Friday, April 19, 2024

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मुस्लिम, ईसाई धर्म के बाद अब आरएसएस के निशाने पर बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म के देश-विदेश में प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मौर्य वंश के राजा सम्राट अशोक के बहाने एक बार फिर बौद्ध धर्म आरएसएस के खूंखार हिंदुत्ववादी निशाने पर है। आरएसएस के एजेंडे का साहित्यिक रुपांतरण करने वाले...

खालिद जावेद और शारिक कैफ़ी को उर्दू अकादमी सम्मान

उर्दू अदब में बरेली ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इस साल उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी ने उर्दू के जिन दो रचनाकारों को सम्मानित किया है, दोनों का वास्ता बरेली शहर से है। इस बार यह पुरस्कार उर्दू...

जन्मशती पर विशेष:साहित्य के आइने में अमृत राय

अमृतराय (15.08.1921-14.08.1996) का जन्‍म शताब्‍दी वर्ष चुपचाप गुजर रहा था और उनके मूल्‍यांकन को लेकर हिंदी जगत में कोई चर्चा नहीं थी। ‘लमही’पत्रिका ने इस कमी को पूरा करते हुए उन पर सवा तीन सौ पृष्‍ठों का भारी-भरकम डिजिटल...

फटे जूते वाले प्रेमचंद !

प्रेमचंद जब अपनी लेखनी से गुलाम जनता में आज़ादी का मानस जगा रहे थे तब कुबेर का खज़ाना उनके पास नहीं था सत्ता की दी हुई जागीरदारी नहीं थी। यह तथ्य बताता है की साहित्य रचने के लिए धन...

गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विष्णु पांड्या ने ‘शववाहिनी गंगा’ को दिया अराजक कविता का खिताब

'शववाहिनी गंगा' कविता लिखने वाली गुजराती कवि  पारुल खाखर 'अराजक' हैं और इस कविता को सराहने वाले 'साहित्यिक नक्सली'! ये मेरा नहीं गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विष्णु पांड्या का कहना है।  दरअसल गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विष्णु पांड्या...

साहित्य अकादमी पुरस्कार: अनामिका, कस्बाई यथार्थ की एक कवयित्री

दरवाजा मैं एक दरवाजा थी  मुझे जितना पीटा गया  मैं उतना खुलती गई  अंदर आए आने वाले तो देखा_  चल रहा है एक वृहद चक्र_  चक्की रूकती है तो चरखा चलता है,  चरखा रुकता है तो चलती है कैंची सुई  गरज यह है कि चलता ही रहता...

बांग्ला साहित्य की विद्रोही दलित चेतना का हिंदी दीप

जब बांग्ला साहित्य और समाज की उदार और विद्रोही चेतना को हिंदी इलाके के संकीर्ण राष्ट्रवाद और बंगाल में पहले से मौजूद हिंदू चेतना से पराजित करने का राजनैतिक अभियान और सांस्कृतिक आख्यान अपने चरम पर हो तब प्रोफेसर...

भोजपुरी जो हिंदी नहीं है!

उदयनारायण तिवारी की पुस्तक है ‘भोजपुरी भाषा और साहित्य’। यह पुस्तक 1953 में छपकर आई थी। लेखक ने पुस्तक के पहले संस्करण में ‘दो शब्द’ में अपने समय में हिंदी और भोजपुरी को लेकर छायी हुई गलतफहमियों पर कुछ...

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AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।