Thursday, March 28, 2024

जनहित याचिका की प्रक्रिया दोषारोपण के बजाए,तंत्र को मजबूत बनाने के लिए हो: सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय के जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने बुधवार को कहा कि ‘हर जगह समस्याएं’ हैं और जनहित याचिका (पीआईएल) का इस्तेमाल किसी पर दोषारोपण करने के बजाए तंत्र को मजबूत बनाने में किया जाना चाहिए। न्यायालय ने समस्याओं के समाधान तलाशे जाने की जरूरत पर भी जोर दिया। न्यायालय ने यह भी कहा कि तंत्र में खामियां तलाशने का ‘चलन शुरू’ हो गया है लेकिन समस्याओं पर चर्चा करने और तंत्र को दोष देने के बजाए, इन समस्याओं का समाधान तलाशने की कोशिश होनी चाहिए।

पीठ ने कहा कि समस्याएं हर जगह हैं। हमें यह स्वीकारना चाहिए। हमें तंत्र को मजबूत बनाने के लिए जनहित याचिका की प्रक्रिया का इस्तेमाल करना है, किसी पर दोष मढ़ने के लिए नहीं।’  पीठ दिव्यांग बच्चों को गुणवत्तापरक प्रशिक्षण और शिक्षा प्रदान करने के लिए नियुक्त योग्य विशेष शिक्षकों से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील शोएब आलम से कहा कि उसने मामले में उठाई गई समस्या की गंभीरता पर ध्यान दिया है और उसे यह देखना है कि बुनियादी ढांचे में कैसे सुधार किया जा सकता है। पीठ के अनुसार, संबंधित अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा जाए कि संबंधित कानूनों और नियमों में प्रदान किए गए उपायों को ठीक से लागू किया जाए।

पीठ ने कहा कि हर जगह कई समस्याएं हैं। इसलिए संस्थानों की बात क्यों करें। यहां तक कि हमारे तंत्र में भी इसकी सब चर्चा कर रहे हैं। हम उस तरह से आगे नहीं बढ़ रहे हैं, जैसे हमें बढ़ना चाहिए। अगर अदालतें काम नहीं कर रहीं, अगर अदालतें तय समय सीमा के भीतर न्याय नहीं दे रहीं तो ‘कानून का शासन’ संविधान में एक अभिव्यक्ति मात्र है।

जस्टिस खानविलकर ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की हालत देखिए, हमें यह नहीं कहना चाहिए लेकिन मैं तब से सुनता आ रहा हूं जब से मैं प्रैक्टिस कर रहा था कि आपराधिक अपीलों में 20 वर्ष लग जाते हैं।’ जब अधिवक्ता ने कहा कि हालात अब भी नहीं बदले हैं, तब पीठ ने कहा कि इसमें सुधार नहीं हो रहा है।

कोरोना से मरने वालों के परिजनों को मिलेंगे 50 हजार रुपए

कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को मुआवजे के तौर पर 50 हजार रुपए की राशि दी जाएगी। केंद्र सरकार ने कल उच्चतम न्यायालय को बताया कि कोविड-19 से मरने वालों के परिजनों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि मिलेगी। सरकार ने यह भी कहा कि यह राशि राज्य सरकार की ओर से दी जाएगी। सरकार ने अदालत को यह भी बताया कि मुआवजे का भुगतान न केवल पहले से हुई मौतों के लिए बल्कि भविष्य के लिए भी किया जाएगा। केंद्र ने कोर्ट को बताया कि राहत कार्यों में शामिल लोगों को भी अनुग्रह राशि दी जाएगी।

उच्चतम न्यायालय में मुआवजे की राशि को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई हैं। विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष केंद्र सरकार ने पहले ही कह दिया था कि वह कोरोना से होने वाली हर मौत पर परिजन को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा नहीं दे सकती है। हालांकि, कोर्ट ने भी सरकार की इस बात पर सहमति जताई थी और बीच का रास्ता निकालने को कहा था।

श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर ट्रस्ट की विशेष ऑडिट

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केरल के श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर ट्रस्ट की ओर से दाखिल की गई एक याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में शीर्ष अदालत की ओर से पिछले साल जारी किए गए 25 साल के विशेष ऑडिट को रद्द करने की मांग की गई थी। इस ट्रस्ट का संचालन त्रावणकोर शाही परिवार की ओर से किया जाता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह विशेष ऑडिट जितनी जल्दी हो सके पूरा होना चाहिए, बेहतर हो कि अगर तीन महीने में पूरा हो जाए।

जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम की रिपोर्ट पर पहले ही मंदिर और इसकी संपत्तियों का विशेष ऑडिट कराने का निर्देश दिया था। यह ऑडिट पूर्व सीएजी विनोद राय द्वारा किए जाने को कहा गया था। सुब्रमण्यम को इस मामले में 24 अप्रैल 2014 को एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया गया था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में वित्त वर्ष 1989-90 से 2012-14 तक ऑडिट कराने का सुझाव दिया था।

केरल में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की प्रशासनिक समिति ने इस मंदिर न्यास के विशेष ऑडिट का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय से 17 सितंबर को कहा था कि बीते कुछ समय से मंदिर बहुत कठिनाई भरे समय से जूझ रहा है और मंदिर में चढ़ाया जाने वाला दान इसके खर्चों को ही पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

28 साल से जेल में बंद दो सजायाफ्ता को जमानत

उच्चतम न्यायालय ने केरल में 28 सालों से जेल में बंद दो सजायाफ्ता कैदियों की समय से पूर्व रिहाई के प्रस्ताव के मामले में फैसला नहीं करने पर संबंधित अथॉरिटी को फटकार लगाई है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सरकारी प्रक्रिया अदालती आदेश के हिसाब से चलेगा।

केरल सरकार के संबंधित अधिकारियों को फटकार लगाते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पहले के आदेश के बावजूद संबंधित अधिकारियों द्वारा इस मामले में फैसला नहीं लिया गया इस बात पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जहरीली शराब मामले में तीन दशक पुराने केस में उम्रकैद की सजा काट रहे दोनों शख्स को जमानत पर रिहा किया जाए। शराब कांड में 31 लोगों की मौत हुई थी। इन दोनों की पत्नियों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उक्त आदेश पारित किया।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

  

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