Friday, April 19, 2024

खास रिपोर्ट: आदिवासी, मुस्लिम, दलित व पिछड़ी जातियों के मतदाताओं को साधने अकेले ही निकल पड़ी है कांग्रेस

इलाहाबाद। बुधवार 8 सितंबर की सुबह फूलपुर विधानसभा से कांग्रेस के भावी प्रत्याशी अशफ़ाक अहमद को लेकर मेरे इलाके के एक ब्राह्मण देवराज उपाध्याय (वकील व ठेकेदार) लिवाकर घर आये। उनके साथ और भी दर्जनों लोग थे। जो कांग्रेस प्रत्याशी का प्रचार करने निकले थे।

मेरे लिये ये चौंकाने वाली बात थी। कांग्रेस का नया तेवर है, बिल्कुल बदला हुआ। जहाँ अन्य दलों के प्रत्याशियों का अभी कहीं नामो निशान नहीं है वहीं कांग्रेस ने अघोषित तौर पर 60 उम्मीदवारों के नाम को हरी झंडी दिखा दी है। पार्टी की संस्कृति में ऐसा पहली बार हो रहा है कि बिना स्क्रीनिंग कमेटी के सीधे उम्मीदवारों पर निर्णय लिया जा रहा है। सोमवार 6 सितंबर को प्रयागराज शहर उत्तरी सीट से पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह की उम्मीदवारी का ऐलान किया गया। प्रभावी सचिव बाजीराव खांडे ने बाकायदा कार्यकर्ता सम्मेलन में उनके नाम की घोषणा कर दी। कुछ मौजूदा विधायकों और अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखने वाले क़रीब 60 प्रत्याशियों को चुनावी तैयारी में खुद को झोंक देने के लिये कह दिया गया है।        

कार्यकर्ता स्तर की तैयारी

पहले ‘संगठन सृजन अभियान’ और फिर ‘प्रशिक्षण से पराक्रम महाअभियान’ यह फॉर्मूला उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में फतह के लिये कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने दिया है। जिसके तहत कांग्रेस का यूपी के हर गांव में मजबूती से उसका झंडा उठाने वाले 20 कार्यकर्ता खड़ा करने पर जोर है। कांग्रेस सभी 75 जिलों में 24 अगस्त से 7 सितंबर के बीच प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर चुकी है। इन प्रशिक्षण शिविरों को प्रियंका गांधी ने भी वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद किया और उनके सुझावों को सुना। कार्यकर्ताओं द्वारा कोई कठिनाई कही गयी तो उसका हल भी सुझाया। अपनी टीम और प्रदेश कमेटी को समाधान की दिशा में काम करने के निर्देश दिए।

बता दें कि कांग्रेस ने जिला, शहर, ब्लॉक व न्याय पंचायत स्तर तक कमेटियां बना दी हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सभी 58 हजार ग्राम पंचायतों में कमेटियों के गठन का लक्ष्य दिया है। लगभग 18 हजार ग्राम पंचायतों में कमेटी गठन का काम पूरा हो चुका है। शेष 40 हजार ग्राम पंचायतों में आगामी 20 सितंबर तक कमेटियों का गठन होना शेष है।

10 सितंबर शुक्रवार को प्रियंका गांधी ने सलाहकार कमेटी के साथ बैठक की थी। कांग्रेस महासचिव ने पार्टी के सभी जिलाध्यक्षों के साथ बैठक करके जमीनी स्तर पर संगठन की स्थिति का आकलन किया था। दरअसल आरएसएस की तर्ज पर कांग्रेस भी उत्तर प्रदेश में कार्यकर्ताओं की ऐसी टीम तैयार करने में लगी है जो पार्टी विचारधारा से परिचित हों। इसके लिए पार्टी की तरफ से अब तक 25 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग भी हो चुकी है। पार्टी ऐसे 2 लाख कार्यकर्ता तैयार कर रही है जो पार्टी की विचारधारा से पूरी तरह परिचित हों और जनता के बीच जाकर उन सवालों का जवाब तथ्यों के साथ दें, जो भाजपा आरएसएस फेक न्यूज के जरिये फैलाते आ रहे हैं।

मोदी-शाह की वादाख़िलाफ़ी और जुमले के बरअक्श कांग्रेस ‘हम वचन निभायेंगे’ यात्रा निकालेगी। प्रियंका गांधी की सलाहकार और रणनीति कमेटी ने पूरे यूपी में कांग्रेस प्रतिज्ञा यात्रा निकालने का निर्णय लिया। ‘हम वचन निभाएंगे’ नाम से यात्रा होगी और यह 12 हज़ार किलोमीटर चलेगी। कांग्रेस प्रतिज्ञा यात्रा बड़े गांवों और कस्बों से होकर गुजरेगी। प्रियंका गांधी यात्रा के दौरान होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तय कर रहीं हैं।

