Friday, April 19, 2024

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लिंचिंग संबंधी भागवत का बयान: अकारण नहीं है महज शब्दों पर संघ का जोर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सुप्रीमो के संघ के स्थापना दिवस- दशहरा- पर वक्तव्य को हमेशा बेहद दिलचस्पी के साथ देखा जाता है। दरअसल संघ में यह लम्बी परम्परा चली आ रही है कि इस सालाना तकरीर को सभी आनुषंगिक संगठनों के...

माहेश्वरी का मत: भागवत जी,शब्दों की बाजीगरी से नहीं धुल सकता संघ के दामन पर लगा बर्बर हत्याओं का दाग!

मोहन भागवत शब्दों की बाजीगरी से जीवन के सच को अपसारित करना चाहते हैं । वे कहते हैं लिंचिंग एक विदेशी अवधारणा है, इसे भारत पर लागू नहीं करना चाहिए। भारत में हो रही भीड़ की हत्याओं को लिंचिंग नहीं कहा जाना...

गांधी को ठिकाने लगाने का संघ का नया रास्ता

कल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर संघ के हैंडल से कई ट्वीट किए गए। जिसका सार यह था कि भारत को विश्वगुरू बनाने में गांधी की शख्सियत का इस्तेमाल किया जा सकता है। और यह बात संघ...

आरक्षण विरोधी पण्डों व पुष्कर से दूर रहें आरक्षित कौमें

कुछ लोग लाईलाज़  बीमारियों से ग्रस्त हैं, लेकिन उनको पता भी नहीं है कि उनको रोग है, वे अपनी बीमारी को अपनी विशिष्टता निरूपित करते हैं। ये ऐसे लोग हैं जो खुद सदियों से मिले हुये जन्मना जातिगत आरक्षण से मिली पुरोहिताई...

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लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।