Friday, March 29, 2024

बीएसएफ मामले पर विरोध तेज, बादल ने दिया राजभवन पर धरना

केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक फैसले के मुताबिक बीएसएफ का दायरा 50 किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया है और इस पर पंजाब में भी विरोध का दायरा काफी बढ़ गया है। साथ ही कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई एक बार फिर तेज हो गई है तथा इस मामले पर पक्ष-विपक्ष भी आपस में भिड़े हुए हैं।

शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने बीएसएफ का दायरा बढ़ाने के विरोध में चंडीगढ़ स्थित राजभवन के पास धरना दिया। उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। सीमा क्षेत्र बढ़ाने के विरोध में यह पहला मैदानी धरना प्रदर्शन था। सुखबीर सिंह बादल को गिरफ्तार किया गया और बाद में रिहा भी। छोटे बादल का कहना है कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र सरकार के साथ मिलीभगत करके आधे राज्य को केंद्रीय बलों के हवाले कर दिया है।

बादल के मुताबिक यह दूसरी बार है जब केंद्र ने पंजाब पर अपने अधिकार जबरन थोपे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानून लाकर सूबे के किसानों के मूल अधिकारों को कुचला तथा सरेआम बेइंसाफी की। सुखबीर ने कहा कि बीएसएफ का दायरा बढ़ने से शिखर धार्मिक स्थल श्री स्वर्ण मंदिर साहिब, दुर्गियाना मंदिर श्री राम तीरथ भी अर्धसैनिक बलों के दायरे में आ जाएंगे।

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि नया केंद्रीय कानून लोगों को आतंकवाद के काले दिनों की याद दिला रहा है। तब पंजाब में केंद्रीय सुरक्षा बलों का दबदबा था और उनकी मनमर्जी चलती थी। उन्होंने कहा कि अब राज्य के उपमुख्यमंत्री तथा गृह मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा का गांव भी बीएसएफ के दायरे में होगा।

बीएसएफ का क्षेत्राधिकार 15 किलोमीटर से 50 किलोमीटर किए जाने का लोक इंसाफ पार्टी ने भी कड़ा विरोध किया है। पार्टी प्रधान विधायक सिमरजीत सिंह बैंस ने कहा कि यह केंद्र का घोर अन्याय है। इस फैसले को फौरन वापस लिया जाना चाहिए। आम आदमी पार्टी (आप) ने भी एक बयान जारी करके केंद्र के इस फैसले के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई है। ‘आप’ का कहना है कि यह संघीय ढांचे पर केंद्र का सीधा हमला है।

बीएसएफ का दायरा बढ़ाए जाने के मामले पर पंजाब कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई भी एकाएक तेज हो गई है। बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री और औपचारिक तौर पर अब तक कांग्रेस में बने हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह केंद्र के इस फैसले का खुला समर्थन कर रहे हैं। फिलहाल तक मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से उनके रिश्ते सहज हैं। चन्नी ने सपरिवार गुरुवार को उनके फार्म हाउस जाकर उनसे मुलाकात भी की। चन्नी ने कैप्टन के रुख पर कोई प्रतिक्रिया नहीं जाहिर की है। जबकि उनके मंत्रिमंडल के कुछ सहयोगी कैप्टन के खिलाफ आक्रामक हो गए हैं।

नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी, खेल मंत्री परगट सिंह ने कहा कि कैप्टन जब मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद पहली बार दिल्ली गए तो धान की खरीद में 10 दिन की देरी करा आए और अब दूसरे दौरे के दौरान बीएसएफ के बारे में फैसला करवा आए हैं। भाजपा के साथ मिलकर कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगवाने की साजिश रच रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री से संबोधित होते हुए परगट सिंह ने तंज कसा, ‘कैप्टन जी इस तरह न करो। हम आपको और तरह से देखते हैं, कि आप बहुत बड़े नेता हैं!’

वरिष्ठ कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह जब पंजाब के मुख्यमंत्री थे, उस समय उन्होंने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर करने के बारे में केंद्र को क्यों नहीं लिखा या कहा। कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से परगट सिंह और सुरजेवाला को आनन-फानन में जवाब दिया गया। कैप्टन ने सुरजेवाला को कहा, ‘कितनी अजीब बात है। क्या मैं भारत के गृह मंत्रालय को आदेश देता हूं और न सिर्फ पंजाब बल्कि पश्चिम बंगाल, असम में भी मेरे फैसले चलते हैं? एक व्यक्ति (यानी सुरजेवाला) जो अपने ही राज्य में चुनाव नहीं जीत सका है, उसे राष्ट्रीय मुद्दों पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है।’

कैप्टन ने परगट सिंह को जवाब दिया, ‘आप (परगट सिंह) और सिद्धू एक जैसे हैं और सस्ते प्रचार के लिए हास्यास्पद कहानियां बनाने में माहिर हैं।’

इशारों-इशारों में राज्य कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ ने भी कैप्टन से काफी कुछ कहा। जाखड़ के मुताबिक, ‘हमें अपने सुरक्षाबलों पर गर्व है। विफलताओं को छिपाने और नेताओं में सरकारों द्वारा चलाई गई गंदगी को साफ करने के लिए इनका उपयोग करना बहुत खतरनाक होगा। राजनीतिक हथियार के रूप में अपनी इन ताकतों के ऐसे प्रयोग से बचना चाहिए। इस बात को कैप्टन अमरिंदर सिंह से बेहतर कोई नहीं जानता।’ उधर, अचानक अपने तेवर ढीले करने वाले पंजाब कांग्रेस के ‘बागी प्रधान’ इस संवेदनशील मसले पर फिलवक्त खामोशी अख्तियार किए हुए हैं। वैसे, उनके धुर विरोधी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें इस विषय पर बोलने का काफी मसाला दे दिया है!

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

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