Friday, March 29, 2024

पीएम मोदी बन गए हैं अडानी-अंबानी के अंतरराष्ट्रीय ब्रोकर!

क्या विडंबना है कि भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लग रहे हैं कि वे विदेशों में अडानी-अम्बानी को काम दिलवाते हैं । श्रीलंका में पीएम मोदी पर अडानी का ब्रोकर होने का आरोप लगा है तो फ़्रांस में रफाल मामले में भी अम्बानी कि पैरवी का आरोप  लगा था । आरोप है कि पीएम मोदी ने श्रीलंका में अडानी पवन ऊर्जा का काम दिलाया ।बंगलादेश में भी अडानी से बिजली खरीदने का सौदा खटाई में पड़ता दिख रहा है जो 2017 में अडानी को मिला था।  

श्रीलंका की इलेक्ट्रिसिटी अथारिटी के मुखिया ने वहां की संसदीय समिति के समक्ष बयान दिया है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे ने उनसे कहा था कि भारत के प्रधानमंत्री के दबाव के चलते अड़ानी ग्रुप को 500 मेगावाट का प्रोजेक्ट सीधे दे दिया जाय! इस आरोप के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अडानी का ब्रोकर होने का आरोप लग रहा है और आप जानते हैं कि राफेल मामले में भी उनपर ऐसे ही आरोप लगे हैं और संतोषजनक जवाब अभी तक नहीं है। ये आरोप तब हैं जब प्रधानमंत्री के प्रचार में कहा गया था कि उनका कोई रिश्तेदार नहीं है वे किसके लिए भ्रष्टाचार करेंगे।

भड़ास डॉट काम पर संजय कुमार सिंह ने लिखा है कि दूसरी ओर, खबर यह भी है कि राजपक्षे ने इससे इनकार किया है। दो दिन बाद संबंधित अधिकारी ने भी ‘मान लिया’ कि वे झूठ बोल रहे थे। द वायर की 12 घंटे पहले (12 जून 2022 को दिन में कोई पौने तीन बजे से) की एक खबर के अनुसार, 24 नवंबर 2021 को राष्ट्रपति ने मुझे बुलाकर इस बाबत कहा था। श्रीलंका के न्यूजचैनल न्यूजफर्स्ट ने इससे संबधित वीडियो भी अपलोड किया है। इसीलिए झूठ बोलने की बात स्वीकार करनी पड़ी होगी। एक तरफ तो यह आरोप है और दूसरी तरफ उससे निपटने का वही पुराना तरीका। ठीक है कि गोदी मीडिया इससे मान जाएगा पर दुनिया भर के मीडिया को ऐसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता है और इस मामले में अभी ही पर्याप्त तथ्य हैं।

सच यह भी है maritimegateway.com पर 13 मार्च 2022 की एक खबर का शीर्षक अंग्रेजी में है, अडानी को श्रीलंका में पावर प्रोजेक्ट मिले। इस खबर की शुरुआत होती है कोलंबो में एक महत्वपूर्ण पोर्ट टर्मिनल परियोजना हासिल करने के बाद अडानी समूह ने…। यानी टर्मिनल परियोजना का काम अक्तूबर नवंबर में मिला होगा। और खंडन के बावजूद 500 मेगावाट की परियोजना का काम मिला ही है। 13 मार्च की खबर में यह भी लिखा है कि इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

thenewsminute की एक खबर के अनुसार, अडानी के साथ श्रीलंका के करार की घोषणा तो नहीं हुई लेकिन उसी दिन एनटीपीसी और सिलोन इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड के बीच हुए करार की घोषणा की गई थी। इसमें आगे लिखा है, श्रीलंका कि विपक्षी नेता अजीत परेरा ने मार्च में द हिन्दू से कहा था, यह सही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने श्रीलंका को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता दी है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की हमारी मूल्यवान भूमि और संसाधन को उनके मित्र अडानी के लिए चुरा लिया जाए।

परेरा ने उस समय कहा था, यह बेहद दुखद है कि अडानी समूह ने श्रीलंका में प्रवेश करने के लिए पिछला दरवाजा चुना है। प्रतिस्पर्धा से बचने को हम ठीक नहीं मानते हैं। इससे हमारी खराब अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है, भुगतान संतुलन से संबंधित मामले प्रभावित होते हैं और हमारे नागरिकों को अतिरिक्त परेशानी होती है।

maritimegateway.com खबर में यह भी लिखा है कि यह खबर अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के श्रीलंका दौरे और राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद आई है। एनडीटीवी की एक खबर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मालदीव से वापस आते हुए 07 फरवरी 2022 को श्रीलंका पहुंचे थे। 09 फरवरी 2022 की डेली मिरर की खबर है कि प्रधानमंत्री मार्च में श्रीलंका जाएंगे। जयशंकर (विदेश मंत्री) जल्दी ही आने वाले हैं। जनसत्ता ऑनलाइन की 10 जून 2022 की एक खबर के अनुसार, श्रीलंका की संसद में अडानी समूह के गौतम अडानी का विरोध, आमने-सामने आ गए विपक्ष-सरकार; ।

