Thursday, March 28, 2024

17 जनवरी तक फ्लैट खरीदारों को रुपये लौटाएं या जेल जाएं सुपरटेक निदेशक : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नोएडा में 40 मंजिला ट्विन टावरों में फ्लैटों खरीदारों को रुपये लौटाने में विफल रहने पर रियल एस्टेट की दिग्गज कंपनी सुपरटेक को फटकार लगाई, जिसे कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में ढहाने का निर्देश दिया था। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ घर खरीदारों द्वारा अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि एक तरफ, सुपरटेक ने उन्हें अपने पैसे लेने के लिए आमंत्रित किया, दूसरी तरफ, जब उन्होंने कंपनी से संपर्क किया, तो उन्हें बताया गया कि पैसा कुछ कटौतियों के साथ किश्तों में वापस दिया जाएगा जो न्यायालय द्वारा इंगित नहीं किया गया था।

लाइव लॉ के अनुसार जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुपरटेक की ओर से पेश अधिवक्ता से कहा कि हम आपके निदेशकों को अभी जेल भेजेंगे। वे उच्चतम न्यायालय के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं! निवेश की वापसी पर ब्याज नहीं लगाया जा सकता है। आप अदालत के आदेश का पालन नहीं करने के लिए सभी प्रकार के कारणों की तलाश कर रहे हैं। सुनिश्चित करें कि भुगतान सोमवार तक किया जाए, अन्यथा गंभीर परिणाम होंगे। पीठ ने नोएडा प्राधिकरण को नोएडा एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग प्रोजेक्ट में ट्विन टावरों को गिराने का काम सौंपे जाने वाली एजेंसी को अंतिम रूप देने के लिए भी कहा। इसने प्राधिकरण को 17 जनवरी को जवाब देने का निर्देश दिया।

दरअसल उच्चतम न्यायालय ने 31अगस्त, 2021 को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें भवन मानदंडों के उल्लंघन के लिए नोएडा में सुपरटेक लिमिटेड की एमराल्ड कोर्ट परियोजना में 40 मंजिला ट्विन टावरों को गिराने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि अपीलकर्ता सुपरटेक द्वारा तीन महीने की अवधि के भीतर नोएडा के अधिकारियों की देखरेख में तोड़फोड़ का काम अपने खर्च पर किया जाना चाहिए। सुरक्षित ढंग से तोड़फोड़ सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) द्वारा इसकी निगरानी की जाएगी।

तोड़फोड़ का कार्य सुपरटेक द्वारा नोएडा के अधिकारियों की देखरेख में अपने खर्चे पर किया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि मौजूदा निर्माणों को प्रभावित किए बिना तोड़फोड़ का कार्य सुरक्षित तरीके से किया जाए, नोएडा अपने विशेषज्ञों और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की के विशेषज्ञों से परामर्श करेगा। तोड़फोड़ का कार्य सीबीआरआई के समग्र पर्यवेक्षण में किया जाएगा। यदि सीबीआरआई ऐसा करने में अपनी असमर्थता व्यक्त करता है, तो नोएडा द्वारा एक अन्य विशेषज्ञ एजेंसी को नामित किया जाएगा। तोड़फोड़ की लागत और विशेषज्ञों को देय शुल्क सहित सभी आकस्मिक खर्च अपीलकर्ता (सुपरटेक) द्वारा वहन किए जाएंगे।

सुपरटेक को दो महीने की अवधि के भीतर एपेक्स और सियाने (टी-16 और टी-17) में सभी मौजूदा फ्लैट खरीदारों को रिफंड कर देना चाहिए। उनके अलावा जिन्हें पहले ही रिफंड किया जा चुका है। ये आवंटित फ्लैटों के लिए निवेश की गई सभी राशि ब्याज सहित निर्णय की शर्तों के अनुसार संबंधित जमा की तारीख से वापसी की तारीख तक देय 12 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से होगी। कोर्ट ने बिल्डर को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को 2 करोड़ रुपये हर्जाने का भुगतान करने का भी निर्देश दिया।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने पाया कि मानदंडों के उल्लंघन में निर्माण को सुविधाजनक बनाने में नोएडा अधिकारियों और बिल्डरों के बीच मिलीभगत थी और वर्तमान मामले में नोएडा के अधिकारियों की “बड़े पैमाने पर” मिलीभगत थी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने फैसले के अंश पढ़े, “मामले का रिकॉर्ड ऐसे उदाहरणों से भरा हुआ है जो बिल्डर के साथ नोएडा प्राधिकरण की मिलीभगत को दर्शाता है, मामले में मिलीभगत है। हाईकोर्ट ने इस मिलीभगत के पहलू को सही ढंग से देखा है।

पीठ ने फैसले में कहा कि अवैध निर्माण से सख्ती से निपटा जाना चाहिए। निर्णय में शहरी आवास की बढ़ती जरूरतों के बीच पर्यावरण को संरक्षित करने की आवश्यकता के संबंध में भी टिप्पणियां की गईं। पीठ ने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा और इस पर कब्जा करने वाले लोगों की भलाई को शहरी आवास की बढ़ती मांग की आवश्यकता के साथ संतुलित किया जाना चाहिए।” सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि ट्विन टावरों के निर्माण से पहले यूपी अपार्टमेंट अधिनियम के तहत व्यक्तिगत फ्लैट मालिकों की सहमति आवश्यक थी क्योंकि नए फ्लैटों को जोड़कर सामान्य क्षेत्र को कम कर दिया गया था। हालांकि अधिकारियों की मिलीभगत से दो टावरों का निर्माण अवैध रूप से कराया गया।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles