Wednesday, April 24, 2024

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पूंजीवादी महामारी को समाजवाद की खुराक

कोरोना संकट ने पूरे विश्व में सिर्फ और सिर्फ लाभ अर्जन की प्राथमिकता वाले पूंजीवादी ढांचे को बुरी तरीके से हिला दिया है। इसमें कोई शक-शुबहा नहीं रह गया है। इस विश्वव्यापी अभूतपूर्व संकट के सामने पूंजीवादी देश पूरी...

कोरोना प्रकोप के इस आफत में हमारा निजी क्षेत्र कहां है?

टाटा स्टील का एक विज्ञापन पहले आता था, जिसमें एक भव्य स्कूल, शहर, हंसते खेलते बच्चे और स्वस्थ सुखी परिवार दिखता था और फिर अंत मे लिखा रहता था, हम स्टील भी बनाते हैं। इस विज्ञापन का अर्थ यह...

कोरोना वायरस : कफ़न खसोट कॉरपोरेट और उनके कबर बिज्जू चाकर

कोरोना वायरस को महामारी का दर्जा दिया जा चुका है। पूरी दुनिया इसके प्रकोप या उसकी आशंका से लगभग कांप रही हैं। मगर कुछ हैं, जिन्हे इसमें भी कमाई के अवसर और मुनाफ़ों के पहाड़ नजर आ रहे हैं।...

पीएम का दोस्त होने का मिल रहा फायदा!, यस बैंक के डिफाल्टर अंबानी, सुभाष चंद्रा पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं

आर्थिक उदारीकरण के दौर में चाहे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हों या निजी क्षेत्र के कार्पोरेट लूट का पर्यायवाची बनकर रह गये हैं। इसमें कार्पोरेट के साथ रिजर्व बैंक आफ इंडिया, संबंधित बैंक और सरकार की दुरभिसन्धि है, जिससे...

कॉरपोरेट लड़ाई का अखाड़ा बनेगा बिहार विधानसभा चुनाव

बिहार में कॉरपोरेट पूंजीपतियों ने चुनावी खेल खेलना शुरू कर दिया है। वैसे लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया में कॉपोरेट की रुचि कोई नई बात नहीं है लेकिन देश में जबसे वैश्वीकरण और उदारीकरण का दौर प्रारंभ हुआ है तबसे पूंजीपति...

तवलीन सिंह का कैसे हुआ मोदी से मोहभंग पढ़िए पूरी कहानी

तवलीन सिंह का यह साक्षात्कार सचमुच उल्लेखनीय है। पिछले छ: सालों में ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के उनके स्तंभ में कई बार मोदी की तारीफ़ में उनकी बातें इतनी छिछली और भक्तों के प्रकार की हुआ करती थीं कि उन पर...

आम बजट: पंजाब में चौतरफा नाखुशी

केंद्रीय बजट में पंजाब को निराशा के सिवा कुछ नहीं मिला। समाज का हर वर्ग 2020 के आम बजट से सख्त नाखुश है। राज्य सरकार को भी उम्मीद थी कि बजट में ऐसे प्रावधान रखे जाएंगे जो गंभीर आर्थिक...

परिसंपत्तियों को बेचने और कॉरपोरेट घरानों के मुनाफे को बढ़ाने का दस्तावेज है निर्मला का बजट

एलआईसी और आईडीबीआई में अपनी हिस्सेदारी बेचने का ऐलान वित्त मंत्री ने बजट में किया है। इससे पहले एयर इंडिया, भारत पेट्रोलियम, कंटेनर कारपोरेशन, टीएचडीसी आदि बेचने का फैसला सरकार ले ही चुकी है, रेलवे के निजीकरण की दिशा...

राजनीतिक पराजय के बाद की पुकार!

लेख के शीर्षक में राजनीतिक पराजय से आशय देश पर नवसाम्राज्यवादी गुलामी लादने वाली राजनीति के खिलाफ खड़ी होने वाली राजनीति की पराजय से नहीं है। वह पराजय पहले ही हो चुकी है, क्योंकि देश के लगभग तमाम समाजवाद,...

नोटबंदी के बाद से ही इकॉनमी पर दूरगामी की बूटी पिला रही है सरकार

नोटबंदी एक बोगस फ़ैसला था। अर्थव्यवस्था को दांव पर लगा कर जनता के मनोविज्ञान से खेला गया। उसी समय समझ आ गया था कि यह अर्थव्यवस्था के इतिहास का सबसे बोगस फ़ैसलों में से एक है लेकिन फिर खेल खेला गया। कहा...

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स्मृति शेष: सत्यजीत राय- वह जीनियस फ़िल्मकार जिसने पहली फिल्म से इतिहास रचा

सत्यजित राय देश के ऐसे फ़िल्मकार हैं, जिनकी पहली ही फ़िल्म से उन्हें एक दुनियावी शिनाख़्त और बेशुमार शोहरत...