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संस्कृति-समाज
पुस्तक समीक्षा: सर सैयद को समझने की नई दृष्टि देती है ‘सर सैयद अहमद खान: रीजन, रिलीजन एंड नेशन’
Janchowk -
19वीं सदी के सुधारकों में, सर सैयद अहमद खान (1817-1898) कई कारणों से असाधारण हैं। फिर भी, अब तक, अंग्रेजी में उनका कोई व्यापक मूल्यांकन या जीवनी संबंधी लेख उपलब्ध नहीं है। शायद, इस तथ्य के कारण कि सर...
बीच बहस
अंग्रेजों ने इतिहास लेखन के जरिए भारत में बोया सांप्रदायिकता का बीज
Janchowk -
(आज, हमारे आस-पास, नफरत का जो माहौल है, उसकी एक वजह, घृणित इतिहास लेखन भी है। और इसकी शुरुआत औपनिवेशिक काल से होती है। शायद इसकी शुरुआत, इलियट और डाउसन की 8 भागों में प्रकाशित (1849) पुस्तकों से होती...
बीच बहस
जन्मदिन पर विशेष: ‘सरदार ऊधम’ फिल्म के बहाने शहीद ऊधम सिंह की शख्सियत पर एक नज़र
13 अप्रैल, 1919, बैसाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में रौलेट एक्ट के विरोध में सभा कर रहे विशाल जनसमूह पर जनरल रेगीनाल्ड डायर नाम के अंग्रेज अफसर के आदेश पर अंधाधुंध गोलियां चलायी गयीं। सरकारी आंकड़ों के...
संस्कृति-समाज
जयंती पर विशेष: देश को मोदी जैसा किसान विरोधी नहीं, चरण सिंह जैसा किसानों का हमदर्द प्रधानमंत्री चाहिए!
पिछले दिनों इस देश के अन्नदाताओं को दिल्ली के वर्तमान क्रूर, असहिष्णु , बदमिजाज, अमानवीय, फॉसिस्ट, तानाशाही प्रवृत्ति के निजाम के जबरन रोकने की वजह से दिल्ली में प्रवेश नहीं मिल सका। और उन्हें अपनी न्यायोचित माँगों के लिए...
संस्कृति-समाज
काकोरी के शहीद बताते हैं कि भीख नहीं कुर्बानियों से मिली है आजादी
'कस ली है कमर अब तो,कुछ करके दिखाएंगे,
आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा लेंगे...'
( काकोरी केस के वीर शहीदों की पुण्य तिथि के पावन अवसर पर )
ब्रिटिश साम्राज्यवादियों की गुलामी से त्रस्त और सिसकते इस देश को...
ज़रूरी ख़बर
आजादी की लड़ाई में वंचितों की बहादुरी की कहानी बयां करता ऊदा देवी पासी का बलिदान
Janchowk -
19 वीं सदी का आधा समय बीत जाने पर जब भारत गुलामी की बेड़ियों की जकड़न से उबरने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन के जरिये अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ने के लिए खुद को तैयार कर चुका था। ठीक उसी समय...
पहला पन्ना
पैंडोरा पेपर्स में रेमंड के चेयरमैन की ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में दो कंपनियां
पैंडोरा पेपर्स के खुलासे पर द इंडियन एक्सप्रेस लगातार खोजी रिपोर्ट प्रकाशित कर रहा है। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी 14वीं रिपोर्ट में एक और बड़े नाम का खुलासा करते हुए कहा है कि रेमंड लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग...
बीच बहस
माफीनामों के वीर हैं सावरकर
सावरकर सन् 1911 से लेकर सन् 1923 तक अंग्रेज़ों से माफी मांगते रहे, उन्होंने छः माफीनामे लिखे और सन् 1923 के बाद वह लगातार ही इस देश की जनता को बांटने की बात करते रहे। नफरत और हिंसा की...
बीच बहस
आखिर कौन हैं निहंग और क्या है उनका इतिहास?
गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी के नाम पर एक नशेड़ी, गरीब, दलित सिख लखबीर सिंह को जिस बेरहमी से निहंगों ने मारा, हाथ काटे और उसकी लाश को बैरिकेड पर लटका दिया गया उससे तमाम संवेदनशील व्यक्ति सदमे में...
बीच बहस
एक ऐतिहासिक विवाद का पटाक्षेप करने के लिए राजनाथ सिंह को धन्यवाद!
अनिल जैन -
इसे स्थिति का व्यंग्य कहा जाए या व्यंग्य की स्थिति कि जो व्यक्ति महात्मा गांधी की हत्या का मास्टर माइंड माना गया था लेकिन अदालत में तकनीकी कारणों से संदेह का लाभ पाकर बरी हो गया था, उसे महान...
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स्मृति शेष: सत्यजीत राय- वह जीनियस फ़िल्मकार जिसने पहली फिल्म से इतिहास रचा
सत्यजित राय देश के ऐसे फ़िल्मकार हैं, जिनकी पहली ही फ़िल्म से उन्हें एक दुनियावी शिनाख़्त और बेशुमार शोहरत...
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