 मुस्लिम मतदाता कांग्रेस की ओर देख रहे

कभी कांग्रेस का परंपरागत मतदाता रहा मुसलमान पिछले साल एनआरसी-सीएए आंदोलन में जब सड़कों पर उतरा तो वाम दलों के अलावा सिर्फ़ एक राजनीतिक दल उसके साथ सड़क पर था- और वो थी कांग्रेस। कांग्रेस लगातार भाजपा के सांप्रदायिक और मुस्लिम विरोधी नीतियों के विरोध में मुखर विरोध करती आ रही है। जबकि खुद को मुस्लिमों का हितैषी बताने वाली समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी लगातार दूरी बनाकर रखे हुये थे। अपने संघर्ष में साथ संघर्ष करने वाली पार्टी के प्रति मुस्लिमों का विश्वास लौटना स्वाभाविक ही है। दूसरी और सबसे महत्व पूर्ण बात कांग्रेस ने यह किया है कि उन्होंने सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन के मुस्लिम नेतृत्व को पार्टी में जगह दी है।

खुद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 16 जुलाई 2021 को कांग्रेस के सोशल मीडिया सेल के वॉलंटियर्स को संबोधित करते हुए कहा था-“बहुत लोग हैं जो डर नहीं रहे हैं। वे कांग्रेस के बाहर हैं। वे सब हमारे हैं और उनको अंदर लाना चाहिए। जो हमारे यहां डर रहे हैं उन्हें बाहर निकालना चाहिए। अगर आरएसएस के हो तो जाओ भागो, मजे लो। ज़रूरत नहीं है तुम्हारी। हमें निडर लोग चाहिए। यह हमारी विचारधारा है। जिन्हें डर लग रहा है, वे जा सकते हैं।”

आदिवासी मतदाताओं पर नज़र

मुसहर, निषाद समेत अन्य आदिवासी समुदाय का झुकाव कांग्रेस की ओर हुआ है। ऐसे में कांग्रेस को आदिवासी समुदाय का वोट मिल सकता है। कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू मुसहर समुदाय के बीच लगातार काम करते आये हैं।

21 फरवरी 2021 को कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी चार फरवरी को पुलिस की कार्रवाई का शिकार बने प्रयागराज के घूरपुर के बसावर गांव में निषाद समाज के बीच पहुंचीं थीं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा मल्लाह और निषादों द्वारा गंगा से बालू निकालने पर रोक लगाने के बाद इस समुदाय में सरकार के प्रति रोष है। प्रियंका गांधी ने उस दौरे में निषाद समाज के साथ कांग्रेस को खड़ा करने का यत्न किया था। उन्होंने कहा था कि सरकार खनन माफिया के साथ है। उन्होंने गांव में आश्वासन दिया कि कांग्रेस निषाद समाज के साथ खड़ी है और उनकी लड़ाई लड़ेगी।

 बता दें कि प्रयागराज के घूरपुर में बीती चार फरवरी को पुलिस ने अवैध खनन के आरोप में कार्रवाई करते हुये वहां गांव वालों व नाविकों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था और उनकी नावें तोड़ डाली थीं। इसके विरोध में पथराव हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने लाठी भांजी थी और करीब 200 लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज़ कर कई लोगों को गिरफ्तार किया था।

इससे पहले 11 फरवरी मौनी अमावस्या के दिन कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी प्रयागराज संगम पहुंची थीं। प्रियंका ने नाव चलाने में हाथ भी आजमाया था। तभी सुजीत निषाद ने उन्हें घूरपुर की घटना के बारे में बताया था। साथ ही उसने ये भी बताया था कि वो किराए की नाव चलाता है। प्रियंका गांधी ने उनसे नई नाव दिलाने का वादा किया था। जो उन्होंने सितंबर में सुजीत निषाद को नई नाव देकर पूरा भी किया।

इससे पहले 17 जुलाई 2019 को सोनभद्र जिले के घोरावल कोतवाली के उम्भा गांव में 11 आदिवासियों का दिनदहाड़े जंनसंहार कर दिया गया था। सोनभद्र में 11 लोगों की हत्या के बाद वहां धारा 144 लागू होने के बाद भी प्रियंका गांधी पीड़ितों से मिलने पहुंची थीं। तब प्रशासन ने उन्हें न सिर्फ़ सोनभद्र जाने से रोका था बल्कि प्रियंका गांधी को चुनार गेस्ट हाउस में हिरासत में रखा गया था। माहौल कांग्रेस के पक्ष में जाते देख फिर सरकार और प्रशासन ने 20 जुलाई को मिर्जापुर के चुनार गेस्ट हाउस में पीड़ित परिजनों से मुलाकात करने की परमिशन दी थी। सोनभद्र नरसंहार के पीड़ित परिजन प्रियंका गांधी से मिलने चुनार गेस्ट हाउस पहुंचे तो प्रियंका गांधी भावुक हो गईं। पीड़ित परिवार की महिलाएं अपना दर्द बयां करते हुए रोने लगीं तो भावुक प्रियंका ने पीड़ितों के आंसू पोंछते हुए गले से लगा लिया। उनकी वो तस्वीरें उस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल  हुयी थीं। प्रियंका गांधी ने प्रशासन के रवैये के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुये चुनार गेस्ट हाउस में दोबारा धरने पर बैठ गई थीं। क्योंकि सोनभद्र से पीड़ित परिवार के 15 सदस्य प्रिंयका गांधी से मिलने मिर्जापुर आए थे, जिनमें से सिर्फ दो को ही मिलने दिया गया और बाकी लोगों को गेस्ट हाउस के बाहर ही रोक दिया गया। प्रियंका गांधी सभी पीड़ितों से मिलना चाहती थीं।

