासी शामिल हुए।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए संयोजक उमेश्वर सिंह अर्मो ने कहा कि संपूर्ण हसदेव अरण्ड संविधान की पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में शामिल है। पेसा और वन अधिकार कानून  ग्राम सभाओं को अपने जल, जंगल, जमीन, आदिवासी संस्कृति और रीति रिवाज के संरक्षण का अधिकार देता है। इन अधिकारों की सतत रक्षा करने के लिए हसदेव अरण्ड की ग्राम सभाएं पिछले एक दशक से संघर्षरत हैं। 

पिछले दिनों 300 किलोमीटर की पदयात्रा के बाद राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने परसा कोल ब्लॉक की फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव बनाकर हासिल की गई वन स्वीकृति की जांच और कार्यवाही का वादा किया था, लेकिन उस पर कोई भी कार्यवाही किए बिना ही वन स्वीकृति जारी कर दी गई। हालांकि इसका अंतिम आदेश राज्य सरकार ने रोक दिया है लेकिन कंपनी दबाव बनाकर  गैर कानूनी तरीके से परियोजना  शुरू  करवाने का प्रयास कर रही है । 

सम्मेलन के माध्यम से हम राज्य सरकार से निवेदन करते हैं कि वह सिर्फ कोरबा जिला नहीं बल्कि सम्पूर्ण हसदेव अरण्य क्षेत्र को बचाने के अपने वादे पर अमल करते हुए सभी आवंटित कोल ब्लॉक निरस्त करे। 

हसदेव अरण्ड के लोगों ने मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील एवं मज़दूर आंदोलन से जुड़ी सुधा भारद्वाज को बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली राहत और उनकी रिहाई पर उन्हें क्रांतिकारी जोहार करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की।

भारत जन आंदोलन से बिजय भाई ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस सभा में सबसे ज्यादा महिलाओं की भागीदारी है और यही दर्शाता है हम तानाशाहों के सामने हार नहीं मानेंगे। शहीद वीर नारायण सिंह जी से हमें यही प्रेरणा भी मिलती है। 

उन्होंने कहा कि आज  हर वर्ग का संघर्ष धीरे-धीरे एकजुट हो रहा है, इसलिए दिल्ली की तानाशाही सरकार को मुंहतोड़ जवाब मिला है। दिल्ली में किसानों के संघर्ष ने मोदी सरकार को वैसे ही झुकाया जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंग्रेजों को झुकाया था। हमें लगातार अपने संघर्षों को मजबूत करना होगा तभी हम फासीवादी ताकतों से लड़ सकते हैं।

जिला किसान संघ से सुदेश टीकम ने हसदेव के आंदोलन को सतत बनाए रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी इस क्षेत्र के मूल निवासी हैं और जल-जंगल-जमीन के मालिक भी। आज शहादत दिवस पर हमारा संकल्प होना चाहिए कि प्रदेश में चारों ओर खदान के नाम से जो बर्बादी हो रही है उसे रोकेंगे। हसदेव के आंदोलन को तोड़ने की बहुत कोशिश हुई परंतु लोगों की ताकत के सामने सफल नहीं हो सके। यही ताकत पूरे छत्तीसगढ़ में लोगों के संघर्ष को प्रेरणा दे रहा है।

कॉमरेड नंद कश्यप ने सभा में लोगों की हौसलाफजाई करते हुए कहा कि आज लंबे संघर्ष के कारण यह आंदोलन देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है। cop 26 में हसदेव अरण्य को बचाने के लिए प्रदर्शन हुए। आपका संघर्ष दुनिया के कोने कोने में पहुंच चुका है। छल बल से संघर्ष को तोड़ने की कोशिश और आपका मुकाबला दुनिया को रास्ता दिखा रहा है।

इस सम्मेलन में शामिल हसदेव अरण्य की ग्राम सभाओं ने हसदेव अरण्य के सम्पूर्ण वन क्षेत्र को सुरक्षित रखने और अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा सतत करने का संकल्प लिया।  आंदोलन को और मजबूत करने एवं  किसान आंदोलन की सफलता का जश्न मनाते हुए विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से शहीद वीर नारायण सिंह, महात्मा गांधी, बाबा साहेब अंबेडकर और दादा हीरा सिंह मरकाम को श्रद्धांजलि दी और हसदेव अरण्य को बचाने के अपने संघर्ष को लगातार जारी रखने का ऐलान किया। लोगों ने कहा कि यह संघर्ष तब तक नहीं रुकेगा जब तक सम्पूर्ण हसदेव के समस्त कोयला खदानों को निरस्त नहीं करा दिया जाता।

सम्मेलन में हसदेव अरण्य के सभी गांवों के सरपंचों, जनपद सदस्यों, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी में पदासीन सदस्यों और गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन के साथियों ने हिस्सा लिया। मुख्यरूप से बजरंग सिंह पैकरा – जनपद सदस्य मदनपुर (25), संतराम श्याम- जनपद सदस्य बिरमिन , मानसिंह  मरकाम – सरपंच बनिया, शत्रुघन पठारी – सरपंच हरदेवा, गंगोत्री उइके- सरपंच गिड़मूड़ी, शोभरन समोया – सरपंच संघ के अध्यक्ष पोडी उपरोड़ा, उर्मिला सिंह मरकाम – जिला पंचायत सदस्य, रामेस्वर सिंह उर्रे- जिला संगठन मंत्री , कोरबा ( गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ) आदि लोग शामिल हुए।

(बस्तर से जनचौक के संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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