Friday, April 19, 2024

कायरता ही सरकार की बन गई है बहादुरीः महुआ मोईत्रा

संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस चल रही है, जिसमें विपक्ष सरकार पर बुरी तरह हमलावर है। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ‘घृणा और कट्टरता’ को लेकर सरकार पर तीखा हमला किया और आरोप लगाया कि देश की न्यायपालिका और मीडिया को भी विफल कर दिया गया है। महुआ मोइत्रा ने सरकार पर कायरता को साहस के रूप में परिभाषित करने का आरोप लगते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन कानून लाना, अर्थव्यवस्था की स्थिति, बहुमत के बल पर तीन कृषि कानून लाना इसके उदाहरण हैं। अब देखना है कि लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों का विंदुवार जवाब देते हैं या राज्यसभा की तरह विपक्ष पर तंज कसते हैं।

तृणमूल कांग्रेस सदस्य महुआ मोइत्रा ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान सोमवार को भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गगोई के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी कर लोकसभा में हंगामा खड़ा कर दिया। उन्होंने सदन में गोगोई के खिलाफ केस का बार-बार उल्लेख किया। उस वक्त स्पीकर ने भी उन्हें ऐसा बोलने पर टोका था, लेकिन इसके बावजूद मोइत्रा ने इस बात को दोहराया। महुआ ने कहा कि केस के दबाव में आकर गोगोई ने राम मंदिर का फैसला दिया था।

सत्ता पक्ष ने महुआ पर संसदीय नियमों के उल्लंघन और पद का अनादर करने का आरोप लगाया। सत्ता पक्ष ने तुरंत उनकी टिप्पणी को कार्यवाही से निकालने की मांग करते हुए तर्क दिया कि यह राष्ट्रपति की गरिमा पर सीधा हमला है, जो भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद के लिए किसी व्यक्ति का चयन करता है।

पश्चिम बंगाल के कृष्णा नगर से 45 वर्षीय सांसद ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश का जिक्र किया, जिनके खिलाफ एएम के आरोप के आधार पर मामला दर्ज किया गया था। अपने कड़े शब्दों वाले भाषण में मोइत्रा ने घृणा और कट्टरता को लेकर सरकार पर तीखा हमला किया और आरोप लगाया कि देश की न्यायपालिका और मीडिया को भी ‘विफल’ कर दिया गया है।

महुआ मोइत्रा ने जब मुख्य न्यायाधीश का नाम लिया तो तुरंत बाद भाजपा के निशिकांत ठाकुर और संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने संसदीय नियमों का हवाला देते हुए आपत्ति जताई कि विशिष्ट उच्च पदों के नाम लेना नियमों का उल्लंघन है। महुआ ने अपने भाषण में कई बार कायरता जैसे शब्द का इस्तेमाल करते हुए सरकार पर सत्ता और अधिकार के पीछे छिपने का आरोप लगाया और यह भी कहा कि आलोचना करने को राजद्रोह करार देकर भारत को वर्चुअल पुलिस स्टेट बना दिया गया है।

महुआ मोइत्रा ने सरकार पर कायरता को साहस के रूप में परिभाषित’ करने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून लाना, अर्थव्यवस्था की स्थिति, बहुमत के बल पर तीन कृषि कानून लाना इसके उदाहरण हैं। मोइत्रा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग सत्ता की ताकत, कट्टरता, असत्य को साहस कहते हैं। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने दुष्प्रचार और गलत सूचना फैलाने को कुटीर उद्योग बना लिया है। मोइत्रा ने कहा कि उनकी (सरकार की) सबसे बड़ी सफलता कायरता को साहस के रूप में परिभाषित करना है।

मोइत्रा ने कहा कि इस सरकार ने एकतरफा ढंग से नागरिकता संशोधन कानून बनाने का काम किया, लेकिन काफी समय गुजर जाने के बाद भी इसके नियमों को अधिसूचित नहीं कर पाई। अर्थव्यवस्था का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि साल 2020 में भारत सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश रहा। उन्होंने दावा किया कि दो वर्षो तक अर्थव्यवस्था में वृद्धि नहीं होगी।

