Thursday, March 28, 2024

politics

कांशीराम के राजनीतिक प्रयोग के मायने

पहचान व्यक्तित्व का एक ऐसा जरूरी हिस्सा है जो न सिर्फ हमारी लोकेशन को निर्धारित करता है बल्कि हमारे लिए ढेर सारे सकारात्मक और नकारात्मक अवसरों को भी उत्पन्न करता है। यह राष्ट्रीय, भाषाई, क्षेत्रीय,धार्मिक और जातीय किसी भी...

‘उफ़! टू मच डेमोक्रेसी’: सादा ज़बान में विरोधाभासों से निकलता व्यंग्य

डॉ. द्रोण कुमार शर्मा का व्यंग्य-संग्रह ‘उफ़! टू मच डेमोक्रेसी’ गुलमोहर किताब से प्रकाशित हुआ है। वैसे तो ये व्यंग्य ‘न्यूज़क्लिक’ ई अख़बार के ‘तिरछी नज़र’ कॉलम में सिलसिलेवार छपे हैं और बहुत पसंद किए गए हैं, पर पुस्तकाकार रूप में कुछ...

नवउदारवादी अर्थनीति, बहुसंख्यकवाद और राजनीतिक बंदियों की रिहाई पर विपक्ष की चुप्पी आत्मघाती

देश तीखे राजनीतिक संघर्ष के दौर में प्रवेश कर गया है, जिसमें सबकी निगाह अगले महीने शुरू होने जा रहे चुनावों की श्रृंखला पर है जिनकी चरम परिणति भारतीय लोकतन्त्र के लिए निर्णायक 2024 के आम चुनाव में होगी।  राष्ट्रीय...

मुलायम के निधन पर राजनीतिक शिष्टाचार भी भूल गयी उत्तराखंड सरकार 

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन पर ना तो उत्तराखण्ड सरकार की ओर से कोई आधिकारिक विज्ञप्ति जारी कर शोक जाहिर किया गया और ना ही शासक दल ने कोई दुख या शोक प्रकट किया...

राजस्थान प्रकरण: कांग्रेस, व्यक्ति और संगठन के प्रश्न

यह कांग्रेस का जगत है । सचमुच, भारत की राजनीति के परम ऐश्वर्य का जगत । राजनेताओें के अच्छे-बुरे, सारे लक्षणों की लीला-भूमि का राजनीतिक जगत । आलाकमान की आत्म रति और क्षत्रपों की स्वतंत्र मति-गति । सब साथ-साथ...

राजनीति का नया आख्यान रच रही है राहुल की ‘भारत जोड़ो यात्रा’

तमिलनाडु के कन्याकुमारी से, तीन समुद्रों के मिलन की उच्छल तरंगों की गर्जना के बीच से शुरू हुई भारत की राजनीति के इतिहास की सबसे लंबी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का अभी सिर्फ़ एक सप्ताह पूरा हुआ है। कुल 3750...

और अब नितिन गडकरी, जिसने जुबां चलाई वही काम से गया

इन दिनों केंद्रीय मंत्री और खांटी नागपुरिये नितिन गडकरी बहुतई भड़भड़ाये हुए हैं। धड़ाधड़ ट्वीट पर ट्वीट कर बिलबिला रहे हैं कि "कुछ लोगों द्वारा दुष्ट राजनीतिक इरादों से उनके खिलाफ कहानियां गढ़कर एक कुटिल अभियान चलाया जा रहा...

नाम का विपक्ष बनाम काम का विपक्ष

2014 में तत्कालीन विपक्ष यानी भारतीय जनता पार्टी नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्रीय सत्ता पर काबिज हुई, तब कारपोरेट चालित व मोदीवादी समाचार माध्यमों और टीवी चैनलों में सघन प्रचार युद्ध प्रारम्भ कर पूछा जाने लगा कि राष्ट्रीय...

राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता के बगैर नहीं लाया जा सकता है सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार पर अंकुश 

2014 का चुनाव भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लड़ा गया था क्योंकि इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन की जड़ में, तत्कालीन यूपीए सरकार पर, भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोपों के धब्बे थे। गुजरात मॉडल, विकास, और भ्रष्टाचार मुक्त देश आदि शिगूफे हवा...

अब क्या संविधान नहीं, मनुस्मृति के रास्ते चलेगा देश?

भारत में जिस राजनैतिक व्यवस्था को हमने चुना है उसमें विधायिका कानून बनाती है, कार्यपालिका उन कानूनों के अनुरूप देश की शासन-व्यवस्था का संचालन करती है और न्यायपालिका यह सुनिश्चित करती है कि देश का शासन संविधान के मूल्यों...

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ग्रेट निकोबार द्वीप की प्राचीन जनजातियों के अस्तित्व पर संकट, द्वीप को सैन्य और व्यापार केंद्र में बदलने की योजना

आज दुनिया भर में सरकारें और कॉर्पोरेट मुनाफ़े की होड़ में सदियों पुराने जंगलों को नष्ट कर रही हैं,...