Friday, March 29, 2024

साक्षात्कार: महागठबंधन के सरकार बनाने पर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर रहेगा जोर- दीपंकर भट्टाचार्य

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के प्रमुख घटक भाकपा (माले) ने सरकार बनने पर विकास योजनाओं को लेकर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार करने पर जोर देगी। जिससे कि विकास कार्यक्रमों को प्राथमिकता के आधार पर लागू कराया जा सके। पार्टी महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य का मानना है कि लोकतंत्र की हत्या व संवैधानिक संस्थाओं के सांप्रदायीकरण के खिलाफ नए बिहार में राजनीतिक माहौल बनाने की हमारी कोशिश सफल रही है। विपक्षी दलों के मतों के विभाजन को रोकते हुए बदले हुए माहौल में जदयू व भाजपा के अवसरवादी गठजोड़ को उखाड़ फेंकने का प्रदेश की जनता ने भी मन बना लिया है।

मौजूदा राजनीतिक स्थिति व चुनाव में महागठबंधन की भागीदारी समेत विभिन्न सवालों पर जनचौक के लिए स्वतंत्र पत्रकार जितेंद्र उपाध्याय ने दीपंकर भट्टाचार्य से विस्तार से वार्ता की। पेश है बातचीत का प्रमुख अंश:

जितेंद्र : बिहार विधान चुनाव में आपकी पार्टी का सबसे प्रमुख एजेंडा क्या है?

दीपंकर भट्टाचार्य: लोकतंत्र को बचाने के लिए भाजपा को रोकना हमारा पहला एजेंडा है। पिछले 15 साल के नीतीश सरकार में न्याय के साथ विकास के दावे के विपरीत हालात यह है कि अपराध, भ्रष्टाचार बढ़ा है, शिक्षा चौपट व रोजगार बढ़ने के बजाय खत्म हुए हैं । सरकार सड़कों का जाल बिछाने का दावा कर रही थी उसके कार्यकाल में उद्घाटन के साथ ही पुल टूटने की खबरें आ रही हैं। केंद्र सरकार के वर्ष 2014 के अच्छे दिनों के दावे जहां जुमले साबित हुए हैं वहीं कोरोना काल ने विकास के सारे दावों को खोखला साबित कर दिया है। ऐसे हालात में डबल इंजन की कही जा रही सरकार डबल बुलडोजर की सरकार बन कर रह गई है। जिसे उखाड़ फेंकना हमारा सबसे प्रमुख एजेंडा है।

जितेंद्र : महागठबंधन में शामिल होने के पीछे आपकी पार्टी का मुख्य उद्देश्य क्या है ?

दीपंकर भट्टाचार्य: पूरे देश में जब से बीजेपी की सरकार बनी है लोकतंत्र खतरे में है। अभी हाल में ही यह देखने को मिला कि राज्यसभा में बिना बहुमत के ही कृषि संबंधी तीन बिलों को सरकार ने पास करा दिया। भाजपा की सफलता लोकतंत्र के लिए घातक है। सरकार पंचायतों से लेकर केंद्र तक पूरा विपक्ष खत्म कर देना चाहती है। इसे देखते हुए हमने सचेतन प्रयास किया। विपक्षी मत खराब न हो, इसके लिए वामपंथी पार्टियों समेत महागठबंधन के घटक दलों ने सामूहिक प्रयास किया है। इस तरह महागठबंधन में शामिल होने का हमारी पार्टी का मुख्य उद्देश्य पूरा होते नजर आ रहा है।

जितेंद्र : वामपंथी पार्टियां कभी इस, कभी उस बुर्जुआ गठबंधन का हिस्सा बनती रही हैं, इससे उन्हें भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन को आगे बढ़ाने में क्या मदद मिली। इस संदर्भ में आपके वर्तमान गठबंधन को कैसे देखें?

दीपंकर भट्टाचार्य: वामपंथ के सामने बड़ी चुनौती है। इसके बावजूद मौजूदा हालात में अधिकतम तथा तात्कालिक एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए हमने कोशिश की है। लंबी लड़ाई का हमारी पार्टी का इतिहास रहा है। इसे हम कम नहीं होने देंगे। इसको लेकर हमारी पार्टी सजग है चुनाव में तालमेल के दौरान हमने अपने संघर्ष के इलाकों में अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की कोशिश की है। छात्र-नौजवानों की शिक्षा व रोजगार के सवाल को लेकर हाल के वर्षों में हमारी पार्टी ने लगातार संघर्ष की है । निर्दोष छात्रों को आतंकवादी करार देने जैसी घटनाओं को लेकर इंसाफ मंच का गठन किया गया। आशा, आंगनबाड़ी समेत स्कीम आधारित योजनाओं में काम करने वाले कर्मियों के वेतन वृद्धि व नियोजित शिक्षकों के सवाल को हमने आंदोलन के माध्यम से उठाया है।

जितेंद्र : कभी कांग्रेस विरोध और कभी  धर्मनिपेक्षता की रक्षा के लिए वामपंथी पार्टियां भिन्न-भिन्न बुर्जुवा पार्टियों से गठबंधन करती रही हैं, इससे वामपंथ और भारतीय मेहनतकश जन को क्या हासिल हुआ? 

