Friday, April 19, 2024

बीजेपी के गले की हड्डी बन गया है वानखेड़े प्रकरण

देश में अभी भी आरएसएस और भाजपा के एजेंडे में लव जेहाद सबसे ऊपर है और कई भाजपा शासित राज्यों ने तत्सम्बन्धी कानून भी बनाये हैं, बड़ी संख्या में एफआईआर भी हुए हैं और गिरफ्तारियां भी। नाम बदलकर अपनी धार्मिक पहचान छिपाकर प्रेम विवाह करने वाले भी लव जेहादी कानूनन माने जा रहे हैं और उनके खिलाफ कार्रवाईयां भी हो रही हैं। ऐसे में एक ऐसा अधिकारी जिसकी पैदाइश भी लव जेहाद के एंगिल से यानि पिता हिन्दू और माता मुस्लिम हुई हो ,जिसको सुविधानुसार जब चाहे हिन्दू और जब चाहे मुसलमान बनने की सुविधा उपलब्ध हो ,जिसने पहले मुस्लिम महिला फिर तलाक के बाद हिन्दू महिला से विवाह किया हो,विशेष विवाह अधिनियम ,निकाह,फिर हिन्दू रीति से विवाह किया हो और उसके प्रति भाजपा और आरएसएस के दिल में नरमी हो ऐसे बहुआयामी व्यक्ति का नाम है समीर वानखेड़े जो हाल फिलहाल एनसीबी के जोनल डायरेक्टर हैं और मुंबई में तैनात हैं।

पहली शादी की तब मुसलमान थे। नौकरी की दरख्वास्त में दलित हो गये। रिजर्व कोटे से अफसर बन गए।दूसरी शादी की तो हिन्दू बन गये। जब 2006 में समीर दाउद वानखेड़े का निकाह पढ़ाया गया तब वे और उनके पिता यानि दाऊद सीनियर भी मुसलमान थे। नौकरी हासिल करने के लिए दलित हो गये । दलित होने का सर्टिफिकेट बनवाया और कोटे से आईआरएस बन गए। 2016 में दो बच्चों की माँ को आपने तलाक़ दिया और 2017 में ही एक अभिनेत्री से विवाह करके पूरे हिंदू बन गए। अब यदि समीर वानखेड़े जन्मना मुस्लिम हों और फिर हिन्दू बनकर हिन्दू महिला से विवाह किया हो तो भाजपा की लव जेहाद अवधारणा में ये फिट बैठते हैं या नहीं ?

जाति और धर्म की इतनी बाजीगरी तो देश के सबसे बड़े ठग नटवरलाल को भी नहीं आती थी। इसमें भी सोने पर सुहागा यह है कि ये भाजपा सरकार के चहेते अफसर हैं। इसी से समझ लें कि समीर वानखेड़े को आईआरएस से आईपीएस में प्रमोट किया गया।

ड्रग्स केस में एक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को गिरफ्तार करने वाले नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) अफसर समीर वानखेड़े का सच क्या है? क्या सच ये है कि उन्होंने आर्यन खान को लेकर 25 करोड़ की डील करने की कोशिश की? या फिर बड़ी और रसूखदार हस्तियों पर कार्रवाई की वजह से उन्हें जबरन परेशान किया जा रहा है। क्या यह भी सच है कि समीर वानखेड़े जन्मना मुसलमान हैं?आर्यन खान ड्रग्स केस के खुलासे के बाद वो महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक के निशाने पर हैं।

नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े पर सर्टिफिकेट में फर्जीवाड़ा कर आईआरएस की नौकरी हासिल करने का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि समीर वानखेड़े ने धर्म बदलकर मुस्लिम धर्म को अपनाया। ऐसे में उन्हें आरक्षण नहीं मिल सकता था। अपने आरोप को साबित करने के लिए वो वानखेड़े की पहली शादी का निकाहनामा और तस्वीर भी शेयर की। नवाब मलिक की दलील ये है कि अगर समीर वानखेड़े पैदाइशी हिंदू दलित थे तो धर्म बदलने के बाद वो अनुसूचित जाति के आरक्षण का फायदा नहीं ले सकते। वजह ये कि संविधान के मुताबिक धर्म बदलकर मुस्लिम या ईसाई धर्म अपनाने वालों को आरक्षण नहीं मिलता। उनके बर्थ सर्टिफिकेट में उनका धर्म मुस्लिम लिखा है और मलिक का दावा है कि ये सर्टिफिकेट असली है।

