“तुम जितनी ही सीख लो धनुर्विद्या,
अर्जुन सदा तुम्हारा अगूंठा काटता ही रहेगा।
क्योंकि उसके सिर पर एकाधिक,
द्रोणाचार्यों के वरद हस्त हैं”।।
-- ‘लंतराई के एकलव्य’ पूर्वोत्तर के कवि विजय देववर्मा की कविता की लाइनें
(इसी पुस्तक के पृष्ठ 126 से)।
सुप्रसिद्ध बांग्ला...