Tuesday, April 23, 2024

आदिवासी विश्वविद्यालय में आदिवासी छात्रों के प्रवेश में ही रोड़ा अटका रहा है केंद्र

रायपुर। देश के एकमात्र केंद्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय में आदिवासियों की ही भागीदारी रोकने की कोशिश शुरू हो गयी है। इसके लिए रास्ता चुना गया है आदिवासियों को प्रवेश परीक्षा शामिल न होने देने का। 

मामला इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी का है जिसके इस वर्ष की प्रवेश परीक्षा के लिए पूरे दक्षिण भारत में केवल एक परीक्षा केंद्र बनाया गया है। ऐसे ढेर सारे आदिवासी बहुल क्षेत्र हैं जहां एक भी परीक्षा केंद्र की व्यवस्था नहीं की गई है।

आप को बता दें कि देश भर में इस बार 28 परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था की गई है लेकिन समूचे दक्षिण भारत के छात्रों के लिए सिर्फ एक परीक्षा केंद्र है।

आदिवासी छात्र संघ ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय के वीसी को पत्र लिख कर इस पर कड़ा एतराज़ ज़ाहिर किया है। उसने कहा है कि पिछले वर्ष भारत के तमाम आदिवासी बहुल क्षेत्रों में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्र थे लेकिन इस वर्ष जो-जो आदिवासी बहुल क्षेत्र हैं वहां से परीक्षा केंद्र को हटा दिया गया है। जबकि कम जनजातीय क्षेत्र वाले इलाकों में परीक्षा केंद्र दिया गया है। जैसे उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में पहले परीक्षा केंद्र हुआ करता था। लेकिन इस वर्ष नहीं है। इसके उलट जहां आदिवासी जनसंख्या बहुत कम है जैसे गोरखपुर, वाराणसी वहाँ परीक्षा केंद्र रखा गया है।

पिछले वर्ष रांची में परीक्षा केंद्र था परंतु इस वर्ष उसे जमशेदपुर शिफ्ट कर दिया गया है जहां राँची के मुक़ाबले आदिवासियों की संख्या बहुत कम है। अगर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय के इस वर्ष के परीक्षा केंद्रों को देखें तो ऐसा लगता है कि आदिवासी छात्र-छात्राओं को परीक्षा से वंचित रखने के लिए सरकार ने पूरी व्यवस्था की है। आदिवासी छात्र संघ के संजय वाली ने रांची को परीक्षा केंद्र बनाने की माँग की है। उनका कहना है कि यहां लगभग 10 लाख से अधिक आबादी आदिवासियों की है लिहाज़ा इसका प्राकृतिक हक़ बन जाता है। इसके साथ ही उन्होंने सभी आदिवासी बहुल इलाक़ों में परीक्षा केंद्र स्थापित करने को कहा है।

इस बीच कांग्रेस से जुड़े छात्र संगठन भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) ने एक बयान जारी कर कहा है कि जनजातीय विश्वविद्यालय की परीक्षा के लिए गोवा के अलावा केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के केंद्रों को हटाने के फैसले की समीक्षा होनी चाहिए। शुल्क रहित विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2020-21 के प्रवेश के लिए जारी आधिकारिक अधिसूचना में वायनाड सहित दक्षिणी राज्यों के प्रमुख केंद्र नहीं हैं। एनएसयूआई ने कहा कि छह राज्यों के छात्रों को चेन्नई केंद्र पर निर्भर रहना होगा जिससे छात्रों को परीक्षा देने के लिए लंबी यात्रा करनी होगी। संगठन ने कहा, ‘‘ हम भारत के मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल से अनुरोध करते हैं कि वह मामले को संज्ञान में लें और तार्किक फैसला लें क्योंकि देश के सभी हिस्सों के छात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए समान रूप से प्रवेश परीक्षा देने की अर्हता रखते हैं।’

(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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