Tuesday, April 16, 2024

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पत्रकारिता की मूंछ और सत्ता की पूंछ

करीब पच्चीस-तीस साल की पत्रकारिता से गुजरने के बाद मैंने पाया कि सन् 2014 यानी भाजपा नीत राजग के सत्तारोहण के बाद सब कुछ विध्वंसात्मक और अपमानजनक ढंग से बदल गया। सबसे पहले चैनलों ने घुटने टेके सत्ता के...

मुर्मू की जीत और सिन्हा की हार तय थी, लेकिन सत्तापक्ष का मंसूबा कामयाब नहीं हुआ!

इस बार के राष्ट्रपति के चुनाव में यह तो तय था कि भाजपा की अगुवाई वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए जिसे भी अपना उम्मीदवार बनाएगा वह आसानी से और बड़े अंतर से जीत जाएगा। इसके बावजूद तीन दिग्गजों...

हेटस्पीच का समर्थन कर रही है सत्ताधारी पार्टी: पूर्व जज जस्टिस नरीमन

उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने सत्तारूढ़ दल के ऊँचे पदों पर बैठे लोगों द्वारा हेटस्पीच का समर्थन करने और इस पर प्रभावी अंकुश लगाने के प्रति चुप्पी साधने पर जमकर लताड़ लगायी और कहा कि...

क्या कहते हैं कम्पनियों पर ‘पांचजन्य’के हमले?

निहित स्वार्थों की साधना में सत्तापक्ष व विपक्ष दोनों की भूमिकाएं हथियाना, सांस्कृतिक संगठन के चोले में राजनीतिक मोर्चो पर उतर आना, सारे असुविधाजनक सवालों से कतराना और सुविधाजनक झूठों को बार-बार दोहराना, अर्धसत्यों से काम चलाना, असहमतियों का...

जीने का अधिकार अगर मौलिक है तो स्वास्थ्य क्यों नहीं?

" आपदा प्रबंधन कानून, 2005 की धारा 12 (तीन) के तहत प्रत्येक परिवार चार लाख रुपये तक मुआवजा का हकदार है, जिसके सदस्य की कोरोना वायरस से मौत हुई।"  यह कहना है सुप्रीम कोर्ट में महामारी अधिनियम के अंतर्गत...

आखिर राज्य सभा में कल क्या हुआ? पढ़िए सिलसिलेवार पूरी दास्तान

नई दिल्ली। राज्य सभा में कल के पूरे घटनाक्रम की सत्ता पक्ष द्वारा एक ऐसी तस्वीर पेश की जा रही है जैसे जो हुआ उसके लिए पूरी तरह से विपक्ष जिम्मेदार है। इस तरह से सारी जिम्मेदारी उसके सिर...

संविधान दिवस पर विशेष: सामने आ गया डॉ. आंबेडकर का बताया खतरा

आज देश का संविधान 70 साल का हो गया। वैसे तो किसी मनुष्य के जीवन में यह उम्र बेहद नाजुक होती है और भविष्य के लिहाज से भी इसे बेहद खतरनाक पड़ाव का दर्जा दिया जाता है। लेकिन राष्ट्रों के जीवन...

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पश्चिम बंगाल चुनाव: मौत के आंकड़ों का खौफ

पूरे देश के साथ पश्चिम बंगाल में भी लोकसभा चुनाव हो रहा है। पर पश्चिम बंगाल में जब भी...