Thursday, April 18, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए के तहत ईडी की गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखा

 उच्चतम न्यायालय ने इस सवाल को खुला छोड़ दिया है कि क्या पीएमएलए में 2018 के संशोधन वित्त अधिनियम के माध्यम से लाए जा सकते हैं और इन मुद्दों को 7- जजों की पीठ द्वारा तय किया जाना है जो “मनी बिल” मुद्दे पर विचार कर रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों को बरकरार रखा, जो प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गिरफ्तारी, कुर्की और तलाशी और जब्ती की शक्ति से संबंधित है। जस्टिस ए.एम. खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सी.टी. रविकुमार की पीठ ने पीएमएलए की धारा 5, 8(4), 15, 17 और 19 के प्रावधानों की संवैधानिकता को बरकरार रखा, जो ईडी की गिरफ्तारी, कुर्की, तलाशी और जब्ती की शक्तियों से संबंधित हैं। पीठ ने अधिनियम की धारा 24 के तहत सबूत के उल्टे बोझ को भी बरकरार रखा और कहा कि अधिनियम के उद्देश्यों के साथ इसका उचित संबंध है। जस्टिस खानविलकर ने ऑपरेशनल पार्ट पढ़ा। फैसला 15 मार्च, 2022 को सुरक्षित रखा गया था।

पीठ ने पीएमएलए अधिनियम की धारा 45 में जमानत के लिए दो शर्तों (जुड़वां शर्तें) को भी बरकरार रखा और कहा कि निकेश थरचंद शाह मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भी संसद 2018 में उक्त प्रावधान में संशोधन करने के लिए सक्षम थी। पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले में बताई गई खामियों को दूर करने के लिए संसद वर्तमान स्वरूप में धारा 45 में संशोधन करने के लिए सक्षम है।

पीठ ने माना कि ईडी अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं हैं और इसलिए अधिनियम की धारा 50 के तहत उनके द्वारा दर्ज किए गए बयान संविधान के अनुच्छेद 20 (3) से प्रभावित नहीं हैं, जो आत्म-अपराध के खिलाफ मौलिक अधिकार की गारंटी देता है। पीठ ने कहा कि प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) को एफआईआर के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है और यह केवल ईडी का एक आंतरिक दस्तावेज है। इसलिए, एफआईआर से संबंधित सीआरपीसी प्रावधान ईसीआईआर पर लागू नहीं होंगे।

ईसीआईआर की आपूर्ति अनिवार्य नहीं है। हालांकि जब व्यक्ति विशेष कोर्ट के समक्ष होता है, तो यह देखने के लिए रिकॉर्ड मांग सकता है कि क्या निरंतर कारावास आवश्यक है। पीएमएलए की धारा 3 संपत्ति को बेदाग के रूप में पेश करने तक सीमित नहीं है।

पीठ ने याचिकाकर्ताओं के इस तर्क को खारिज कर दिया कि धारा 3 के तहत “मनी लॉन्ड्रिंग” का अपराध तभी आकर्षित होता है जब संपत्ति को एक बेदाग संपत्ति के रूप में पेश किया जाता है। पीठ ने कहा कि धारा 3 में “और” को “या” के रूप में पढ़ा जाना चाहिए। अदालत ने कहा, “धारा 3 की व्यापक पहुंच है और यह अपराध की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आय से संबंधित है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम और महाराष्‍ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख समेत 242 याचिकाओं पर में पीएमएलए के तहत अपराध की आय की तलाशी, गिरफ्तारी, जब्ती, जांच और कुर्की के लिए ईडी को उपलब्ध शक्तियों के व्यापक दायरे को चुनौती दी गई थी। इसमें कहा गया है कि ये प्रावधान मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं। 

इस मामले में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और मुकुल रोहतगी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने हाल के पीएमएलए संशोधनों के संभावित दुरुपयोग से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर पीठ के समक्ष दलीलें दीं। कड़ी जमानत शर्तों, गिरफ्तारी के आधारों की सूचना ना देना, ईसीआईआर (एफआईआर के समान) कॉपी दिए बिना व्यक्तियों की गिरफ्तारी, मनी लॉन्ड्रिंग की व्यापक परिभाषा और अपराध की आय, और जांच के दौरान आरोपी द्वारा दिए गए बयान ट्रायल में बतौर सबूत मानने जैसे कई पहलुओं पर कानून की आलोचना की गई।

दूसरी ओर, केंद्र ने प्रावधानों का बचाव किया था। केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के 18,000 करोड़ रुपये बैंकों को लौटा दिए गए हैं। धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के मामलों में 67,000 करोड़ रुपये के मामलों के केस उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं। 

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र का पक्ष रखा।तुषार मेहता ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा 4,700 पीएमएलए मामलों की जांच की जा रही है। पिछले पांच सालों में हर साल जांच के लिए उठाए गए मामलों की संख्या बढ़ रही है। साल 2015-16 में 111 मामले थे, 2020-21 में यह 981 तक हो चुके हैं। पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के दौरान ऐसे अपराधों के लिए 33 लाख एफआईआर दर्ज हुईं लेकिन पीएमएलए के तहत केवल 2,086 मामलों की जांच की गई। ब्रिटेन (7,900), अमेरिका (1,532), चीन (4,691), ऑस्ट्रिया (1,036) हांगकांग (1,823), बेल्जियम (1,862) और रूस (2,764) में मनी लॉन्ड्रिग अधिनियम के तहत मामलों के वार्षिक केसों की तुलना में पीएमएलए के तहत जांच के लिए बहुत कम मामले उठाए जा रहे हैं।

 प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आज की तारीख तक 4,700 मामलों की जांच की है और 2002 में धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) लागू होने के बाद से कथित अपराधों को लेकर सिर्फ 313 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ऐसे मामलों में अदालतों द्वारा पारित अंतरिम आदेशों द्वारा कवर की गई कुल राशि लगभग 67,000 करोड़ रुपये है।

केंद्र ने बताया कि पिछले 17 वर्षों में पीएमएलए के तहत 98,368 करोड़ रुपये की अपराध की कमाई की पहचान हुई और अटैच की गई। इस अवधि में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत जांच के लिए 4,850 मामले उठाए गए हैं। अपराध की आय की कुर्की में संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकी हाफिज मोहम्मद सईद, आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन और कथित ड्रग्स तस्कर इकबाल मिर्ची की संपत्ति शामिल है। 

आतंकवाद और नक्सल फंडिंग के 57 मामलों की जांच में 1,249 करोड़ रुपये की अपराध की आय की पहचान हुई है। 17 साल में 2,883 सर्च की गईं, 256 संपत्तियों के माध्यम से 982 करोड़ रुपये की अपराध की आय अटैच हुई। पीएमएलए के तहत 37 अभियोजन शिकायतें दर्ज की गईं और दो आतंकवादियों को दोषी ठहराया गया। यह सब पीएमएलए में प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों की परतों के कारण संभव हुआ है। 98,368 करोड़ रुपये की अपराध की आय की पहचान की गई और पीएमएलए की धारा 5 के तहत अटैच की गई, जिसमें से 55,899 करोड़ रुपये की अपराध की आय की पुष्टि प्राधिकारी द्वारा की गई है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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