Thursday, April 25, 2024

autocracy

हर्ष मंदर का लेख: कांग्रेस घोषणा पत्र उम्मीद जगाता है 

भारतीय आम चुनाव के रूप में देश में विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक मुकाबला होने जा रहे हैं। भारतीय गणतंत्र के अब तक के सफर में यह चुनाव सबसे महत्वपूर्ण भी होने वाले हैं। चुनाव के नतीजे तय करेंगे...

भारत दुनिया के सबसे बदतरीन निरंकुश देशों में से एक: स्वीडन के वी-डेम इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट

हाल के सालों में भारत दुनिया के सबसे बुरे निरंकुश देशों में शुमार हो गया है। गुरुवार को जारी स्वीडन आधारित 'वेरायटी ऑफ डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट' की रिपोर्ट में यह बात कही गयी है।  'डेमोक्रेसी विनिंग एंड लूजिंग एट बैलेट’ शीर्षक...

प्रताप भानु मेहता का लेख: क्या भारत भाजपा की निरंकुशता का प्रतिरोध कर पाएगा?

भारत का राजनीतिक सिस्टम निरंकुशता की ओर घूम रहा है। विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जाना, बलपूर्वक राहुल गांधी को अयोग्य करार देना, सिविल सोसाइटी और रिसर्च संगठनों के पीछे पड़ जाना, जानकारी की सेंसरशिप, विरोध प्रदर्शनों पर सेंसरशिप।...

अमेरिकी संसद में नरेंद्र मोदी को नया ‘पिनोशे’ बताया गया

अमेरिका की सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी की एक सांसद इल्हान उमर ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नया 'ऑगस्टो पिनोशे’ बताया है। उन्होंने अमेरिकी संसद में दिये अपने भाषण में भारत में मानवाधिकार की स्थिति को लेकर नरेंद्र मोदी पर...

विशेष लेख: हिटलर के रास्ते पर बढ़ चले हैं मोदी!

दुनिया का क्रूरतम् तानाशाह एडोल्फ हिटलर 20 अप्रैल, 1889 को यूरोप के एक छोटे से देश ऑस्ट्रिया के एक छोटे से शहर वॉन में पैदा हुआ था। उसने द्वितीय विश्वयुद्ध में इस दुनिया में जुल्म, बर्बरता, क्रूरता और वहशीपना...

लोकतंत्र को जीवित रखने संबंधी अंबेडकर का नुस्खा आज भी बेहद कारगर

लोकतंत्र सरकार का एक रूप और तरीका है जिससे लोगों के आर्थिक और सामाजिक जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन बिना रक्तपात के लाए जाते हैं - बी.आर. अम्बेडकर डा. बीआर अंबेडकर की 65वीं पुण्यतिथि पर, जो 6 दिसंबर 2021 को पड़ती...

वाराणसी: सड़क पर चल रही है हौसले की लड़ाई!

किसी की न सुनने का नाम  अगर लोकतंत्र है तो सत्ता का बहरापन उसे तानाशाही की ओर ले जाता है जहां वो किसी की न सुनकर अपने मन की बात कहकर केवल अपने मन की करता है। उसकी ये...

लोकतंत्र के सिरमौर रहे भारत पर उठने लगी है दुनिया में अंगुली

दुनिया में जब भी उदार परंपराओं, विरासत, संस्कृति और समाज की चर्चा होती है तो, भारत का नाम सबसे पहले लिया जाता है। पाश्चात्य संसार ने भले ही 1789 की फ्रेंच क्रांति के बाद स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के...

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प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर

धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का...