Friday, March 29, 2024

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: क्या स्त्री मुक्ति का संघर्ष फासीवाद के ख़िलाफ़ हो रहे संघर्षों से जुड़ा है?

70 का दशक आंदोलनों का दशक था। सारी दुनिया में विभिन्न प्रकार के सामाजिक और राजनैतिक आंदोलन चल रहे थे। यूरोप-अमेरिका इनके केन्द्र बने थे। अमेरिका में उसके द्वारा वियतनाम में हो रही अमेरिकी बर्बरता के ख़िलाफ़ व्यापक आंदोलन...

दाभोलकर की वैचारिक दुनिया: भारतीय समाज को विवेकपूर्ण बनाने का संघर्ष

मैं उम्मीद करता हूं आप डॉ नरेंद्र दाभोलकर को भूले नहीं होंगे। आज से दस साल पहले, तारीख 20 अगस्त 2013 को, उनकी निर्मम हत्या कर दी गई थी। वह महाराष्ट्र के पुणे शहर के थे। पेशे से फिजिशियन...

ग्राउंड रिपोर्ट: धरती बचाने के संघर्ष से पीछे नहीं हट रहीं जबरकोट की महिलाएं

चमोली। उत्तराखंड में चमोली जिले के जबरकोट में कुछ दिनों की चुप्पी के बाद गांव की महिलाओं और गांव में स्टोन क्रशर लगाने वाले व्यक्ति के कारिंदों के बीच फिर से तनाव की स्थिति बन गई है। थराली तहसील...

‘अनहद’ का गांधी विशेषांक: सत्ता के नैतिक विमर्श में गांधी हमेशा बने रहेंगे

गांधी पर ‘अनहद’ का विशालकाय (650 पृष्ठों का) अंक एक सुखद आश्चर्य की तरह आया है; गांधी के हत्यारों के प्रभुत्व-काल में ही गांधी के पुनरोदय के संकेत की तरह के सुखद आश्चर्य की तरह। दरअसल गांधी का व्यक्तित्व अपनी...

आज़ादी, उपलब्धियां और जनसंघर्ष

स्वतंत्रता प्राप्ति की एक और वर्षगांठ बीत चुकी है। आजादी कैसे प्राप्त हुई? 75 साल में किसी ने क्या पाया, क्या खोया? देशवासी भी खुश हैं कि ठेल थाल कर ज़िंदगी बसर हुए जा रही है। ये कुछ महत्वपूर्ण...

आज़ादी के पचहत्तर वर्ष: प्रोपोगंडा बनाम यथार्थ

भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। यह अजीब संयोग और विडंबना है कि स्वतंत्रता आंदोलन से विरत रहने वाले, आज़ादी के आंदोलन की नकारात्मक तस्वीर प्रस्तुत करने वाले तथा भारत में स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान...

श्रीदेव सुमन: राजभक्त जिसकी मौत बनी राजशाही की मौत का कारण

राजतंत्रों के इतिहास में शायद ही ऐसे मौके आये होंगे जब किसी राजभक्त की मौत राजशाही के अन्त का कारण बनी होगी। ऐसा उदाहरण भारत की तत्कालीन हिमालयी रियासतों में से सबसे बड़ी टिहरी रियासत में ज़रूर मिलता है,...

जन्मदिन पर विशेष: जिंदा रहते किंवदंती बन गए थे नजरुल इस्लाम

काजी नज़रुल इस्लाम (24 मई 1899 - 29 अगस्त 1976) बांग्ला के एक प्रसिद्ध कवि, लेखक, संगीतकार और बांग्लादेश के राष्ट्रीय कवि थे। नजरुल को बांग्ला साहित्य के सबसे महान कवियों में से एक माना जाता है। नजरुल के...

इतिहास के आइने में कांग्रेस के चिंतन शिविर 

स्वतंत्र भारत का संविधान तैयार करने वाली संविधान सभा के अध्यक्ष और संप्रभुता-सम्पन्न भारत गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेन्द्र प्रसाद ( 3 दिसंबर 1884: 28 फरवरी 1963 ) ने लिखा था, “ अक्सर दुनिया में जो लड़ाइयाँ हुई हैं, उनमें शास्त्रार्थों और साज...

झारखंड: अदालती आदेश के दो महीने बाद भी मजदूर संगठन समिति के कार्यालय से नहीं हटायी गयी सील

रांची। "केन्द्र की मोदी सरकार ने मजदूरों के संघर्षों और बलिदानों के बल पर बने 44 श्रम कानून को समाप्त करके 4 लेबर कोड बना दिया है, जिससे मालिक वर्गों को मजदूरों के श्रम और अधिकारों को लूटने की...

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ग्रेट निकोबार द्वीप की प्राचीन जनजातियों के अस्तित्व पर संकट, द्वीप को सैन्य और व्यापार केंद्र में बदलने की योजना

आज दुनिया भर में सरकारें और कॉर्पोरेट मुनाफ़े की होड़ में सदियों पुराने जंगलों को नष्ट कर रही हैं,...