कब हिंसा अपराध है और कब न्याय?

माओवादी आन्दोलन एक बार फिर चर्चा में है, कहीं सरकारी कार्यवाहियों की निंदा हो रही है तो कहीं माओवादी कम्युनिस्टों…

युद्धकाल और पत्रकारिता : क्या पत्रकार No Man’s Land पर खड़े होकर रिपोर्ट कर सकता है? 

दोस्तो, सबसे पहले एक सीधा सवाल- क्या मैच रेफरी या अंपायर, खिलाड़ी की भूमिका में आ सकते हैं? यानी एक…

पश्चिम किस तरह नाजी हार की सच्चाई को मिटाना चाहता है

यह विस्मृति पश्चिमी ताकतों के शीत युद्ध के उद्देश्यों से मेल खाती थी, और आज भी यह विस्मृति तमाम देशों…

पहलगाम त्रासदी और भारतीय प्रतिनिधिमंडलों की विदेश यात्राएं

पहलगाम में हुए आतंकी हमले का भारत की जनता पर गहरा असर हुआ है। जहां प्रधानमंत्री मोदी डींगे हांकते रहे…

क्या पाकिस्तान की मदद के लिए चीन ही नहीं अमेरिका और रूस भी आगे आ रहे हैं?

मोदी सरकार जहां ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता को भुनाने के लिए देश के कोने-कोने में पीएम नरेंद्र मोदी की रैली,…

संविधान के संरक्षक की भूमिका से सुप्रीम कोर्ट का लगातार भटकाव

पिछले दस-11 सालों में, जब से नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने हैं, सुप्रीम कोर्ट में एक दो नहीं, जितने भी सीजेआई  बने हैं, सभी कहीं न…

महिलाओं की असुरक्षा, अपमान और बढ़ती यौन हिंसा से सरकार की कमज़ोरी उजागर 

राजनीति के गलियारे आजकल ‘बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ’ से नहीं गूंजते उनकी जगह बलात्कारियों की खबरें चटकारे लेकर सुनाई…

एनसीईआरटी की नयी पाठ्यपुस्तक, साम्प्रदायिकता की पाठशाला

जी हां, ये सारे सवाल गंभीर हैं। इसलिए एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है। बेहद…

बीजेपी की चाल : देश को बुनियादी मुद्दों पर सोचने का समय ही मत दो

कल मुंबई में अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (IIPS) में एक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने…

जनरेटिव एआई एक सभ्यतागत बदलाव है! 

आज के “टेलिग्राफ़“ के बिज़नेस पृष्ठ पर टाटासन्स के चेयरमैन एन चन्द्रशेखर के एक कथन की ख़बर की सुर्ख़ी है-“Gen…