Friday, April 19, 2024

डॉ. सिद्धार्थ

पूंजी की सभ्यता-समीक्षा के कवि मुक्तिबोध

मुक्तिबोध गहन संवेदनात्मक वैचारिकी के कवि हैं। उनके सृजन-कर्म का केंद्रीय कथ्य है-सभ्यता-समीक्षा। न केवल कवितायें बल्कि उनकी कहानियां, डायरियां, समीक्षायें तथा टिप्पणियां सार रूप में सभ्यता समीक्षा की ही विविध विधायें हैं, वह जो उपन्यास लिखना चाहते थे,...

दलित महिलाओं के खिलाफ अपराध का गढ़ बना गया है उत्तर प्रदेश: एनसीआरबी की रिपोर्ट

जिस समय हर संवेदनशील इंसान हाथरस की शर्मशार कर देने वाले सामूहिक बलात्कार कांड की खौफनाक तस्वीरों को देखकर विचलित एवं आक्रोशित है और भीतर से हिला हुआ है, ऐसे समय में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा, बलात्कार...

भगत सिंह के प्रिय दार्शनिक-चिंतक और साहित्यकार

अरे! बेकार की नफरत के लिए नहीं,न सम्मान के लिए, न ही अपनी पीठ पर शाबासी के लिएबल्कि लक्ष्य की महिमा के लिए,किया जो तुमने भुलाया नहीं जाएगा साढ़े तेईस वर्ष की उम्र में 23 मार्च 1931 को फांसी पर...

राज्यों को आर्थिक तौर पर कंगाल बनाने की केंद्र सरकार की रणनीति के निहितार्थ

संघ नियंत्रित भाजपा, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विभिन्न तरीकों से देश की विविधता एवं विकेंद्रीकरण को समाप्त करने की कोशिश कर रही है। इसका लक्ष्य पूरे देश में संघ की सामाजिक-सांस्कृतिक नीतियों को थोपने के मार्ग की सारी...

झुग्गीवासियों ने मीडिया कर्मियों को लिखा खत, कहा-बन जाइये हमारी आवाज़

(सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जद में आयी झुग्गी बस्तियों के लोगों ने उन्हें बचाने का संघर्ष तेज कर दिया है। इस कड़ी में उन्हें राजनीतिक दलों से लेकर तमाम सामाजिक संगठनों का समर्थन हासिल हो रहा है। इस...

शहादत दिवसः शहीद गौरी लंकेश हैं कन्नड़ की प्रगतिशील बहुजन चिंतन परंपरा की अहम कड़ी

“मैं हिंदुत्व की राजनीति की निंदा करती हूं और जाति व्यवस्था की भी, जो हिंदू धर्म का हिस्सा मानी जाती है। इसके कारण मेरे आलोचक मुझे हिंदू-विरोधी बताते हैं। परंतु मेरा यह मानना है कि एक समतावादी समाज के...

जन्मदिन विशेषः पेरियार ललई सिंह यादव थे बुद्ध, पेरियार और आंबेडकर की वैचारिकी के वाहक

कांग्रेस (1885) द्वारा ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ संघर्ष शुरू करने से करीब एक दशक पहले जोतीराव फुले (11 अप्रैल, 1827-28 नवंबर, 1890) ने वर्ण-जाति व्यवस्था और पितृसत्ता के खिलाफ संघर्ष की शुरुआत कर दी थी। 1873 में प्रकाशित फुले...

अय्यंकाली ने जब बैलगाड़ी से रौंदा सवर्णों का जातीय अहंकार

केरल के पहले दलित विद्रोही अय्यंकाली को याद करते हुए मलयाली कवि पी. जी. बिनॉय लिखते हैं-                       तुम्हीं ने जलाया था, प्रथम ज्ञानदीप              ...

पतनशील हिंदू और पूंजी की संस्कृति की दुरभिसंधि: अंधकार युग की ओर बढ़ता भारत

भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब ले लेकर पश्चिम तक आरएसएस (संघ), भाजपा एंव अन्य आनुषंगिक संगठनों और कार्पोरेट घरानों का वर्चस्व केवल एक राजनीतिक और आर्थिक परिघटना नहीं है, उससे ज्यादा कहीं गहरे व्यापक स्तर पर...

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AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।