समीर वानखेड़े ने ही नहीं उनके पिता ज्ञानदेव वानखेड़े ने भी एक मुस्लिम महिला से शादी की थी। नवाब मलिक का आरोप है कि ज्ञानदेव वानखेड़े ने भी धर्म बदल लिया था। इस लिहाज से उनकी भी जांच होनी चाहिए क्योंकि उन्होंने भी नौकरी में आरक्षण का फायदा उठाया। ज्ञानदेव वानखेड़े ने समीर के निकाहनामे को सही ठहराया और ये भी माना कि निकाह के लिए समीर को मुस्लिम बताया गया।

इन सबके बीच आर्यन केस के गवाह प्रभाकर सैल ने आजतक से बातचीत में कहा था कि उन्होंने केस के स्वतंत्र गवाह किरण गोसावी को सैम डिसूजा से बात करते सुना था जिसमें 25 करोड़ की डील हो रही थी। इस आरोप का सैल ने शपथ पत्र भी बनवाया है। नवाब मलिक का कहना है कि इस केस के सभी किरदार समीर वानखेड़े, केपी गोसावी, प्रभाकर सैल और समीर वानखेडे के ड्राइवर की सीडीआर निकालकर जांच होनी चाहिए।

नवाब मलिक ने कहा है कि मैं दावे के साथ एक बार फिर से कह रहा हूं कि वानखेड़े ने नकली बर्थ और कास्ट सर्टिफिकेट लगाकर ही नौकरी पाई। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति फर्जी कागजातों के आधार पर शेड्यूल कास्ट कैटेगरी में नौकरी हासिल करता है, कहीं न कहीं इससे एक दलित व्यक्ति जो झोपडी में या स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ रहा होगा, उसका हक छिनेगा।

नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े के खिलाफ 26 आरोपों की चिट्ठी मीडिया के सामने रखी। मलिक का दावा है कि यह चिट्ठी NCBके किसी अधिकारी ने उन्हें भेजी है। इसमें समीर वानखेड़े के खिलाफ 26 आरोप लगाए गए हैं। इस लेटर के मुताबिक, अमित शाह और अस्थाना और समीर वानखेड़े को NCB में लेकर आए। समीर वानखेड़े और केपीएस ने दीपिका जैसी बड़ी-बड़ी एक्ट्रेस से मोटा पैसा कमाया है। समीर वानखेड़े मामले को बड़ा दिखाने के लिए कई बार रेड में मिली ड्रग्स को ज्यादा दिखाते हैं। नवाब मलिक ने कहा कि समीर ने जाहिदा से निकाह किया। पिता के सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कर नौकरी हासिल की। समीर का कास्ट सर्टिफिकेट कहां है?

मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले समीर वानखेड़े 2008 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी हैं। राजस्व सेवा में आने से पहले वे साल 2006 में पहली बार केंद्रीय पुलिस संगठन (सीपीओ) में शामिल हुए थे। इंटेलिजेंस ब्यूरो, सीबीआई, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी), नेशनल डिज़ास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (एनडीआरएफ), नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी जैसे कुछ और महकमे सीपीओ के तहत आते हैं। समीर वानखेड़े के पिता भी एक्साइज़ विभाग में इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी रहे हैं।

भारतीय राजस्व सेवा में आने के बाद वानखेड़े को सीमा शुल्क विभाग में तैनात किया गया था। उन्होंने कुछ सालों तक मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर असिस्टेंट कमिश्नर (कस्टम) के रूप में काम किया। कहा जाता है कि इस दौरान उन्होंने कई मशहूर हस्तियों को कस्टम ड्यूटी न चुकाने को लेकर पकड़ा था। उन्होंने राजस्व ख़ुफ़िया निदेशालय (डीआरआई) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के साथ भी काम किया है। एनआईए आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित मामलों की जांच करने वाली सरकारी एजेंसी है।वर्ष 2020 में समीर वानखेड़े को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में मुंबई ज़ोन के डायरेक्टर की ज़िम्मेदारी दी गई। उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय से उत्कृष्ट जांच के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।उनकी विभागीय जाँच भी शुरू हो गयी है।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

Related Articles

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।