Saturday, April 20, 2024

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हिंदी अख़बार क्यों हो जाते हैं शरजील इमाम केस में भड़काऊ?

शरजील इमाम के केस को कवर करते समय हिंदी के अख़बारों ने फिर पत्रकारिता के उसूलों के साथ समझौता किया है। उन्होंने ने इमाम के खिलाफ भड़काऊ खबर लगाई है। उनके मुकाबले अंग्रेजी और उर्दू के अख़बारों ने ज्यादा...

सबसे मीठी, लेकिन बेहद गुस्सैल जुबान है उर्दू : संजीव सराफ

उर्दू पर दिल्ली में होने वाला सालाना जलसा जश्न-ए-रेख्ता पिछले दिनों भारी भीड़ के साथ संपन्न हुआ। एक भाषा को लेकर इतने सारे लोगों की मोहब्बत देखकर एकबारगी किसी को भी ताज्जुब हो सकता है। उर्दू की रगें झनझनाने...

हिंदी के विभिन्न पक्षों पर विचार-विमर्श के लिए 9-11 जनवरी को दिल्ली में होगा हिंदी सेवियों का अंतरराष्ट्रीय जमावड़ा

नई दिल्ली। दिल्ली में 9-11 जनवरी को ‘हिंदी:वैश्विक परिदृश्य-भाषा, साहित्य और अनुवाद’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हो रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय के कालेज इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय की ओर से आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में दुनिया के विभिन्न विश्वविद्यालयों के...

डीयू में बेचैन की हिंदी के विभागाध्यक्ष पद पर नियुक्ति रोक कर की जा रही है सामाजिक न्याय की सांस्थानिक हत्या

(विगत कुछ दिनों से मैं लगातार डीयू के हिन्दी विभाग में नए विभागाध्यक्ष (हेड ऑफ डिपार्टमेन्ट- HoD) की नियुक्ति को लेकर चल रहे तमाशे से रूबरू कराता रहा हूँ। अब पूरी दास्ताँ सुनिए।) दिल्ली विश्वविद्यालय का हिन्दी विभाग सन 1948 से अस्तित्व...

मेनस्ट्रीम मीडिया से आखिर क्यों गायब है रवीश के मैग्सेसे की ख़बर?

वैसे तो विनोबा भावे (1958) से लेकर अमिताभ चौधरी (1961), वर्गीज कुरियन (1963), जयप्रकाश नारायण (1965), सत्यजीत राय (1967), गौर किशोर घोष (1981), चंडी प्रसाद भट्ट (1982), अरुण शौरी (1982), किरण बेदी (1994), महाश्वेता देवी (1997), राजेन्द्र सिंह (2001), संदीप...

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तब की घोषित इमरजेंसी से भयानक है आज का अघोषित आपातकाल?

18 वीं लोकसभा के लिए चुनावों का पहला चरण हो चुका है; 62 प्रतिशत  से अधिक मतदान के साथ...