Friday, April 19, 2024

casteism

जाति ही पूछो साधु की, ज्ञान से क्या काम?

किसी ने सही कहा है कि इंसान जन्म के साथ कुछ लेकर नहीं आता। कपड़े तक नहीं। लेकिन पैदा होते ही उसे जाति, धर्म, देश, लिंग, नस्ल सब कुछ बिन मांगे हासिल हो जाते हैं और ज़िंदगी भर उसे...

क्यों इस देश के सवर्ण एससी-एसटी-ओबीसी के संवैधानिक अधिकारों को स्वीकार नहीं कर पाते?

भारतीय संविधान में दर्ज स्वतंत्रता, समानता, न्याय, बंधुता, व्यक्ति की गरिमा जैसे अन्य संवैधानिक मूल्य हमारे जीवन के घोषित आधार हैं। लेकिन आजाद भारत के 75 वर्ष बाद हम संवैधानिक मूल्यों को कितना स्वीकार पाए?  हमारे देश में संवैधानिक मूल्यों का कितना पालन...

प्रो. बराथी नक्कीरन का लेख: उच्च शिक्षा संस्थानों में किस-किस तरह से होता है, एससी-एसटी छात्रों का...

मद्रास इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट स्टडीज के एक एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मणन ने उच्च शिक्षा संस्थानों में जातिगत भेदभाव की प्रकृति पर चर्चा करते हुए बताया कि “लोग सोचते हैं कि जातिवाद केवल पीटने या बुरा व्यवहार करने के रूप...

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस: वैज्ञानिक चेतना से खत्म होगा जात-पात, सांप्रदायिक नफरत और अंधविश्वास

कृषि प्रधान देश होने के साथ ही हमारा देश पर्व प्रधान भी है। तीन राष्ट्रीय त्योहार तो हैं ही। पूंजी का प्रवाह आया तो उसके साथ पूंजीवादी पर्व भी आ जुड़े। फिर अस्मिता विमर्श और अस्मितावादी राजनीति का बोलबाला...

भागवत कथा में ‘हलुआ मिला न मांड़े – दोऊ दीन से गए पांड़े’

फिलहाल तो मोहन भागवत अपनी ही भागवत कथा में फंस गए लगते हैं। मुम्बई में संत रविदास की जयन्ती पर दिए अपने भाषण में उन्होंने दलितों को लुभाने के लिए जो जाल बिछाया था वह उल्टा पड़ गया लगता...

दो किस्म के जातिवाद ने भाजपा को जिताया

उत्तर प्रदेश के चुनाव-नतीजों से दो बातें स्पष्ट पता चल रही हैं, एक, यह कि लोकतंत्र अभी हारा नहीं है, क्योंकि भाजपा-गठबंधन को 42 प्रतिशत वोट मिला है, यानी 58 प्रतिशत वोट भाजपा के विरोध में पड़ा है, और...

बंगाल पर फतेह पाने को इतनी बेताब क्यों है भाजपा!

भाजपा बंगाल पर फतह पाने को इतनी बेताब क्यों है? लोकतंत्र में चुनाव होना एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है और कोई दल सत्ता में आता है तो कोई विपक्ष में बैठता है। पर यहां तो सवाल फतेह का है, क्योंकि...

वैदिक आरक्षण बनाम संवैधानिक आरक्षण: संदर्भ आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पूछा जाना कि यह आरक्षण कितनी पीढियों तक चलेगा, चर्चा और बहुजन समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है। आइए आरक्षण के विषय पर बात करते हैं। जिस जाति व्यवस्था के चलते संवैधानिक आरक्षण...

‘उनकी’ पहचान कपड़ों से नहीं उनके विचारों से होगी

उनकी पहचान कपड़ों से नहीं उनके विचारों से होती है। वे उदारवाद का मुखौटा लगाकर आपके आसपास मंडराते हैं। वे बढ़-चढ़कर देश के विकास की बातें करेंगे मगर किसी भी तरह के विरोध और प्रतिरोध पर वे नाक-भौं सिकोड़ते...

पंजाब, जहां दलित होना गुनाह है!

जातिवादी हिंसा का वहिशाना शिकार हुए पंजाब के संगरूर जिले के चंगालीवाल गांव के दलित युवक जगमाल सिंह जग्गा हत्याकांड ने सूबे को सकते में तो डाला ही है, साथ ही पुराने कुछ सवालों को भी नए सिरे से...

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आरएसएस-भाजपा सरकार ने भारत को बना दिया लेबर चौराहा! 

                          धन-धान्य व उपजाऊ भूमि से भरपूर, अपार...