Friday, March 29, 2024

अनिल सिन्हा

सरकारी कंपनियों की बिक्रीः कारपोरेट गणतंत्र बनाम लोकतंत्र

दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों के चारों ओर सीमेंट के कांटेदार अवरोध खड़े कर दिए गए हैं, कांटे के बाड़ लगा दिए गए हैं, इंटरनेट बंद कर दिया गया है, और इन्हें पुलिस छावनी में तब्दील...

किसान रैलीः राजधानी की बंजर होती जमीन पर लोकतंत्र की खेती

छिटपुट हिंसा की घटनाओं और लाल किले पर तिंरगा के नीचे किसानों तथा सिख समुदाय से जुड़े झंडे लहराने की घटना ने किसानों की ट्रैक्टर रैली की ऐतिहासिक भूमिका से लोगों का ध्यान हटा दिया है। सामने आए तथ्यों...

लोकतंत्रः ट्रंप से ज्यादा बड़ा खतरा हैं मोदी

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों की ओर से की गई हिंसा पर अमेरिका में तेज राजनीतिक बहस जारी है। ट्रंप को दंड देने के विभिन्न विकल्पों की ओर भी लोगों का ध्यान लगा हुआ है। इन विकल्पों में नए...

नीतीश कुमारः दुर्गति सहने की मजबूरी

एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चर्चा में हैं। यह चर्चा पूर्वोतर के सीमांत अरुणाचल प्रदेश में जेडीयू के सात में से छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने से शुरू हुई है और दिल्ली तथा पटना...

त्रासदियों के लिए याद किया जाएगा बीत रहा साल

बीता साल इतनी निराशा से भरा था कि किसी ने शायद ही उम्मीद की होगी कि वह जाते-जाते लोकतंत्र को जगा कर जाएगा। भारत की हालत यह है कि सरकार की सारी संस्थाएं सत्ताधारी पार्टी की शाखा में तब्दील...

किसान आंदोलनः सिर्फ समर्थन मूल्य या लोकतंत्र की रक्षा भी?

किसानों के आंदोलन के साथ मोदी सरकार वही कर रही है जो उसने प्रतिरोध की आवाज को दबाने के लिए पिछले साढ़े छह सालों में किया है। वह इसे देश और समाज के खिलाफ काम करने वाले तत्वों के...

क्या भारत को इंतजार है लोकतंत्र की बड़ी लड़ाई का?

इस बार संसद के शीतकालीन सत्र के नहीं होने के आसार हैं। सत्र के स्थगित होने जैसे मुद्दे को मीडिया और राजनीतिक पार्टियों ने जरूरी गंभीरता से नहीं लिया है। अगर गौर से देखें तो लोकतंत्र की नींव हिलाने...

योगी और केजरीवाल की दिवाली: आस्था या राजनीति?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देश के सबसे लोकप्रिय त्योहार दीपावली को एक राजनीतिक रूप दे दिया है। दीप की मालाएं अब गांव तथा मोहल्लों से निकल कर सत्ता के गलियारों...

बिहार के चुनावों में मीडियाः तमाशबीन या खिलाड़ी?

बिहार में एनडीए किसी तरह दोबारा सत्ता में आ गया है। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को मीडिया ऐसी शाबासी दे रहा है, जैसे उन्होंने चुनाव में जीत का कोई रिकार्ड बना लिया हो। बेहिसाब पैसा, टीवी चैनलों को प्रोपैंगडा...

अर्णब की गिरफ्तारी और पत्रकारों का निर्गुण गान

अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी के बाद उदारवादी पत्रकारों का बड़ा हिस्सा गजब की दुविधा में नजर आया। इसमें सिद्धार्थ वरदराजन और रवीश कुमार जैसे वे चेहरे भी शामिल हैं, जो सच्चे पत्रकार हैं और देश के लोकतंत्र को बेहतर...

About Me

52 POSTS
0 COMMENTS

Latest News

ग्रेट निकोबार द्वीप की प्राचीन जनजातियों के अस्तित्व पर संकट, द्वीप को सैन्य और व्यापार केंद्र में बदलने की योजना

आज दुनिया भर में सरकारें और कॉर्पोरेट मुनाफ़े की होड़ में सदियों पुराने जंगलों को नष्ट कर रही हैं,...