Friday, April 19, 2024

literature

महाश्वेता का महासमर

कलकत्ते के दो रहस्य कभी नहीं सुलझेंगे। एक बोटेनिकल गार्डेन का वट वृक्ष और दूसरा महाश्वेता देवी। वट वृक्ष का हर एक तना अपने को मूल होने का अहसास देता है। लेकिन कहा जाता है कि मूल तो बहुत...

निर्णायक और नेतृत्वकारी भूमिका में रहे हैं प्रेमचंद के स्त्री पात्र

विवादों के कारण ही सही प्रेमचंद का साहित्य फिर से ज़ेरे बहस है। दलित साहित्य के लेखकों ने उनके साहित्य को सहानुभूति का साहित्य कहा है, लेकिन स्त्री लेखन की ओर से अभी कोई गंभीर सवाल नहीं उठाया गया...

जानिए उस कवि को, जिससे डरती है सत्ता!

कौन हैं वरवर राव? वारंगल के एक गांव में तेलुगू ब्राम्हण मध्यवर्गीय परिवार में उनका जन्म हुआ। साहित्य यात्रा कम उम्र में ही शुरू हो गयी थी। उन्होंने 17 साल की उम्र में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। हैदराबाद...

पुण्यतिथि पर विशेष: भीष्म साहनी यानी हिन्दी का यश

11 जुलाई, प्रगतिशील और प्रतिबद्ध रचनाकार भीष्म साहनी का पुण्यतिथि दिवस है। इस मौके पर उन्हें याद करना, एक शानदार और पायदार परम्परा को याद करना है। वे एक अच्छे रचनाकार के अलावा कुशल संगठनकर्ता भी थे। प्रगतिशील लेखक...

बथानी टोला : ख्वाब कभी नहीं मरते

आज बथानी टोला जनसंहार के चौबीस साल हो गये।1996 में उस नृशंस कत्लेआम के लगभग एक माह बाद मैं बथानी टोला गया था और वहाँ से लेखकों और संस्कृतिकर्मियों के नाम बथानी टोला की गरीब-मेहनतकश जनता द्वारा हस्ताक्षरित एक...

तुलसीराम के जन्मदिन पर विशेष: ‘मुर्दहिया’ में भूख, ग़रीबी और अंधविश्वास के चित्र

भारतीय साहित्य में अपनी पहली ही कृति आत्मकथा 'मुर्दहिया' से तुलसीराम हिन्दी साहित्य और दलित साहित्य में कालजयी लेखकों की प्रथम पंक्ति में शामिल हो गए। इसका कारण उनका एक दलित होने के कारण स्वयं भोगे भूख-गरीबी, कष्ट, दारूणता,...

जन्मदिन पर विशेष: हिन्दी साहित्य के ठहरे जल में तूफ़ान लाने वाले ओमप्रकाश वाल्मीकि

(जानी-मानी लेखिका और सोशल एक्टिविस्ट अनिता भारती ने यह लेख मशहूर हिन्दी लेखक-विचारक और हिन्दी में दलित साहित्य के प्रमुख स्तंभ ओमप्रकाश वाल्मीकि (30 June 1950-17 November 2013) के निधन के बाद लिखा था। वाल्मीकि जी को आज उनके...

श्रद्धांजलि: साहित्य का बड़ा कोना खाली कर गए नंदकिशोर नवल

12 मई को लब्धनिष्ठ आलोचक नंदकिशोर नवल का 83 वर्ष की उम्र में जाना एक ऐसे हिंदी साहित्य हस्ताक्षर का जाना है जिन्होंने ताउम्र अग्रज और समकालीन तथा नवोदित हिंदी साहित्यकारों की (बनती) सर्वमान्यता के लिए ऐसा अति उल्लेखनीय...

एक ज़िंदा कसक का नाम है मंटो, जो हमेशा बनी रहेगी

आज, 11 मई को उर्दू के अनोखे अफसानानिगार सआदत हसन मंटो का जन्मदिन है। उन्हें याद करते हुए पहले उनकी कहानियों के कुछ सियाह हाशिये पढ़िये। इस्लाह --------  “कौन हो तुम?”  “तुम कौन हो?”  “हर-हर महादेव – हर-हर महादेव – हर हर महादेव।”  “सबूत क्या...

मंटो की जयंती पर विशेष: जो बात की, खुदा की कसम लाजवाब की

उर्दू अदब के बेमिसाल अफसानानिगार सआदत हसन मंटो, आज ही के दिन यानी 11 मई, 1912 को अविभाजित भारत में लुधियाना के छोटे से गांव समराला में जन्मे थे। मंटो ने 43 साल की अपनी छोटी सी जिंदगानी में...

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ग्राउंड रिपोर्ट: पुंछ में केसर उत्पादन की संभावनाएं बढ़ीं

जम्मू के पुंछ जिले में किसान एजाज़ अहमद पांच वर्षों से केसर की सफल खेती कर रहे हैं, जिसे जम्मू विश्वविद्यालय ने समर्थन दिया है। सरकार से फसल सुरक्षा की मांग करते हुए, अहमद पुंछ को प्रमुख केसर उत्पादन केंद्र बनाना चाहते हैं, जबकि महिला किसानों ने भी केसर उत्पादन में रुचि दिखाई है।