इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रनेता और आइसा प्रदेश अध्यक्ष पर मुकदमे के खिलाफ लोगों में रोष

प्रयागराज। यूपी आइसा अध्यक्ष मनीष कुमार पर राज्य सरकार द्वारा मुकदमा दर्ज करने के खिलाफ लोग बेहद गुस्से में हैं। इसके खिलाफ लोग सड़कों से लेकर सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरीके से रोष जाहिर कर रहे हैं। दरअसल मनीष ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर आपरेशन सिंदूर के दौरान वायुसेना के विमानों के नुकसान को लेकर सरकार से सवाल पूछा था। जिसके बाद आजमगढ़ जिले के कंधरापुर थाने में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया। इस सिलसिले में लखनऊ, इलाहाबाद और वाराणसी समेत कई जगहों पर प्रदर्शन आयोजित किया गया है।

भाकपा (माले) ने खुद थाना प्रभारी की ओर से दर्ज कराई गई फर्जी एफआईआर को निरस्त करने और पद के दुरुपयोग की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। पार्टी के प्रयागराज जिला प्रभारी सुनील मौर्य ने बयान जारी कर कहा है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता मनीष कुमार द्वारा फेसबुक पर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सवाल पूछने पर मुकदमा दर्ज करना अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है। यह अलोकतांत्रिक और गैर-संवैधानिक है, क्योंकि किसी भी नागरिक को सरकार से सवाल पूछने का अधिकार संविधान देता है। 

हाल ही में, लोकगायिका नेहा सिंह राठौर और अध्यापिका माद्री काकोटी (डॉ मेडुसा) सहित लखनऊ विवि के दो प्रोफेसरों के खिलाफ भी उनके सोशल मीडिया पोस्ट के कारण ऐसी ही कार्रवाई की गई थी। यह दिखाता है कि मुख्यमंत्री योगी शासित प्रदेश में नागरिक स्वतंत्रता का दायरा लगातार संकुचित होता जा रहा है। यह स्थिति तब है, जब लोकगायिका नेहा के खिलाफ दर्ज ऐसे ही एक मुकदमे को अयोध्या की अदालत ने निरस्त कर दिया था।

उन्होंने कहा कि आइसा प्रदेश अध्यक्ष मनीष इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र हैं और उनकी छवि आंदोलनकारी के रुप में है। वे भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ पहल लेने वाले अग्रिम पंक्ति के छात्र नेता हैं। शासन-प्रशासन के निशाने पर पहले से रहे हैं। वे उसी थाना क्षेत्र के निवासी हैं, जिस थाने के प्रभारी ने खुद की तहरीर पर एफआईआर लिखी है। 

माले नेता ने कहा कि आइसा नेता का उत्पीड़न करने के लिए सत्तारूढ़ दल के इशारे पर उक्त कार्रवाई की गई है। छात्र नेता के खिलाफ बीएनएस 353 (2) (भड़काऊ बयान) और आईटी संशोधित एक्ट 2008 की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अश्लील सामग्री का प्रसारण) लगाई गई है। जबकि आइसा नेता ने अंतरराष्ट्रीय समाचार माध्यमों का संदर्भ देकर सवाल पूछे थे और पांच दिन पूर्व प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रात आठ बजे देश को संबोधित करने के बाद उनसे स्पष्टीकरण की सोशल मीडिया पर मांग की थी। इस तरह के सवाल को भड़काऊ और अश्लील करार देना कोई अंधभक्त ही कर सकता है। योगी सरकार की इस कार्रवाई का प्रतिवाद किया जाएगा।

आइसा की राष्ट्रीय अध्यक्ष नेहा ने कहा कि कॉमरेड मनीष के खिलाफ FIR कोई अपवाद नहीं है। यह पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद शुरू किए गए असहमति पर देशव्यापी हमले का हिस्सा है। अकेले जम्मू-कश्मीर में 3000 से अधिक गिरफ्तारियां हुई हैं। कम से कम 100 लोगों को ड्रेकोनियन पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया है। असम में, 42 लोगों को कथित “पाकिस्तान समर्थक” पदों के लिए जेल में डाल दिया गया; एक मौजूदा विधायक को एनएसए के साथ थप्पड़ मारा गया। उत्तर प्रदेश में 30 लोगों को गिरफ्तार कर 40 एफआईआर दर्ज किया गया है। गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और केरल में छात्रों, कलाकारों और नागरिकों को निशाना बनाया गया है। एक निजी विश्वविद्यालय के शिक्षक को निलंबित किया गया। नेहा सिंह राठौर और मादरी काकोटी जैसे अन्य लोगों को सार्वजनिक रूप से पकड़ा गया है। ये लोकतंत्र नहीं है। यह डर का नियम है।

उन्होंने कहा कि कॉमरेड मनीष अब उन आवाजों की सूची में शामिल हो गए हैं जो यह सरकार चुप कराना चाहती है। लेकिन न वो, न हम, बोलना बंद करेंगे। आइसा कॉमरेड मनीष कुमार के साथ पूरी तरह से एकजुटता में खड़ा है और प्राथमिकी को तत्काल वापस लेने की मांग करता है। हम सभी लोकतांत्रिक और प्रगतिशील शक्तियों से इस सत्तावादी कार्रवाई का विरोध करने का आह्वान करते हैं।

इसी तरह का मामला अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ भी बनाया गया है। उनकी सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देते हुए हरियाणा पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। जबकि उनकी उस पोस्ट में ऐसा कुछ नहीं था जिसके खिलाफ कोई कानूनी मामला बनता हो। लेकिन हरियाणा महिला आयोग ने न केवल उन्हें नोटिस जारी की बल्कि उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत की और अब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने पहुंच गया है और आज इस मामले पर सुनवाई हो सकती है।

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