दलित वोट बैंक पर कांग्रेस की नज़र

3 अगस्त 2021 को प्रियंका गांधी की अगुवाई में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में ‘दलित स्वाभिमान यात्रा’ निकाली थी। प्रियंका गांधी लगातार दलित उत्पीड़न और दलित महिला उत्पीड़न के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाती आ रही हैं।   

वहीं अक्टूबर 2020 में प्रियंका और राहुल गांधी हाथरस पीड़ित दलित परिवार के घर जाने के लिये निकले थे। तब राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश पुलिस के हाथों उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा था। यूपी पुलिस के अधिकारी द्वारा राहुल गांधी को सड़क पर गिराने का वीडियो वायरल हुआ था। और सप्ताह भर के अंदर ही पीड़ित परिवार से मिलने और गले लगने की तस्वीरें भी वायरल हुयी थी।

क्या हाथरस प्रियंका के लिए बेलछी आंदोलन बन सकता है जब दलितों के ख़िलाफ़ हुई हिंसा के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जलभराव के बावजूद हाथी पर बैठकर वहां पहुंची थीं। जिसे आज भी याद किया जाता है। मुमकिन है हाथरस में प्रियंका का जाना उत्तर प्रदेश कांग्रेस के लिये बेलछी साबित हो सकता है।

इससे पहले अगस्त 2020 में आजमगढ़ में दलित प्रधान के परिवार से मिलने एक कांग्रेस नेताओं का एक प्रतिनिधि दल पहुंचा था। यूपी कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, और पी एल पुनिया के साथ महाराष्ट्र के मंत्री व अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष नितिन राउत उक्त प्रतिनिधि दल का हिस्सा थे। बता दें कि उक्त दलित प्रधान को कथित ऊंची जाति के लोगों ने गोली मार दी थी।

इससे पहले प्रवासी मज़दूरों के मामले में भी कांग्रेस द्वारा बसें भिजवाई गयी थीं। तब प्रियंका गांधी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आमने सामने आ गये थे।

प्रदेश अध्यक्ष व अन्य पिछड़ा वर्ग का वोट

7 अक्टूबर 2019 को कांग्रेस ने अजय कुमार लल्लू के उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाकर ओबीसी मतदाताओं में अपनी पैठ कायम करने की कोशिश की है। बता दें कि कुशीनगर के सिरोही गांव के रहने वाले हैं और तमकुही क्षेत्र से विधायक अजय कुमार लल्लू पूर्वी उत्तर प्रदेश से आते हैं और पिछड़ी कही जाने वाली कानू जाति से ताल्लुक रखते हैं। सामाजिक न्याय के मुद्दे पर अजय कुमार लल्लू मुखर हैं और यूपी में समाजिक न्याय के मसले को लगातार उठाते आ रहे हैं। यही कारण है कि दो साल के अपने कार्यकाल में अब तक वो दो दर्जन से ज़्यादा बार जेल जा चुके हैं। अजय कुमार लल्लू खुद कानू जाति से आते हैं। उत्तर प्रदेश की कमेटी भी सामाजिक संतुलन और समावेशी जातीय समीकरणों के आधार पर तैयार हुई है। मुसहर जातियों को एकजुट करने के लिये अजय कुमार लल्लू बहुत पहले से काम करते आ रहे हैं।

प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू खुद 40 साल के हैं और उनकी टीम के सदस्य भी ज्यादातर 40 से 45 साल की उम्र के ही हैं। ऐसे में युवा मतदाता वर्ग को भी कांग्रेस ने साधने की कोशिश की है। यही कारण है कि कांग्रेस यूथ लगातार रोज़गार जैसे युवाओं के मुद्दे को लेकर आंदोलनरत रही है।

हालांकि कांग्रेस पार्टी का प्रदेश में अभी तक किसी भी क्षेत्रीय दल के साथ गठबंधन नहीं हुआ है। 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा गठबंधन का आरोप प्रत्यारोपों के साथ टूटने की कड़वी यादों को देख फिलाहल सपा और कांग्रेस में कोई गठबंधन होने की गुंजाइअश नहीं दिख रही। वहीं बसपा ने पिछली बार की तरह इस बार भी अकेले चुनाव लड़ने की ठानी है। ऐसे में कांग्रेस भी एकला चलो की नीति अपनाते हुयी यूपी की चुनावी लड़ाई में चल पड़ी है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की इलाहाबाद से रिपोर्ट।)

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