Thursday, April 25, 2024

Bihar Lenin

राजनैतिक हलवाही के खिलाफ

बाबू जगदेव प्रसाद जी का समय और समाज, दोनों जिन विडंबनाओं से गुजरे हैं और उन्होंने जिस वैचारिकी की नींव आजादी के बीस साल बाद ही रख दी, उनके निहितार्थ और प्रयोग के साधनों पर विमर्श किया जाना जरूरी...

शोषितों के आर्थिक सामाजिक विषमता को पाटे बिना राष्ट्र नहीं हो सकता : बाबू जगदेव प्रसाद

“दस का शासन नब्बे पर, नहीं चलेगा, नहीं चलेगा।” “सौ में नब्बे शोषित हैं, नब्बे भाग हमारा है” “धन-धरती और राजपाट में नब्बे भाग हमारा है।” तथा “मानववाद की क्या पहचान, ब्राह्मण भंगी एक समान” पुनर्जन्म और भाग्यवाद, इनसे जन्मा ब्राह्मणवाद”- जैसे समाजिक न्याय...

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प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर

धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का...