दीपंकर भट्टाचार्य: गठबंधन का यह लाभ है कि हमने कई जगहों पर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा तैयार कर उसे रोकने में कामयाबी हासिल की है। देश के लिए ये सबसे अधिक खतरा हैं। यूपीए सरकार का वामपंथी दलों ने समर्थन कर मनरेगा, सूचना का अधिकार, खाद्यान्न का अधिकार, शिक्षा का अधिकार जैसे तमाम कानूनों को पास कराने में सफलता हासिल की है।

जितेंद्र : बेरोजगारी और पलायन बिहार की मुख्य समस्या रही है। इसके समाधान का आपका रोड मैप क्या है और उस रोड़ मैप पर आपकी महागठबंधन से कोई सहमति बनी है या नहीं?

दीपंकर भट्टाचार्य: सरकार गठन की स्थिति में कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बने इसको लेकर हमारी पार्टी पहल करेगी। रोजगार देने का आरजेडी समेत महागठबंधन के सभी सहयोगी दलों ने वादा किया है। मजदूरों का पलायन रोक कर सम्मानजनक व सुरक्षित रोजगार का इंतजाम करना हमारी कोशिश होगी । लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के अपमान झेलने की खबरें किसी से छुपी नहीं है। इस पलायन को कम करना होगा। औद्योगिक विकास, कृषि आधारित विकास हमारा एजेंडा है। मनरेगा मजदूरों के पलायन रोकने में नहीं भूख से बचाने में कामयाब साबित हुई है । यह कमजोर कानून है। मजदूरी कम है। प्रति व्यक्ति रोजगार का वादा व सभी को 200 दिन काम दिलाने की गारंटी हमारे एजेंडे में है। शहरी मजदूरों को लेकर भी रोजगार गारंटी योजना चलाने, बेरोजगारी भत्ता देने, शिक्षा में सुधार समेत और अन्य योजनाएं हमारे रोड मैप का हिस्सा हैं।

जितेंद्र : क्या यह भाजापा को हराने के लिए बना गठबंधन है या इसका कोई अपना सकारात्मक एजेंडा भी है।

दीपंकर भट्टाचार्य: आज के वक्त में भाजपा को हराना सबसे बड़ा सकारात्मक एजेंडा है। लोकतंत्र को बचाने के लिए तथा महिला उत्पीड़न, दलित उत्पीड़न, अडानी व अंबानी को भारतीय अर्थव्यवस्था गिरवी रखने की कोशिश पर रोक लगाना हमारा एजेंडा है।

जितेंद्र : आपकी पार्टी जनांदोलनों के मातहत संसदीय चुनाव को रखती रही है, अभी क्या स्थिति है?

दीपंकर भट्टाचार्य: भाकपा (माले) की आंदोलन के पार्टी के रूप में पहचान रही है। इसे हम आगे भी कायम रखेंगे। असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के बीच हमारी पार्टी का प्रभाव बढ़ा है। महागठबंधन में रहते हुए भी इसे कायम रखना है।

जितेंद्र : आपने करीब सभी टिकट सामाजिक तौर पर गैर सवर्ण हिस्से से आये प्रत्याशियों को दिया है, यह संयोग है या इसके पीछे कोई वैचारिकी एवं रणनीति है?

दीपंकर भट्टाचार्य: हमने उम्मीदवार तय करने के दौरान आंदोलनों में सक्रिय रहे नेताओं का ध्यान रखा है। मात्र एक महिला को टिकट दे पाएं हैं। अफ़सोस है कि और महिलाओं को टिकट दे नहीं पाए। गैर सवर्णों को टिकट मिलना एक संयोग ही है। महागठबंधन में पार्टी को और सीटें मिली होती तो सवर्णों को भी स्थान मिलता।

जितेंद्र : यदि महागठबंधन सत्ता में आता है, तो आपकी पार्टी सरकार में शामिल होगी या नहीं?

दीपंकर भट्टाचार्य: सरकार बनने के बाद तय करेंगे। सरकार में शामिल हुए बिना मजबूत व स्थिर सरकार देने की कोशिश होगी। जनता के मुद्दे व आकांक्षाओं को पूरा कराना हमारा प्रयास होगा। सरकार सही दिशा में चले इसकी कोशिश रहेगी।

जितेंद्र : यदि महागठबंधन की सरकार बनती है, तो आप सरकार को किन कामों को प्राथमिकता में पूरा करने के लिए बाध्य करने की कोशिश करेंगे?

दीपंकर भट्टाचार्य: हमारी पार्टी ने चुनावी घोषणा पत्र जारी कर अपनी प्राथमिकता तय की है।कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर कार्य होगा। रोजगार के अवसर बढ़ाने, कृषि विकास, सिंचाई व्यवस्था में सुधार, भूमि सुधार, बंटाईदारों की सुरक्षा की गारंटी देंगे। किसान विरोधी कानून, एनआरसी व सीईए राज्य में लागू होने से रोकेंगे। आंदोलन करने पर उमर खालिद, डॉक्टर कफील, नवलखा आदि  नेताओं को जेल में डालने जैसी घटनाओं पर रोक लगाएंगे।

जितेंद्र : फिलहाल आपको चुनावी परिदृश्य क्या दिखाई दे रहा है? जनता का मूड क्या है? पार्टी का कोई आकलन?

