Tuesday, April 23, 2024

शैलेंद्र चौहान

जन्मदिन पर विशेष: करिश्माई और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे कमलेश्वर

कमलेश्वर एक बहुआयामी प्रतिभा से संपन्न साहित्यकार थे। कमलेश्वर ने उपन्यास, कहानी, नाटक, संस्मरण, पटकथा विधाओं में लेखन किया। वे हिन्दी के बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं। कमलेश्वर का नाम नई कहानी...

साबित्रीबाई फुले: महिला सशक्तिकरण की पहली सूत्रधार

महाराष्ट्र के लोकसमाज में सावित्रीबाई फुले का जीवन स्त्रियों के लिए सदैव प्रेरणास्पद रहा है। उनका जीवन एक ऐसी अद्वितीय मशाल है, जिसने स्वयं प्रज्वलित होकर भारतीय नारी को पहली बार सम्मान के साथ जीना सिखाया। सावित्रीबाई ने समय...

सचमुच में नींव की ईंट थे बहुआयामी व्यक्तित्व के मालिक रामवृक्ष बेनीपुरी

रामवृक्ष बेनीपुरी का व्यक्तित्व बहुआयामी था। उन्होंने गद्य-लेखक, शैलीकार, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी, समाज-सेवी, हिंदी प्रेमी, निबंधकार और नाटककार के रूप में अपनी प्रतिभा की अमिट छाप छोड़ी। बेनीपुरी जी एक महान विचारक, चिन्तक, क्रान्तिकारी, साहित्यकार, पत्रकार और संपादक के...

देश ही नहीं दुनिया ने माना रामानुजन का लोहा

गणित के क्षेत्र में श्रीनिवास रामानुजन अय्यंगर द्वारा किए गए अधिकांश कार्य अभी भी वैज्ञानिकों के लिए अबूझ पहेली बने हुए हैं। ये बचपन से ही विलक्षण प्रतिभावान थे। इन्होंने खुद गणित सीखा और अपने जीवनकाल में गणित के...

भ्रष्टाचार के नये पायदान तय करता भारत

गत वर्ष ट्रांस्पेरेन्सी इंटरनेशनल द्वारा जारी करप्शन पर्सेप्शन्स इंडेक्स- 2020 में भारत को 180 देशों की सूची में 86वें पायदान पर रखा गया है। गौरतलब है कि हर साल दुनिया भर में भ्रष्टाचार की स्थिति को बताने वाला यह...

परिनिर्वाण दिवस: आंबेडकर ने लिया था जाति के समूल नाश का संकल्प

भारतीय राजनीतिक-सामाजिक परिप्रेक्ष्य में छह दिसंबर बहुत महत्त्वपूर्ण है। एक तो डॉ. आम्बेडकर की यह पुण्यतिथि है, दूसरे यह बाबरी मस्जिद ध्वंस का भी दिन है। लेकिन पहले डॉक्टर भीमराव रामजी आंबेडकर की स्मृति को ताज़ा किया जाये फिर...

भारत में लैंगिक असमानता:पुरुषों की सोच में परिवर्तन की दरकार

लैंगिक असमानता का तात्पर्य लैंगिक आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव से है। परंपरागत रूप से समाज में महिलाओं को कमज़ोर वर्ग के रूप में देखा जाता रहा है। महिलाओं के खिलाफ भेदभाव दुनिया में हर जगह प्रचलित है।...

वीरांगनाओं के कारनामों से भरा पड़ा है स्वाधीनता संग्राम का इतिहास

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं ने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपना पूरा योगदान दिया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विभिन्न क्रांतिकारी गतिविधियों में अनेक महिलाओं ने अपने प्राणों की किंचित परवाह किये बिना हिस्सा लिया। जिन...

हिंदी ठेठ, हिंदी जात, हिंदी नाम, हिंदी है

1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की विफलता के बाद में ब्रिटिश सरकार ने सत्ता पर सीधा नियंत्रण कर एक ओर उत्पीड़न तो दूसरी ओर भारत में औपनिवेशिक व्यवस्था का निर्माण शुरू किया। क्योंकि खुद ब्रिटेन में लोकतांत्रिक व्यवस्था थी,...

मातृसत्ता बनाम पितृसत्ता : ऐतिहासिक विवेचन

किसी भी समाज में व्यक्ति की पदस्थिति और भूमिका सम-सामायिक सामजिक मूल्यों तथा आदर्शों पर आधारित होती है। कोई भी स्थिति चिरंतन व स्थाई नहीं रह सकती समय के साथ-साथ सामाजिक परिस्थितियां परिवर्तित होती जाती हैं। साथ ही साथ...

About Me

90 POSTS
0 COMMENTS

Latest News

ग्राउंड रिपोर्टः भदोही के क़ालीन बुनकरों की कोई नहीं ले रहा सुध, तुर्किए और चीन बढ़ा रहे चुनौतियां

भदोही। उत्तर प्रदेश का भदोही जनपद अपने क़ालीनों के लिए दुनिया भर में मशहूर है, लेकिन घरों में सजने...