आज सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार मतदाता सूची मामले पर जो रुख अपनाया है, उससे उम्मीद की जानी चाहिए कि चुनाव आयोग अपनी इस वोट कटवा योजना से पीछे हटने के लिए मजबूर होगा।
वैसे किसानों के ऐतिहासिक आंदोलन के बाद 9 जुलाई को देश ने एक बार फिर देश के एक राज्य में एक विराट आंदोलन का आगाज देखा। जिस तरह विपक्षी दलों के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे और उनको जो लोकप्रिय समर्थन मिला, उससे यह साफ है कि मामला यदि सुलझा नहीं तो आंदोलन का उग्र होना तय है और देश एक बार फिर 74के जेपी आंदोलन जैसे किसी नए आंदोलन का साक्षी बन सकता है। चुनाव आयोग के माध्यम से चुनाव धांधली का सरकार का तिकड़म न सिर्फ उल्टा पड़ सकता है, बल्कि यही चुनाव का मुख्य मुद्दा बन सकता है, चुनाव इसी मुद्दे पर एक आंदोलन का रूप धारण कर सकता है और NDA को मुंह की खानी पड़ सकती है।
9जुलाई को विपक्षी महागठबंधन के सभी बड़े नेता पटना की सड़कों पर उतरे और पूरा बिहार, कुछ छिट-पुट अपवादों को छोड़कर करीब करीब बंद रहा।
वैसे तो कल ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल भी थी, लेकिन स्वाभाविक रूप से बिहार में केंचुआ का फरमान ही, जिसे उचित ही वोटबंदी करार दिया जा रहा है, जनाक्रोश के निशाने पर रहा। दरभंगा में विपक्षी दलों के समर्थकों ने नमो भारत ट्रेन को रोक जमकर प्रदर्शन किया। भोजपुर के बिहिया स्टेशन पर श्रमजीवी एक्सप्रेस और विभूति एक्सप्रेस को कुछ देर के लिए रोक दिया।
बेगूसराय में आरजेडी कार्यकर्ताओं ने एनएच-31 को जाम कर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जहानाबाद में भी विपक्षी दलों ने मेमू पैसेंजर ट्रेन को रोक कर विरोध जताया। पटना के मनेर में NH-30 को भी जाम कर दिया गया। माले के नेतृत्व में आरा-सासाराम मुख्य मार्ग को भी जाम कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। सैकड़ों गाड़ियां जाम में फंसी रही।
मनेर में एनएच-30 को प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर जाम कर दिया। वहीं, भाकपा (माले) के नेतृत्व में आरा-सासाराम मार्ग को अवरुद्ध कर दिया गया, जिससे सैकड़ों वाहन जाम में फंस गए। पूर्णिया में पप्पू यादव समर्थकों द्वारा सचिवालय हाल्ट पर रेल चक्का जाम किया गया है।
दो दिन पहले तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वोटर वेरिफिकेशन प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था, “6 जुलाई को चुनाव आयोग से मिलकर आपत्ति दर्ज कराई थी, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। लगता है पटना का चुनाव आयोग निर्णय लेने की स्थिति में नहीं, बस एक पोस्ट ऑफिस बनकर रह गया है।”
सचमुच चुनाव आयोग कितनी सक्षमता पूर्वक काम कर रहा है उसको इसी से समझा जा सकता है कि एक महिला के वोटर ID पर नीतीश कुमार की फोटो छपी हुई है। बहरहाल 9जुलाई को बिहार की जनता ने जो तेवर दिखाया है, उम्मीद की जानी चाहिए कि चुनाव आयोग अपने तुगलकी फरमानों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होगा।
9जुलाई को राजधानी पटना में बंद हुआ ही, प्रदेश के तमाम जिलों में बंदी रही। सचिवालय हॉल्ट स्टेशन पर ट्रेनों की आवाजाही बाधित रही। नेताओं ने आरोप लगाया कि आयोग गरीबों के वोट काट रहा है। यह वोटबंदी की साजिश है जो संविधान विरुद्ध है, इससे लोकतंत्र कमजोर होगा। यह जनादेश छीनने का प्रयास है। भगवानपुर में सड़क पर भैंस बांधकर लोगों ने सड़क जाम कर दिया। कहीं टायर जलाकर सड़क जाम की गई तो कहीं लोग सुनसान सड़क पर क्रिकेट खेलते नजर आए।
पटना हाजीपुर गांधी सेतु जम रहा तो हाजीपुर मुजफ्फरपुर रोड को टायर जलाकर जम किया गया। यह बंद लोकतंत्र की रक्षा के लिए था, इसीलिए एंबुलेंस और स्कूलों की गाड़ियों को नहीं बाधित किया गया। दरभंगा में नमो भारत ट्रेन को रोक गया।मधुबनी में दरभंगा सुपौल रेलखंड को बाधित किया गया।भागलपुर में उल्टापुल पर जाम किया गया। विख्यात गया भी पूरा बंद था।कैमूर में दिल्ली कलकत्ता हाईवे NH 19 जाम रहा।खगड़िया में NH 31जम रहा, साथ ही राजेंद्र चौक जम रहा। बिहार की आर्थिक राजधानी में जीरो माइल चौक के साथ ही मुजफ्फरपुर दरभंगा और मोतिहारी रोड ठप रहा।
नालंदा में थोड़ी झड़प के बावजूद जाम रहा। बिहारशरीफ बख्तियारपुर रोड जाम रहा।पूर्णिया में RN साह चौक और गिरिजा चौक जम रहा। सारण में शिवहर सीतामढ़ी रोड पर टायर जलाकर प्रदर्शनकारी सड़क पर लेट गए। शेखपुरा में NH 33A जाम करके टायर जलाकर बंद करवाते लोग देखे गए।सिवान बंद रहा।गोपालगंज मोड़ ब्लॉक कर लोगों ने आवागमन बंद करवाया। पश्चिमी चम्पारण में NH 72 जाम कर लोगों ने जुलूस निकाला और सभा किया।अररिया में फारबिसगंज रेलवे स्टेशन जाम किया गया जिसमें पांच लोगों को हिरासत में भी लिया गया। 10जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के ठीक पहले इस मामले में जनता का यह राज्यव्यापी तीखा प्रतिवाद सामने आया, इसका अपना महत्व है। भाजपा जेडीयू के लिए भी सर्वोच्च न्यायालय का आज का फैसला बड़ा झटका है।
आशा की जानी चाहिए कि बिहार की जनता के बगावती तेवर और उच्चतम न्यायालय के आज के रुख के बाद चुनाव आयोग अपने तुगलकी फरमान से पीछे हटेगा और बिहार के सभी मतदाताओं के मताधिकार की रक्षा होगी।
(लाल बहादुर सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष हैं।)