Friday, March 29, 2024

लखीमपुर केस की पूर्व जज की निगरानी में होगी जांच, सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी के लिए मांगे नए आईपीएस के नाम

उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा 3 अक्टूबर की लखीमपुर खीरी हिंसा में जांच की निगरानी के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति पर सहमति व्यक्त करने के बाद उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ जाँच करने वाले न्यायाधीश के नाम पर फैसला अगले बुधवार यानि 17नवंबर को करेगी । इस घटना में 4 किसानों और एक पत्रकार सहित 8 लोगों की जान चली गई थी, जिन्हें कथित तौर पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के काफिले में वाहनों से कुचल दिया गया था। इस मामले को बुधवार के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

पीठ ने यह भी कहा कि मामले की जांच के लिए यूपी पुलिस द्वारा गठित विशेष जांच दल को अपग्रेड करने की जरूरत है, क्योंकि इसमें ज्यादातर लखीमपुर खीरी क्षेत्र के सब इंस्पेक्टर ग्रेड के अधिकारी हैं। पीठ ने यूपी राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को एसआईटी में शामिल करने के लिए यूपी कैडर के उन आईपीएस अधिकारियों के नाम देने के लिए कहा, जो यूपी से नहीं हैं।

जब मामले की सुनवाई शुरु की गई, तो यूपी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि मैंने निर्देश ले लिया है, मैं इसे आपके लॉर्डशिप पर छोड़ दूंगा। जिसे भी लॉर्डशिप आधिपत्य मानते हैं उसे नियुक्त किया जा सकता है। इस पर चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि हमें एक दिन और चाहिए। हम राकेश जैन या किसी अन्य न्यायाधीश पर विचार कर रहे हैं। हमें संबंधित न्यायाधीश से भी बात करने की जरूरत है।

पिछली बार, पीठ ने जांच की प्रगति पर संतोष की कमी व्यक्त करते हुए कहा था कि वह जांच की निगरानी के लिए दूसरे राज्य से सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को नियुक्त करने पर विचार कर रही है। इस संबंध में, साल्वे ने कहा कि न्यायालय किसी भी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को नियुक्त करने पर विचार कर सकता है, भले ही वह न्यायाधीश किस राज्य का हो, उसकी परवाह किए बिना।

पीठ ने लखीमपुर में जांच कर रहे अधिकारियों की टीम को ‘अपग्रेड’ करने की बात कही।चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि चिंता की बात यह है कि आपको मामले की जांच कर रहे टास्कफोर्स को अपग्रेड करना होगा।. इसमें उच्च ग्रेड के अधिकारियों की जरूरत है। पीठ ने यूपी पुलिस की SIT को अपग्रेड के निर्देश दिए हैं, जो इस जांच में शामिल हैं। पीठ ने यूपी सरकार से आईपीएस अफसरों की लिस्ट मंगलवार तक मांगी है। पीठ ने यूपी सरकार से कहा कि ये अफसर यूपी काडर के हों, लेकिन यूपी के रहने वाले ना हों। मंगलवार तक इनके नाम मांगें हैं।

सुनवाई के दौरान पीठ में मामले की जांच कर रहे SIT के चीफ उमेश चंद्र अग्रवाल के ट्रांसफर का भी मामला उठा। पीठ ने कहा कि वह इस मामले में देखेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ याचिकाएं दाखिल हुई हैं, जिसमें कहा गया है कि उनको अभी तक मुआवज़ा नहीं मिला है। उत्तर प्रदेश सरकार की वकील गरिमा प्रसाद ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगी कि मुआवज़ा मिले।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट मामले की डे टू डे जांच की निगरानी के लिए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रणजीत सिंह , पूर्व जज जस्टिस राकेश कुमार के नाम का सुझाव दिया था। पीठ ने यूपी सरकार से हाईकोर्ट के पूर्व जज से पूरे मामले निगरानी कराने के कोर्ट के सुझाव पर अपना जवाब मांगा था।

गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने यूपी सरकार की जांच को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए थे। पीठ ने सुनवाई के दौरान साफ कहा था कि हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि एक विशेष आरोपी को 2 एफआईआर को ओवरलैप करके लाभ दिया जा रहा है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अब कहा जा रहा है कि दो एफआईआर हैं। एक एफआईआर में जुटाए गए सबूत दूसरे में इस्तेमाल किए जाएंगे एक आरोपी को बचाने के लिए, दूसरी एफआईआर में एक तरह से सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं। चीफ जस्टिस ने कहा, दोनों एफआईआर की अलग-अलग जांच हो।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था कि एक किसानों की हत्या का मामला है तो दूसरा पत्रकार व राजनीतिक कार्यकर्ता का। गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं जो मुख्य आरोपी के पक्ष में लगते हैं। हरीश साल्वे ने कहा था कि अगर कोई आगे आता है और कहता है कि उसका बयान दर्ज किया जाए तो हमें वह करना होगा। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा था कि यह अलग बात है जब आप कुछ लोगों की पहचान करने का प्रयास करें और फिर बयान दर्ज करें। पीठ ने कहा था कि हम किसी दूसरे हाईकोर्ट के रिटायर जज को जांच की निगरानी के लिए नियुक्त करेंगे। दोनों एफआईआर की अलग-अलग जांच हो अलग-अलग ही चार्जशीट दाखिल हो।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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