Friday, March 29, 2024

Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS)

भंवर मेघवंशी की यात्राएं: सच की तलाश और प्रकृति से साक्षात्कार

‘मैं कारसेवक था’ जैसी कृति से खासतौर पर चर्चित हुए पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी का नया यात्रा-वृत्तांत हैः यात्राएं!  इसमें उनके चौदह यात्रा-वृत्त हैं। दो लंबे हैं और शेष अपेक्षाकृत संक्षिप्त। ‘य़ात्राएं’ (संभावना प्रकाशन, रेवतीकुंज, हापुड़-245101) उनका पहला...

धार्मिक कट्टरपंथियों के तीखे आलोचक थे नेताजी सुभाषचन्द्र बोस

देश इस साल नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है। इसी के मद्देनजर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा के अनुसार 23 जनवरी को नेताजी के जन्मदिवस को ‘पराक्रम दिवस' के रूप में मनाया इस वर्ष से मनाये...

सीमित ज्ञान का शिकार – भोला पंडित

सोशल मीडिया के ऐसे राजनीतिक टिप्पणीकार मसलन् पुण्य प्रसून वाजपेयी, विजय त्रिवेदी, राहुल देव तथा टीवी और यूट्यूब की बहसों में आने वाले पत्रकार, जिन्होंने आरएसएस और उसके तंत्र का बाक़ायदा अध्ययन किया है, उनमें अक्सर यह देखा जाता...

हिंदू महासभा के संस्थापक मदन मोहन मालवीय की तस्वीर लगाने के साथ संपन्न हुआ उर्दू भाषा का वेबिनार

उर्दू भाषा के अज़ीम शायर अल्लामा इक़बाल की तस्वीर हटाकर उनकी जगह पर हिंदू राष्ट्र की मांग करके देश का बंटवारे की ओर धकेलने वाले अखिल भारतीय हिंदू महासभा के संस्थापक मदन मोहन मालवीय की तस्वीर लगाने और उर्दू...

इतना तो समझ लेते भाई कि काठ की हांड़ी बार-बार नहीं चढ़ा करती!

प्रायः हर चुनाव के वक्त हिंदू बनाम मुसलमान, श्मशान बनाम कब्रिस्तान या होली बनाम ईद करने वाली भारतीय जनता पार्टी के रहते शायद ही किसी को उम्मीद रही हो कि उसके लिए जीवन-मरण का प्रश्न बन चुके पांच राज्यों...

आखिर कौन बनाता है मुख्यमंत्री? केंद्रीय नेतृत्व, विधायक दल या फिर जनता?

तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने एक बार कहा था कि पंडित नेहरू के समय मुख्यमंत्री नामजद नहीं होते थे। उनकी इस टिप्पणी के कुछ दिन बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भोपाल आई थीं। उनकी पत्रकार वार्ता आयोजित थी।...

सांप्रदायिकताः फुनगी छोड़िए, समस्या की जड़ को पकड़िए

भारत के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना ने मीडिया में बढ़ती सांप्रदायिकता पर चिंता जता कर अच्छी पहल की है। इससे देश के विभिन्न संस्थानों को एक संदेश जाएगा और मीडिया को भी आइना देखने का मौका मिलेगा। लेकिन...

हमें प्रगतिशील भारत चाहिए या अंधविश्वासी भारत ? एक निष्पृह व निर्भीक समीक्षा

आज वास्तव में इस देश में रहकर यह विश्वास करना कठिन होता जा रहा है कि हम भारत के लोग क्या वास्तव में इक्कीसवीं सदी के ज्ञान-विज्ञान के अंतरिक्ष युग में जी रहे हैं या हम आज से दस-बीस...

शर्मनाक घटना के तौर पर दर्ज हो गयी है अपूर्वानंद और गौहर रजा को सागर विश्वविद्यालय के आयोजन में न बोलने देना

30 जुलाई 2021 मध्य प्रदेश के डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के इतिहास में शर्म के दिन के रूप में दर्ज होगा। इस दिन आरएसएस से संबद्ध विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक...

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बहुसंख्यकवादी नैरेटिव को टेका लगाती फिल्में: स्वातंत्र्यवीर सावरकर

फिल्म जनसंचार का एक शक्तिशाली माध्यम है जो सामाजिक समझ को कई तरह से प्रभावित करता है। कई दशकों...