Friday, April 19, 2024

नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत: सेवादारों ने फांसी पर लटके महंत का वीडियो क्यों नही बनाया?

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत को लेकर लगातार यह सवाल उठ रहा है कि सीबीआई ने यदि सभी सेवादारों के मोबाइल ले लिए हैं तो इसका यही अर्थ है कि उनके पास मोबाइल था। तो सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि जो 1.45 मिनट का जो वीडियो किसी ने बनाया है तो क्या सेवादारों ने जब दरवाजा खोलकर या तोड़कर कमरे में प्रवेश किया और महंत को फांसी पर लटके देखा तो उन्होंने कोई अपने मोबाइल से उसका वीडियो क्यों नहीं बनाया? यदि बनाया है तो पुलिस, एसआईटी अथवा सीबीआई को अभी तक दिखाया क्यों नहीं?

एक चर्चा और भी है कि मठ में रहने वाले साधु सन्यासी अपने परिचितों से यह भी सांयफुस्स में कह रहे है कि महंत की हत्या किसने की यह तो आप भी जान ही रहे हैं, यह कहने का निहितार्थ तो यही निकलता है कि महंत की संदिग्ध मौत का रहस्य मठ में ही छिपा है। अब सीबीआई इसका रहस्यभेदन कर पति है या नहीं यह आने वाले समय में पता चलेगा।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत मामले में तीनों आरोपियों से सीबीआई ने मंगलवार को सात घंटे तक कड़ी पूछताछ की। प्रयागराज के पुलिस लाइन गेस्ट हाउस में सीबीआई के अधिकारियों ने रिमांड पर लिए गए तीनों आरोपियों आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी से अलग-अलग पूछताछ की। अब इस पर अटकलें लग रही हैं कि सीबीआई ने क्या क्या सवाल पूछे जबकि सीबीआई ने अपनी जाँच पर पूरी तरह चुप्पी साध रखी है।

गौरतलब है कि महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद आनंद गिरि को पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया था, जबकि आद्या प्रसाद तिवारी को श्री मठ बाघम्बरी गद्दी और उनके बेटे को एक दिन बाद प्रयागराज से ही गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद सीजेएम हरेंद्र नाथ की कोर्ट ने आनंद गिरि और आद्या प्रसाद तिवारी को 22 सितंबर को जेल भेज दिया था। तीसरे आरोपी संदीप तिवारी को कोर्ट ने 23 सितंबर को जेल भेजा था। कोर्ट ने सोमवार 27 सितंबर को तीनों आरोपियों की सात दिन की कस्टडी रिमांड मंजूर कर ली थी।

सीबीआई मंगलवार की सुबह करीब 9 : 20 बजे पहुंची और दस मिनट बाद तीनों आरोपियों को वज्र वाहन में बिठाकर पुलिस लाइन ले गई। इससे पहले आनंद गिरि समेत तीनों आरोपियों का जेल स्थित अस्पताल में मेडिकल और कोरोना का परीक्षण करा दिया गया था। सीबीआई ने आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी से दिन भर पूछताछ की।

सीबीआई की एक टीम आरोपियों से पूछताछ में जुटी थी तो दूसरी टीम मंगलवार की सुबह मठ में फिर पहुंची। सीबीआई की फोरेंसिक विंग ने मठ के उस कमरे में चार घंटे तक जांच की जहां महंत ने फांसी लगाई थी। टीम उनके निजी कक्ष में भी गई। वहां भी कई घंटे तक सीबीआई जांच करती रही।

टीम सबसे पहले गेस्ट हाउस के उस कमरे में गई थी, जहां उनकी लाश फंदे से लटकी मिली थी। कमरे में सीबीआई चार घंटे तक रही। इसके बाद सीबीआई महंत के निजी कक्ष में गई। वहां भी टीम ने घंटों छानबीन की। सीबीआई की टीम ने इस दौरान सेवादारों से कुछ सवाल भी पूछे थे। सीबीआई की फोरेंसिक जांच चल रही है । आज कुछ वस्तुओं की दोबारा फोरेंसिक जांच की गई।

इस बीच अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले में सीबीआई जांच की न्यायिक निगरानी (ज्यूडिशियल मानीटरिंग) किए जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। हाईकोर्ट की महिला वकील सहर नक़वी की तरफ से दाखिल पत्र याचिका में सीबीआई की जांच को हाईकोर्ट की निगरानी में ही कराए जाने की अपील की गई है। याचिका को हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस और रजिस्ट्रार जनरल को ई मेल के ज़रिए भेजा जा चुका है।

याचिका में कहा गया है कि महंत नरेंद्र गिरि और उनके मठ व अखाड़े के दुनिया भर में लाखों की संख्या में अनुयायी थे। लाखों लोगों की आस्था महंत नरेंद्र गिरि के साथ जुड़ी हुई थी। महंत का शव जिस तरह संदिग्ध हालत में पाया गया था और पुलिस के पहुंचने से पहले ही घटनास्थल पर छेड़छाड़ हुई थी, उससे तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं। कई लोग इस मामले में आशंका जता रहे हैं।

याचिका में कहा गया है कि देश की सबसे बड़ी और भरोसेमंद कही जाने वाली जांच एजेंसी सीबीआई पर ज़्यादातर लोगों को भरोसा तो है, लेकिन कुछ लोगों के मन में जांच को लेकर आशंका भी है। कुछ लोग इस बात को लेकर आशंकित हैं कि सीबीआई किसी दबाव में आ सकती है या कुछ तथ्यों की अनदेखी कर जल्दबाजी व लापरवाही में जांच कर सकती है। ऐसे में सच का सामने आ पाना और महंत की मौत के गुनहगार का राजफाश होने में मुश्किल हो सकती है।

याचिका में कहा गया है कि सीबीआई जांच का नतीजा जो भी आएगा, उस पर कुछ लोग यकीन नहीं कर पाएंगे और उस पर सवाल खड़े करेंगे। ऐसे में हाईकोर्ट अगर अपनी निगरानी में सीबीआई से जांच कराएगा तो और समय -समय पर उससे प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगकर ज़रूरी दिशा- निर्देश देता रहेगा तो जांच रिपोर्ट पर उंगली नहीं उठाएगा।

सोमवार की रात को ही हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस और रजिस्ट्रार जनरल को ई-मेल के जरिए यह लेटर पिटिशन भेजी जा चुकी है। याचिका अगर मंजूर हुई तो हाईकोर्ट इस मामले में अगले दो दिनों में सुनवाई हो सकती है। इस मामले में जारी जांच से संबंधित कोर्ट में दाखिल की गई पहली इस तरह की याचिका है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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