Thursday, March 28, 2024

भारत की तर्ज़ पर अमेरिका के कई राज्यों में उठी हाशिये के समाज के लेखकों की किताबों को जलाने और बैन करने की मांग

दक्षिणपंथ ऐसी गंदगी है जो भारत जैसे पिछड़े देश और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे उन्नत देशों के बीच वैचारिक और वैज्ञानिक सोच के फर्क़ को खत्म कर देता है।

भले ही संयुक्त राज्य अमेरिका में फासीवादी डोनाल्ड ट्रंप का बोरिया बिस्तर बांधकर जनता ने विदा कर दिया है लेकिन उनके नस्लवादी ज़हरखुरान अब भी अमेरिकी समाज को बांटने और नफ़रती प्रोपेगैंडा में लगे हुये हैं।

भारत की ही तरह अमेरिका में भी दक्षिणपंथी समूह

मेनस्ट्रीम समाज से इतर हाशिये के समाज के लेखकों की किताबों का विरोध कर रहे हैं और उन पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं। भारत में जहां दलित स्कॉलर कांचा इलैया की किताबों को लेकर बैन करने की मांग उठी है तो वहीं ज्यादातर किताबें ऐसी किताबों पर बैन की मांग उठी हैं, जिनके लेखक महिलाएं, अश्वेत या एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोग हैं।

हाल ही में वर्जीनिया गवर्नर की चुनाव के दौरान कुछ पुस्तकों की जांच और प्रतिबंध लगाने का विषय राष्ट्रीय सुर्खियों में आया।

रिपब्लिकन विजेता ग्लेन यंगकिन ने इस विचार का प्रचार किया कि उनके प्रतिद्वंद्वी, डेमोक्रेट टेरी मैकऑलिफ, नहीं चाहते थे कि माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल में जो पढ़ाया जा रहा है, उसमें यह कहें।

विचाराधीन पुस्तकों में से एक थी टोनी मॉरिसन की पुस्तक ‘बिलव्ड’ भी शामिल है जो कि,एक ऐसी पुस्तक है जो गृहयुद्ध के बाद पूर्व में गुलाम बनाए गए लोगों की कहानी बताती है। पुस्तक ने 1988 में पुलित्जर पुरस्कार जीता है।

वर्जीनिया के स्पॉटसिल्वेनिया काउंटी में, स्कूल बोर्ड ने हाल ही में स्कूल के पुस्तकालयों में उन पुस्तकों को हटाने के लिए मतदान किया जिनमें कोई भी “यौन रूप से स्पष्ट” सामग्री थी।

एडम रैप की ’33 स्नोफिश’ , विशेष रूप से नाराजगी का कारण बनने वाली एक किताब, जिसमें नशीली दवाओं की लत, वेश्यावृत्ति और हिंसा शामिल है।

दो स्कूल बोर्ड के सदस्यों, रबीह अबु इस्माइल और किर्क ट्विग ने कहा कि वे प्रतिबंधित पुस्तकों को जला हुआ देखना चाहते हैं।

बता दें कि नाजी विचारधारा के विरोध में लेखकों और विचारों पर अत्याचार करने के लिए नाजी जर्मनी में ‘बुक बर्निंग’ एक प्रथा थी।

वहीं टेक्सस विधायिका के एक अन्य सदस्य ने 850 ऐसी किताबों की सूची तैयार की है, जिन्हें उन्होंने आपत्तिजनक माना है। इनमें ज्यादातर किताबें ऐसी हैं, जिनके लेखक महिलाएं, अश्वेत या एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोग हैं। उधर वर्जीनिया, नॉर्थ कैरोलिना, माइन और मिसौरी राज्यों में भी स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली कई किताबों को निशाना बनाया गया है। इनमें ऐसी किताबें भी हैं, जिनमें अमेरिका में नस्लभेद और काले समुदाय पर हुए अत्याचारों की कहानियां सम्मिलित हैं।

वर्जीनिया राज्य में स्थित स्पॉट सिल्वेनिया काउंटी में हाल में एक स्कूल बोर्ड ने ‘यौन उत्तेजक’ किताबों को लाइब्रेरी से हटाने का फैसला लिया है। उन किताबों में एक किताब 33-स्नोफिश भी है, जिसमें समाज में मौजूद मादक पदार्थों के सेवन, वेश्यावृत्ति और हिंसा की मौजूद प्रवृत्ति का उल्लेख है।

रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने कई स्कूली किताबों को प्रतिबंधित करने की मांग उठाई है। इसके बाद कैलिफोर्निया के गवर्नर हेनरी मैकमास्टर ने अपने राज्य के शिक्षा विभाग को क्वीयर (स्त्री या पुरुष से अलग पहचान वाले मनुष्यों) अस्मिता के बारे में स्कूलों की लाइब्रेरी में मौजूद एक किताब की जांच करने का आदेश दिया है। आरोप है कि इस उपन्यास में यौन अंगों का विस्तृत चित्रण किया गया है और यह पोर्नोग्राफी की श्रेणी में आता है।

‘जेंडर क्वीयरः ए मेमॉयर’ नामक इस उपन्यास की लेखिका मेया कोबाबे हैं। प्रकाशक ने इसे दसवीं कक्षा में पढ़ाने की सिफारिश की थी। यह उपन्यास एक ऐसे व्यक्ति की आत्मकथा है, जिसे लिंग और यौन की पहचान संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

टेक्सास राज्य के गवर्नर ग्रेग एबॉट ने स्कूल बोर्डों को भेजे एक पत्र में कहा है कि स्कूलों में पोर्नोग्राफी या अश्लील श्रेणी में आने वाली किताबें नहीं होनी चाहिए। लेकिन किन किताबों को ऐसी श्रेणी में माना जाएगा, इसका उन्होंने कोई स्पष्ट उल्लेख अपने पत्र में नहीं किया।

लेकिन टेक्सास राज्य के प्रतिनिधि जेफ कैसन ने राज्य के अटॉर्नी जनरल से “पब्लिक स्कूलों में यौन रूप से स्पष्ट सामग्री” की जांच करने के लिए कहा, जिसमें जेंडर क्वीर भी शामिल है।

टेक्सस में राज्य विधायिका के रिपब्लिकन सदस्य जेफ केसॉन ने ‘सरकारी स्कूलों में मौजूद यौन उत्तेजक’ किताबों की जांच का जिम्मा दिया गया है। जिन किताबों का इसमें जिक्र है, उनमें जेंडर क्वीयर भी हैं।

वर्जीनिया, उत्तरी कैरोलिना, मेन और मिसौरी सहित कई अन्य राज्यों ने भी स्कूलों में उपलब्ध कुछ पुस्तकों को लक्षित किया है, अधिकांशतः रंग और आख्यानों के युवा लोगों की कहानियां सुनाते हैं जिनमें अलगाव और नस्लवाद का यूएस इतिहास शामिल है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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