दीपंकर भट्टाचार्य: टाइम्स नाऊ व सी वोटर्स ने 1 से 10 अक्तूबर के बीच राज्य में सर्वे की है। जिसमें 54.50 फीसद लोगों ने सरकार बदलने व 25 फीसद ने सरकार से नाराजगी जताई है। हालांकि सरकार बदलना नहीं चाहते। कुल मिलाकर 80 फीसद लोग सरकार से नाराज़ हैं। पालीगंज से संदीप हमारे उमीदवार हैं। इनकी चुनावी सभाओं में आम छात्र युवाओं की बड़ी संख्या में भागीदारी दिख रही है। इससे यह साफ है कि ये बदलाव चाहते हैं। नया बिहार बनाने की यह लहर है।

जितेंद्र : आप लोगों पर यह आरोप लग रहा है कि चंद्रशेखर की हत्या का जिम्मेदार जो शहाबुद्दीन था आज उसकी पार्टी के साथ आप गठबंधन किए हैं और उसके साथ वोट मांग कर रहे हैं इसको किस रूप में देखा जाए?

दीपंकर भट्टाचार्य: हमारे चंद्रशेखर, श्याम नारायण यादव की हत्या के मामले में सीबीआई जांच चली व उनके आरोपी जेलों में हैं। प्रमुख सवाल इस बात का है कि आज चंद्रशेखर होते तो, लोकतंत्र की हत्या के ख़िलाफ़ लड़ने पर उमर खालिद की तरह जेल में डाल दिए जाते। चंद्रशेखर के तमाम लेखों में आप देखेंगे कि लोकतंत्र को बचाने की वे पहले बात करते हैं। वे धर्मनिरपेक्षता की  बात करते हैं। बथानी टोला नरसंहार के सभी आरोपी हाईकोर्ट से बरी हो गए। हमारी पार्टी इसे सुप्रीम कोर्ट ले गई है।

जितेंद्र : सीपीआई (एमएल) एक दौर में सूबे में दलित सशक्तिकरण की चैंपियन पार्टी थी लेकिन भोजपुर में भी अब वह स्थिति नहीं रही।

मनोज मंजिल का जेल के बाहर लोग स्वागत करते हुए।

दीपंकर भट्टाचार्य: दलितों के अधिकार व सम्मान की रक्षा के लिए हमारी पार्टी लड़ाई लड़ती रही है। भोजपुर ही नहीं भाकपा माले ने पूरे राज्य में विस्तार किया है।

जितेंद्र : बिहार में कहा जाता है कि राजनीतिक विश्वास का संकट है। किसको चुनें व किसको नहीं, तय करना मुश्किल हो जाता है। जनादेश के विपरीत सरकार का गठन हो जा रहा है।

दीपंकर भट्टाचार्य : दलबदल को रोकने के लिए कानून है। मेरा मानना है कि एक सदस्य के भी दल छोड़ने पर सदस्यता समाप्त होने के नियम होने चाहिए। नीतीश ने जनादेश का अपमान किया। अगर भ्रष्टाचार के सवाल पर अलग हुए तो, इस्तीफा देकर चुनाव में जाना चाहिए था। इस पर रोक के लिए कानून के स्तर पर प्रयास करेंगे।

जितेंद्र : आपकी पार्टी 19 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कितनी सीटों पर सीधी लड़ाई है?

दीपंकर भट्टाचार्य : महागठबंधन के साथ में हम सभी सीटों पर सीधी लड़ाई लड़ रहे है। कोरोना काल में सभी लोग मतदान कर सकें, यह सबसे जरूरी है। केंद्र के ही सुरक्षा बल हैं। केंद्र की सरकार कुछ भी करा सकती है। फिलहाल सरकार को को बदलने का लोगों ने मन बना लिया है।

जितेंद्र : राहुल गांधी के साथ आप चुनाव में मंच शेयर करेंगे?

दीपंकर भट्टाचार्य : गठबंधन के साझा चुनावी मंच पर हिस्सा लेंगे। राजग को हटाना हम सभी का मकसद है।

जितेंद्र : यह कहा जा रहा है कि महागठबंधन में सीपीआई को कम सीट मिलने पर उनके युवा संगठनों में नाराजगी है।

दीपंकर भट्टाचार्य : किस दल को कितनी सीट मिली है, यह उनका मामला है। सीपीआई किसी समय राज्य की सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी थी। अब माले संघर्ष से लेकर चुनाव तक के लिहाज से बड़ी पार्टी है। यह जरूर सही है कि वामपंथी दलों को और सीटें मिलनी चाहिए थीं। हमारी पार्टी 19, सीपीआई 6  व माकपा 4 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। आंदोलन के रास्ते आगे आई युवा पीढ़ी को हमने अवसर दिया है।

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