इसमें कहा गया है, विपक्ष का आरोप है कि अडानी ग्रुप के सहयोग से उत्तरी तट पर 500 मेगावॉट का पवन बिजली संयंत्र लगाने के लिए सरकार से सरकार के बीच करार 1989 के कानून में संशोधन की अहम वजह है। विपक्ष की ओर से विरोध के बावजूद भी सरकार ने श्रीलंका बिजली अधिनियम में संशोधनों को पारित कर दिया। 225 सांसदों वाली श्रीलंकाई संसद में 120 वोट इस संशोधन के पक्ष में पड़े जबकि 36 वोट इसके विपक्ष में डाले गए और 13 सांसदों ने इस प्रस्ताव को वोट नहीं दिया।

सीईबी की इंजीनियर यूनियन का कहना है कि ये संशोधन अडानी ग्रुप को बड़ी रिन्यूएबल एनर्जी डील देने के लिए किया जा रहा है। वहीं, एसजेबी का कहना है कि 10 मेगावॉट की क्षमता वाले ऊर्जा प्रोजेक्ट को टेंडर के जरिए ही दिया जाना चाहिए, लेकिन ज्यादातर सांसदों ने इसके खिलाफ वोट किया है। मोदी विरोधियों की जमात के अनुसार मोदी ब्रोकर का काम कर रहे हैं। संबंधित अधिकारी ने यू टर्न ले लिया है इसलिए यह खबर अब शायद गोदी मीडिया के लिए खबर न रहे।

अब श्रीलंका  में डैमेज कंट्रोल शुरू हो गया है । बिजली प्राधिकरण के प्रमुख ने एक संसदीय पैनल के सामने गवाही दी है कि उन्हें श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने उन्हें बताया था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 मेगावॉट की पवन ऊर्जा (विंड पावर) परियोजना को सीधे अडानी समूह को देने पर जोर दिया था।रिपोर्ट के अनुसार, इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए राजपक्षे ने किसी इकाई विशेष को प्रोजेक्ट देने की बात से इनकार किया। वहीं ये सनसनीखेज दावा करने के दो दिन बाद बिजली प्राधिकरण के प्रमुख ने यू-टर्न ले लिया. उन्होंने कहा कि ‘भावनाओं’ में बहकर उन्होंने ‘झूठ’ बोला था।

सार्वजनिक उद्यमों की संसदीय समिति (सीओपीई) की एक सुनवाई में सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) के अध्यक्ष एमएमसी फर्डिनेंडो ने कहा कि श्रीलंका के राष्ट्रपति ने उनसे कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री अडानी समूह को 500 मेगावाट का पवन ऊर्जा संयंत्र देने पर जोर दे रहे हैं।श्रीलंकाई चैनल न्यूज़फर्स्ट द्वारा साझा किए गए उनकी गवाही के एक वीडियो क्लिप के अनुसार, फर्डिनेंडो कहते हैं, ’24 नवंबर, 2021 को एक बैठक के बाद राष्ट्रपति ने मुझे बुलाया और कहा कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी उन पर अडानी समूह को परियोजना सौंपने के लिए दबाव बना रहे हैं।

श्रीलंका की संसद में भी इसको लेकर गहमागहमी रही है। संसद में श्रीलंका के विपक्ष ने आरोप लगाया कि अडानी समूह की भागीदारी के साथ उत्तरी तट में 500 मेगावाट पवन ऊर्जा संयंत्र बनाने के लिए सरकार-से-सरकार स्तर के एक ‘अवांछित’ समझौते की वजह से 1989 के अधिनियम में संशोधन लाया गया। मुख्य विपक्षी दल एसजेबी चाहता था कि 10 मेगावाट क्षमता से अधिक की परियोजनाएं प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया से गुजरें, लेकिन सरकार के अधिकांश सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। रिपोर्ट के अनुसार बिजली और ऊर्जा मंत्री द्वारा 17 मई, 2022 को संसद में पेश किया गया वह विधेयक एक व्यक्ति को बिजली पैदा करने के लिए उत्पादन लाइसेंस के लिए आवेदन करने के योग्य बनाता है।इस तरह यह संशोधन 25 मेगावाट की उत्पादन क्षमता से अधिक बिजली उत्पादन करने वाले व्यक्ति के लिए बिजली उत्पादन लाइसेंस जारी करने पर प्रतिबंध हटा देगा और किसी को भी उत्पादन क्षमता पर बिना किसी प्रतिबंध के इसके लिए आवेदन करने की अनुमति देगा।

