Friday, April 19, 2024

struggle

शहादत सप्ताह: भगत सिंह की फांसी पर लिखा गया डॉ. आंबेडकर का लेख ‘तीन बलिदानी’

(भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फाँसी के बाद बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर ने एक लेख लिखा था जो 'जनता' में संपादकीय के तौर पर प्रकाशित हुआ था। शहादत सप्ताह के तहत आज उनके इस लेख को यहाँ...

साप्ताहिकी: बुलेट के बजाय जब बुलेटिन को दी भगत सिंह ने तरजीह

(हासिल करने के सत्तर साल बाद आज जब आज़ादी ख़तरे में है और देश की सत्ता में बैठी एक हुकूमत उसके सभी मूल्यों को ही ख़त्म करने पर आमादा है। ऐसे में आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लेने वाली...

माहेश्वरी का मत: सत्ता विमर्श की एक प्रस्तावना है नंदकिशोर आचार्य का नाटक ‘बापू’

नटरंग पत्रिका के मार्च 2006 के अंक में प्रकाशित नंदकिशोर आचार्य जी के ‘बापू’ नाटक को पढ़ कर कोई यदि उस पर आरएसएस की सांप्रदायिक और कपटपूर्ण विचारधारा की लेश मात्र छाया भी देखता है तो वह सचमुच तरस खाने के योग्य...

स्वाधीनता संग्राम के खलनायकों को महानायक बनाने की तैयारी

एक तरफ नफरत से उपजे हिंदुत्व की प्रयोगशाला में तब्दील हो चुकी गांधी की जन्मस्थली गुजरात में नौवीं कक्षा की आंतरिक परीक्षा में सवाल पूछा जाता है कि महात्मा गांधी ने आत्महत्या कैसे की थी। इसके बाद दूसरी ओर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव...

गांधी को कौन मार सकता है!

देश को ब्रिटिश हुकूमत के पंजों से आज़ाद कराने के लिये सत्याग्रह, अहिंसा और असहयोग पर आधारित जनांदोलन की शुरुआत करने वाले महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर देश ही नहीं पूरा विश्व उन्हें याद कर रहा है। अंग्रेजी सत्ता...

सौरा बन गया है विरोध-प्रदर्शनों का लौह स्तंभ

लगभग एक हफ़्ते से, सौरा के नवयुवक अपने मोहल्ले के प्रवेशद्वारों पर रात भर गश्त लगाए बैठे हैं। सौरा श्रीनगर का एक भरा-पूरा मोहल्ला है। क़रीब दर्जन भर और हर सम्भव प्रवेश द्वार पर नौजवानों ने पत्थर, लकड़ी के फट्टों, गिरे...

आजादी की लड़ाई के विरोधी और अंग्रेजी हुकूमत के पैरोकार भला कैसे हो सकते हैं देशभक्त

आज की तारीख में उन क्रांतकारियों की आत्मा रो रही होगी, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले उन समाजवादियों की आत्मा भी आहत होगी, जिन्होंने...

विमर्शमूलक विखंडन और कोरी उकसावेबाजी में बहुत महीन होती है विभाजन की रेखा

अरुंधति रॉय की किताब 'एक था डाक्टर और एक था संत' लगभग एक सांस में ही पढ़ गया । अरुंधति की गांधी को कठघरे में खड़ा कर उन पर बरसाई गई धाराप्रवाह, एक के बाद एक जोरदार दलीलों की विचारोत्तेजना अपने घेरे...

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वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।