Friday, April 26, 2024

झारखंड में जनस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है फोर्टिफाइड चावल: फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट

रांची। झारखंड में पिछले दिनों रोज़ी रोटी अधिकार अभियान (आरटीएफसी) और अलायंस फॉर सस्टेनेबल एंड होलिस्टिक एग्रीकल्चर (आशा-किसान स्वराज) टीम के द्वारा 3 दिवसीय फैक्ट फाइंडिंग दौरा किया गया। दौरा करने के बाद टीम के सदस्यों ने झारखंड सरकार से आग्रह किया कि राज्य में फोर्टीफाइड चावल के वितरण को तुरंत बंद किया जाए। इस बाबत फैक्ट फाइंडिंग के तहत किए सर्वे रिपोर्ट के बारे में टीम द्वारा रांची प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से बताया गया कि यह रिपोर्ट राज्य के गरीब परिवारों, आंगनबाड़ी और स्कूलों में फोर्टीफाइड चावल के अंधाधुंध वितरण के संबंध में कई गंभीर चिंताओं की ओर इशारा करती है।

फैक्ट फाइंडिंग टीम ने इस बात पर ज़ोर दिया कि झारखंड में एनीमिया के उच्च स्तर पर होने के बावजूद, जिनमें मुख्यतः आदिवासी जनसंख्या है और जिनमें थैलेसीमिया एवं सिकेल सेल एनीमिया जैसे गंभीर रक्त विकार मौजूद हैं, आयरन फोर्टिफाइड चावल एनीमिया और कुपोषण से लड़ने का उपाय नहीं है। 

वास्तव में फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों पर एफएसएसएआई (FSSAI) के नियमों के अनुसार, अनिवार्य चेतावनी वाली लेबलिंग देने का प्रावधान है, इसे थैलेसीमिया ग्रसितों को बिना चिकित्सकीय सलाह के आयरन-फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ न दिए जाएं। 

वहीं चिकित्सा जगत सिकल सेल एनीमिया ग्रसितों को आयरन-फोर्टिफाइड पदार्थ का सेवन नहीं करने की चेतावनी देता है।

एक तरफ जहां सरकार हमारे समाज में कई लोगों के लिए आयरन फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ के सेवन से पड़ने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को समझती है और नियम बनाती है। वहीं दूसरी ओर सरकार स्वयं अपनी सभी खाद्य योजनाओं में ऐसे चावल वितरित कर रही है, जहां गरीबों के पास अपनी खाद्य सुरक्षा के लिए इस अधिकार (पीडीएस) पर निर्भर होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। 

साथ ही झारखंड में जनसंख्या आधारित जांच की कमी के कारण कई थैलेसिमिया और सिकेल सेल एनीमिया से ग्रसित लोगों को शायद यह भी पता नहीं है कि उन्हें यह बीमारी है। 

जबकि फैक्ट फाइंडिंग टीम के अनुसार सरकार बिना किसी उचित जानकारी या लाभार्थियों के साथ बातचीत के फॉर्टिफाइड चावल वितरित कर रही है।
क्षेत्र का दौरा करने से यह भी पता चला है कि बहुत से लोग इस चावल का सेवन करना पसंद नहीं करते हैं और यहां तक कि पकाने और खाने से पहले फोर्टिफाइड चावल (कर्नेल) को अलग कर रहे हैं।

टीम ने 8, 9 और 10 मई 2022 को खूंटी और पूर्वी सिंहभूम जिलों के पांच गांवों का दौरा किया, जहां उन्होंने पीडीएस लाभार्थियों, डीलरों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी रसोइयों, चावल मिल मालिक एवं अन्य जिला स्तर के अस्पतालों के अधिकारियों और मरीजों से मुलाकात की। 

टीम ने जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय और चाकुलिया विधायक समीर मोहंती से भी मुलाकात की। टीम के सदस्यों ने संबंधित राज्य स्तरीय अधिकारियों से भी बातचीत की और राज्य कैबिनेट मंत्री रामेश्वर उरांव से भी मुलाकात करके जानकारी साझा की।
प्रकाशित रिसर्चों और समीक्षाओं के अनुसार, फोर्टिफाइड चावल एनीमिया से प्रभावी ढंग से निपट सकता है, इसके प्रमाण मौजूद नहीं हैं।
यह आश्चर्य की बात है कि तथाकथित ‘पायलट’ के तीन साल पूरे होने से पहले ही, बिना मूल्यांकन और निष्कर्षों को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराए, भारत सरकार ने जल्दबाजी में देश के 257 जिलों में फोर्टिफाइड चावल के वितरण की शुरुआत कर दी है।
झारखंड में भी सरकारी पोर्टल पर उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि पूर्वी सिंहभूम (राज्य में घोषित पायलट जिला) के दो ब्लॉकों में अक्टूबर 2021 से फोर्टिफाइड चावल वितरित किया जा रहा है। हालांकि अन्य जिलों में वितरण की जानकारी पोर्टल पर साझा किए बिना कई जिलों में फोर्टिफाइड चावल पहले ही ले जाया जा चुका है।
फैक्ट फाइंडिंग दल के सदस्यों ने पूछा- “तब इस पायलट का अर्थ या उद्देश्य क्या है?”

