Thursday, April 18, 2024

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दस्तावेजों के हवाले से कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा- मोदी पिछड़ी जाति से नहीं आते

नई दिल्ली। पीएम मोदी के जाति संबंधी विवाद में उस समय नया मोड़ आ गया जब कांग्रेस के राज्य सभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने दस्तावेजों के साथ यह दावा कर दिया कि पीएम मोदी पिछड़ी जाति से आते...

खास रिपोर्ट: आदिवासी, मुस्लिम, दलित व पिछड़ी जातियों के मतदाताओं को साधने अकेले ही निकल पड़ी है कांग्रेस

इलाहाबाद। बुधवार 8 सितंबर की सुबह फूलपुर विधानसभा से कांग्रेस के भावी प्रत्याशी अशफ़ाक अहमद को लेकर मेरे इलाके के एक ब्राह्मण देवराज उपाध्याय (वकील व ठेकेदार) लिवाकर घर आये। उनके साथ और भी दर्जनों लोग थे। जो कांग्रेस...

कल्याण सिंह बने थे पिछड़ों में संघ-बीजेपी के घुसपैठ का दरवाजा

राजस्थान के पूर्व राज्यपाल और दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह का 21 अगस्त, 2021 को लखनऊ के एक अस्पताल में निधन हो गया। तब से भाजपा कुनबे के सभी सदस्य उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देते हुए...

राज्यों को पिछड़े वर्ग की सूची बनाने के अधिकार के लिए लोकसभा में संशोधन विधेयक पारित

लोकसभा में मंगलवार को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित 127वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से पारित हो गया। गौरतलब है कि लोकसभा में केंद्र सरकार ने सोमवार को ही ‘अन्य पिछड़ा वर्ग...

किसान आंदोलन: श्रमण बनाम ब्राह्मण संस्कृति का टकराव

संघ-भाजपा गठजोड़ द्वारा कारपोरेट-पूंजपीतियों के हित में लाए गए नए कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन चरम पर है। वर्तमान समय में इस आंदोलन को कई नजरिए से व्याख्यायित किया जा रहा है। जिसमें उच्च जातीय-उच्च वर्गीय एवं परजीवी...

अन्य पिछड़े वर्ग के लिए बड़ी लड़ाइयां लड़ने वाले पासवान को कभी नहीं मिला पिछड़ों का साथ

1989 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में जनता दल ने पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने का वादा किया था। सत्ता में आने के बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) ने किसान नेता देवीलाल को मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू...

2011 के सामाजिक आर्थिक एवं जातीय जनगणना में नाम नहीं, तो एनआरसी कहां से

बच्चों के खेलने के मैदान में एक किनारे एक आदमी ईंट को सजाकर बनाए हुए चुल्हे पर देगची चढ़ाए हुए था। आस-पास की झाड़ियों को तोड़कर जलावन बनाकर चूल्हे में जला रहा था। उसके बगल में कुछ कपड़े समेट...

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शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।