Saturday, April 20, 2024

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निर्धनता का न्यायशास्त्र

उन्होंने बॉर्डर पर पानी भरे लोटे में नमक डालते हुए कहा "जा रहे हैं अपने घर और फिर कभी लौट कर नहीं आयेंगे।” संकल्प कहने लगा "देश आज़ाद हो गया। मगर बंधुआ मजदूरी ख़त्म नहीं हुई। हम बंधुआ मज़दूरों...

राजनीति न करने को कहकर खुद राजनीतिक हो गया गुजरात हाई कोर्ट!

सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार की ओर से पेश हुए वकील तुषार मेहता ने कहा था कि ऐसा लगता है कि कुछ राज्यों में हाई कोर्ट समानांतर सरकार चला रहे हैं। जुडिशरी और लॉ फील्ड में उनके इस बयान...

तुषार मेहता जी! जनहित याचिकाएं न होतीं तो यूपीए सरकार न उखड़ती और न ही बीजेपी आती सत्ता में

यदि यूपीए-2 सरकार शुरू से ही भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोपों में न घिरी रही होती और टूजी स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले, आदर्श सोसाइटी घोटाला, कोयला खदानों की बंदरबांट और रेलवे में घूसखोरी जैसे कई अहम मामलों में जनहित याचिकाएं न दाखिल की...

जब आलम ‘समानान्तर सरकार’ का हो तो ‘गुस्ताख़’ हाईकोर्ट्स को माफ़ी कैसी?

कोरोना संकट की आड़ में जैसे श्रम क़ानूनों को लुगदी बनाया गया, क्या वैसा ही सलूक अब न्यायपालिका के साथ भी होना चाहिए? क्योंकि बक़ौल सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता, देश के 19 हाईकोर्ट्स के ज़रिये ‘कुछ लोग समानान्तर सरकार’...

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को आखिर गुस्सा क्यों आता है!

विधि क्षेत्रों में सवाल उठ रहा है कि सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता को आखिर गुस्सा क्यों आता है? जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर जब भी मोदी सरकार की जवाबदेही का सवाल उच्चतम न्यायालय में उठता है तब तुषार मेहता भड़क जाते...

चीफ जस्टिस केन्द्रित और रजिस्ट्री द्वारा संचालित अदालत है सुप्रीम कोर्ट: रिटायर्ड जस्टिस दीपक गुप्ता

उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस दीपक गुप्ता का मानना है कि उच्चतम न्यायालय के साथ समस्या यह है कि यह एक मुख्य न्यायाधीश केंद्रित अदालत है और मुख्यत: सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा संचालित है। हालाँकि रोस्टर के मालिक चीफ जस्टिस हैं पर...

सुप्रीमकोर्ट का स्वत:संज्ञान: ताक पर रख दिया गया है आपदा प्रबंधन कानून

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 12 के तहत प्रदान की गई राहत के न्यूनतम मानकों का अनुपालन नहीं किया गया है और कि अधिनियम के अंतर्गत प्रावधानित कोई राष्ट्रीय/राज्य...

लीपापोती कार्यक्रम था कोरोना पर सु्प्रीम कोर्ट का स्वत:संज्ञान

कहते हैं जो गरजते हैं वो बरसते नहीं। कोरोना संबंधी स्वत: संज्ञान का भी सुप्रीम कोर्ट में यही हाल हुआ। इतना हो हल्ला के बाद नतीजा सिफर रहा। माननीय ने संज्ञान तो इस तरह से लिया था मानो केंद्र...

सु्प्रीम कोर्ट ने सवाल पूछा केंद्र से, भार डाला राज्य सरकारों पर

-प्रवासी श्रमिकों के लिए ट्रेन या बस से कोई किराया नहीं लिया जाएगा। रेलवे का किराया राज्यों द्वारा साझा किया जाएगा। -प्रवासी श्रमिकों को संबंधित राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा उन स्थानों पर भोजन और भोजन उपलब्ध कराया जाएगा, जहां...

महिला की जिंदगी तो नहीं बचा सका सुप्रीम कोर्ट, उम्मीद है स्टेशन पर पड़ा शव ज़रूर पहुंच जाएगा उसके घर

सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रवासी कामगारों की समस्या पर अचानक संज्ञान लेने की पृष्ठभूमि का अब पता लग गया है। 16 मई को मज़दूरों की व्यथा के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद, एक आवेदन रद्द कर दिया था...

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अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।