Friday, March 29, 2024

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जयंती पर विशेष: राही का मानना था- देश के राजनीतिक-आर्थिक ढांचे में बसता है सांप्रदायिकता का भूत

‘‘मेरा नाम मुसलमानों जैसा है/मुझे कत्ल करो और मेरे घर में आग लगा दो/लेकिन मेरी रग-रग में गंगा का पानी दौड़ रहा है/मेरे लहू से चुल्लू भरकर महादेव के मुंह पर फेंको/और उस जोगी से यह कह दो/महादेव अब...

जन्मदिवसः गरीबों-मजदूरों को अंधेरे में संघर्ष की राह दिखाते हैं शैलेंद्र के गीत

भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) ने देश को कई शानदार कलाकार, गीतकार और निर्देशक दिए। शैलेंद्र भी ऐसे ही एक गीतकार हैं, जिनकी पैदाइश इप्टा से हुई। इप्टा ने उन्हें नाम-शोहरत दी और इसके जरिए ही वे फिल्मी दुनिया...

डॉ. सुनीलम के हवाले से: समाजवादी चिंतक किशन पटनायक के किस्से, पत्नी वाणी की जुबानी

कल यानी 30 जून के ही दिन 1930 में समाजवादी चिंतक एवं पूर्व सांसद किशन पटनायक जी का जन्म ओडिशा के भवानी पटना में हुआ था। देश ने किशन पटनायक जी को प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के सम्बलपुर के सबसे युवा सांसद के तौर पर...

तानाशाही पूंजीवादी लोकतंत्र की तार्किक परिणति है!

23 अप्रैल 2020 के ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में छपे अपने लेख ‘Lenin is not a figure to look up to…’ में प्रो. अपूर्वानन्द एक तीर से दो शिकार करते नजर आते हैं। वर्तमान भारतीय शासन तन्त्र की तानाशाही प्रवृत्तियों के ...

संपूर्ण क्रांति दिवस के मौके पर: मंच पर गांधी थे नीचे मैं वालंटियर -पारीख

मुंबई। देश का माहौल बदला हुआ है। आजादी के समय गांधी, नेहरु और पटेल थे। बोस थे तो जेपी और लोहिया भी थे। फिर चौहत्तर आया तो जेपी सामने थे। अब वैसे कद्दावर और समर्पित जननेता तो नहीं हैं...

ख्वाजा अहमद अब्बास : समाजवाद जिनके जीने का सहारा था

ख्वाजा अहमद अब्बास मुल्क के उन गिने चुने लेखकों में शामिल हैं, जिन्होंने अपने लेखन से पूरी दुनिया को मुहब्बत, अमन और इंसानियत का पैगाम दिया। अब्बास ने न सिर्फ फिल्मों, बल्कि पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में भी...

पूंजीवादी महामारी को समाजवाद की खुराक

कोरोना संकट ने पूरे विश्व में सिर्फ और सिर्फ लाभ अर्जन की प्राथमिकता वाले पूंजीवादी ढांचे को बुरी तरीके से हिला दिया है। इसमें कोई शक-शुबहा नहीं रह गया है। इस विश्वव्यापी अभूतपूर्व संकट के सामने पूंजीवादी देश पूरी...

शहीदे आजम भगत सिंह: क्रांति की अनवरत जलती मशाल

हवा में रहेगी मेरे ख्यालों की बिजली ये मुश्ते ए खाक है फानी रहे रहे न रहे भगत सिंह एक ऐसा नाम जो खून में उतर जाता है रोमांच से भर देता है नसें फड़क उठती हैं आदर्श जग उठते हैं छोटे पन से घृणा होने...

चीन ने कैसे जीता कोरोना के ख़िलाफ़ युद्ध?

चीन ने अपने देश में कोरोना वायरस पर नियंत्रण पा लिया है। ये एक सुकून देने वाली खबर है। चीन में कोरोना वायरस का कोई नया मामला सामने नहीं आ रहा है. 34 नए मामले जरूर सामने आए हैं,...

राजनीतिक पराजय के बाद की पुकार!

लेख के शीर्षक में राजनीतिक पराजय से आशय देश पर नवसाम्राज्यवादी गुलामी लादने वाली राजनीति के खिलाफ खड़ी होने वाली राजनीति की पराजय से नहीं है। वह पराजय पहले ही हो चुकी है, क्योंकि देश के लगभग तमाम समाजवाद,...

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ग्रेट निकोबार द्वीप की प्राचीन जनजातियों के अस्तित्व पर संकट, द्वीप को सैन्य और व्यापार केंद्र में बदलने की योजना

आज दुनिया भर में सरकारें और कॉर्पोरेट मुनाफ़े की होड़ में सदियों पुराने जंगलों को नष्ट कर रही हैं,...