इसमें कोई संदेह नहीं है कि “एनीमिया और अन्य कुपोषण की स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटना होगा। हालांकि दृष्टिकोण प्रमाणिक, समग्र, सुरक्षित और समुदाय नियंत्रित होना चाहिए। आहार विविधता एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है। खाद्य फोर्टिफिकेशन के ज़रिए जल्दबाजी एवं जोखिम भरे अप्रमाणित तरीकों पर ध्यान केंद्रित करने से आहार विविधता के महत्व को दरकिनार करना ठीक नहीं है।

झारखंड में नागरिक सामाजिक संगठनों ने कई पहलुओं से बताने की कोशिश की है कि और भी समग्र रूप से पोषण से निपटने के प्रभावी तरीके हैं। तरह-तरह के खाद्य पदार्थों के साथ-साथ स्थानीय लोगों के नेतृत्व वाले दृष्टिकोण की सहभागिता शिक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तो बहुत जरूरी है कि इस दृष्टिकोण को महत्व देते हुए खाद्य योजनाओं में बाजरा, दाल, अंडे, खाद्य तेल और दूध को शामिल करने के लिए अपनी खाद्य सुरक्षा टोकरी का विस्तार किया जाए। पोषण तत्वों को व्यापक रूप से पशुधन प्रणाली के समर्थन के साथ बढ़ावा दिया जाए, जो पोषण प्रदान करने के साथ-साथ आजीविका का भी माध्यम है।
इसके अलावा टीम की रिपोर्ट की सिफारिश रही है कि एक अच्छी तरह से प्रबंधित सूक्ष्म पोषक तत्व पूरक कार्यक्रम ऐसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की आपूर्ति के साथ सुचारू रूप से चलाए जाएं।

फैक्ट फाइंडिंग टीम में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ वंदना प्रसाद जो रोज़ी रोटी अधिकार अभियान से भी जुड़ी हैं, आशा-किसान स्वराज से किसान अधिकार कार्यकर्ता कविता कुरुगंती, भोजन का अधिकार अभियान झारखंड से बलराम और जेम्स हेरेन्ज, ग्रीनपीस इंडिया से रोहिन कुमार, आशा-किसान स्वराज से सौमिक बनर्जी और रोज़ी रोटी अधिकार अभियान-राष्ट्रीय सचिवालय के राज शेखर सिंह शामिल थे।

फोर्टिफाइड चावल बनाने की प्रक्रिया की बात करें तो इसके लिए पहले सूखे चावल को पीसकर आटा बनाया जाता है, फिर उसमें सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाए जाते हैं। उसके बाद पानी के साथ इन्हें सही तरीके से मिक्स किया जाता है। फिर मशीनों की मदद से सुखाकर इस मिश्रण को चावल का आकार दिया जाता है, जिसे Fortified rice कर्नेल (FRK) कहा जाता है।

बताते चलें कि खाद्य मंत्रालय के मुताबिक देश में हर दूसरी महिला में खून की कमी है और हर तीसरा बच्चा कुपोषित है। 

कहना ना होगा कि भारत में कुपोषण एक गंभीर समस्या है और 113 देशों के ग्लोबल फूड सिक्योरिटी इंडेक्स में भारत का नंबर 71 वां है।

फोर्टिफाइड चावल की बात करें तो इसका मतलब है, पोषणयुक्त चावल। इसमें आम चावल की तुलना में आयरन, विटामिन बी-12, फॉलिक एसिड की मात्रा अधिक है। इसके अलावा जिंक, विटामिन ए, विटामिन बी वाले फोर्टिफाइड चावल भी विशेष तौर पर तैयार किए जा सकते हैं। फोर्टिफाइड चावल को आम चावल में मिलाकर खाया जाता है। यह देखने में बिल्कुल आम चावल जैसा ही लगता है। इसका स्वाद भी बेहतर होता है। भारत के फूड सेफ्टी रेग्युलेटर FSSAI के मुताबिक फोर्टिफाइड चावल खाने से भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है। 

इस पर बात करें तो केन्द्र सरकार द्वारा कुपोषण जैसी गंभीर समस्या को दूर करने के लिए एक महत्वाकांक्षी अभियान फोर्टिफाइड चावल (Fortified rice) के वितरण के तौर पर शुरू की गई है। इसके तहत मिड डे मील और राशन की दुकान पर फोर्टिफाइड चावल (Fortified rice) को बढ़ावा दिया जा रहा है।

ऐसे में फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट कई सवाल खड़े करती है, जिस पर गंभीरता से विचार होना चाहिए। 

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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