विवादित कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए मोइत्रा ने कहा कि सरकार कृषि कानून लाई, जबकि विपक्ष और किसान संगठन इन्हें किसान विरोधी बता रहे थे। उन्होंने कहा कि इन्हें बिना आम-सहमति और बिना समीक्षा किए लाया गया तथा बहुमत के बल पर लाया गया। वह केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी से पूछना चाहती हैं कि क्या इस तरह से लोकतंत्र चलेगा, क्या एक पार्टी का शासन देश में चलेगा।

अब सरकार मोइत्रा के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है। सरकार संसद में मोइत्रा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव ला सकती है। संविधान के अनुच्छेद 121 के अनुसार सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज, जिसने कोई फैसला दिया हो, उसकी चर्चा संसद में नहीं हो सकती है। संसद के नियम और प्रक्रिया 352 (5) यह भी तय करते हैं कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के आचरण पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। सदन में चेयरमैन द्वारा निर्देशित किए जाने के बावजूद नियम 356 का उल्लंघन करते हुए मोइत्रा ने अपने बयानों को दोहराया।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर सदन में चर्चा में हिस्सा लेते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया, ‘‘आप एक तरफ मुसलमान और दूसरी तरफ किसान के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं। उन्होंने सवाल किया कि संसद से कुछ किलोमीटर की दूरी पर हजारों किसान दो महीने से बैठे हैं। 200 से ज्यादा किसानों की जान चली गई। प्रधानमंत्री को किसानों के साथ बातचीत करने की फुर्सत नहीं है क्या? इतना अहंकार क्यों है?

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में किसान परेड के दौरान हुई हिंसा के पीछे केंद्र सरकार की साजिश होने का बेहद सनसनीखेज आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने ही किसानों के वेष में अपने लोगों को लाल किला भेजकर हिंसा करवाई थी। चौधरी ने हिंसा की घटना की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की।

उन्होंने लाल किले की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि सच तो यह है कि आप चाहते थे कि कुछ घटना घटे, ताकि लोगों का ध्यान भटकाया जा सके। यह आपकी सोची-समझी साजिश है। आपने अपने लोगों को किसान के वेष में वहां पहुंचा दिया। अगर जांच हो जाए तो पता चल जाएगा कि सरकार इसके पीछे है। अगर ऐसा नहीं है तो जेपीसी की जांच कराएं।

उन्होंने पूछा कि अमित शाह जैसे ताकतवर गृह मंत्री रहते कुछ उपद्रवी लाल किले पर कैसे पहुंचे, यह बड़ा सवाल है। क्या इसकी कोई तफ्तीश नहीं होगी? गणतंत्र दिवस पर जब राजधानी में सबसे अधिक सुरक्षा रहती है, तब ऐसा कैसे हुआ?” चौधरी यहीं नहीं रुके। उन्होंने सरकार पर किसानों के खिलाफ छल और बल, दोनों के इस्तेमाल का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आपने बड़ी चतुराई से किसान नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज कर दिया। आप छलपूर्वक नहीं तो बलपूर्वक किसानों को दबाना चाहते हैं।

कांग्रेस नेता ने स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के किसान आंदोलन का समर्थन करने और इसको लेकर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया का भी हवाला दिया और कहा कि जिस तरह से पूरी सरकार 18 साल की एक लड़की के खिलाफ खड़ी हो गई है, उससे देश की छवि धूमिल हो रही है। किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि आप एक तरफ मुसलमान और दूसरी तरफ किसान के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं।

चौधरी ने पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के अंदर एयर स्ट्राइक को लेकर एक पत्रकार के कथित वॉट्एसेप चैट के मामले पर भी सरकार को कठघरे में खड़ा किया। कांग्रेस सांसद ने कहा कि जब बालाकोट हमले की खबर किसी को नहीं थी तो एक पत्रकार को कैसे पता चल गया? यह देश की सुरक्षा का विषय है। इस टीआरपी घोटाले की जेपीसी जांच होनी चाहिए। चौधरी के मुताबिक, इस बातचीत में कहा गया है कि बालाकोट की एयर स्ट्राइक चुनावी फायदे के लिए की जा रही है। उन्होंने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और इलाहाबाद में  रहते हैं।)

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