बांग्लादेश में अडानी के साथ हुए बिजली आपूर्ति समझौते पर भी सवाल उठने शुरू हो गये हैं। बांग्लादेश वर्किंग ग्रुप ऑन एक्सटर्नल डेट (बीडब्ल्यूजीईडी) और इंडियन ग्रोथवॉच द्वारा सह-प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चला है कि बांग्लादेश अपने 25 वर्षों के जीवनकाल में अदानी गोड्डा 1,600 मेगावाट थर्मल पावर प्लांट से 1,496 मेगावाट (मेगावाट) बिजली आयात करने के लिए लगभग 11.01 बिलियन डॉलर का भुगतान करेगा। यही नहीं बिजली खरीद समझौते (पीपीए) के तहत क्षमता भुगतान के रूप में भारतीय अदानी समूह को भुगतान किए गए धन के साथ बांग्लादेश तीन पद्मा पुल, नौ कर्णफुली नदी सुरंग या चार मेट्रो रेल जैसे  बड़े बुनियादी ढांचे का निर्माण कर सकता है।

रिपोर्ट के लेखक और बीडब्ल्यूजीईडी के सदस्य सचिव हसन मेंहदी ने कहा, “क्षमता शुल्क की राशि कर्णफुली नदी सुरंग के बजट से नौ गुना और ढाका मेट्रो रेल से चार गुना अधिक है।2010-2011 के बाद से, बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (BPDB) ने स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (IIP) और किराये और त्वरित किराये के बिजली संयंत्रों के मालिकों को क्षमता शुल्क के रूप में लगभग $8.54 बिलियन का भुगतान किया है।

मेंहदी ने कहा है कि यह बिजली संयंत्र बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा बोझ होगा। भारत से कोयला बिजली आयात करने का कोई मतलब नहीं है जब बांग्लादेश अब लगभग 60% अधिक क्षमता का अनुभव कर रहा है।

2 जून को, नेशनल प्रेस क्लब में आयोजित एक नागरिक चर्चा में, ऊर्जा ऊर्जा और खनिज संसाधन राज्य मंत्री नसरुल हामिद ने हालांकि दावा किया कि देश में बिजली की अधिकता नहीं है।उन्होंने कहा कि कैप्टिव पावर के अलावा, बिजली की कुल स्थापित क्षमता लगभग 21,000 मेगावाट है। लेकिन क्षमता 16,000 मेगावाट से 17,000 मेगावाट है यदि व्युत्पन्न क्षमता के लिए 10% और अनुसूचित रखरखाव के लिए 10% को बाहर रखा गया है, जबकि वर्तमान मांग लगभग 14000 मेगावाट है।इसके बजाय, हम क्षमता की कमी देखते हैं यदि हम 20% अतिरिक्त आरक्षित मार्जिन पर विचार करते हैं।

बीपीडीबी ने सीमा पार बिजली व्यापार व्यवस्था के तहत अपने गोड्डा कोयला बिजली संयंत्र से 1,496 मेगावाट बिजली लेने के लिए नवंबर 2017 में अदानी समूह के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।समझौते के अनुसार, BPDB क्षमता शुल्क के रूप में $0.038 या Tk3.26 प्रति (किलोवाट घंटा) kWh का भुगतान करने के लिए सहमत हुआ, जो बांग्लादेश में किसी भी अन्य बिजली संयंत्र से अधिक है।

रिपोर्ट के अनुमान के अनुसार, गोड्डा बिजली संयंत्र से बिजली की लागत कम से कम tk9.09 प्रति kWh होगी, जो अन्य आयातित बिजली की तुलना में 56% अधिक और भारत में सौर ऊर्जा से 196% अधिक है।BWGED और ग्रोथवॉच की रिपोर्ट के अनुसार, अदानी समूह प्रति वर्ष क्षमता शुल्क के रूप में $423.29 मिलियन ले सकता है, लेकिन इस पैसे से बांग्लादेशी लोगों को कोई फायदा नहीं होगा।इसके अलावा, गोड्डा अदानी समूह से बिजली की लागत में प्रति वर्ष 5.5% की वृद्धि होगी, जबकि सौर ऊर्जा की लागत 10% की वार्षिक दर से घटेगी।

वर्तमान में, बांग्लादेश सीमा पार बिजली व्यापार समझौतों के माध्यम से भारत से 1,160MW बिजली का आयात करता है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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